पार्टी का प्रचार करने के लिए पंजाब में विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग आए थे
नई दिल्ली:
पंजाब विधानसभा चुनाव में जीत की मजबूत दावेदार मानी जा रही आम आदमी पार्टी (आप) के कई शीर्ष नेता चुनाव हार गए. पार्टी को अपनी जीत का इतना विश्वास था कि दिल्ली स्थित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर जश्न की पूरी तैयारी की गई थी. बड़ी मात्रा में झाड़ू मंगवाकर ढोल और डीजे का भी इंतजाम किया गया था. पंजाब में पार्टी की तरफ से करीब 60 हज़ार लोगों ने बाहर से आकर प्रचार किया था, लेकिन सारी तैयारियां चुनाव नतीजे आने के साथ धराशाई हो गईं.
आप की चुनाव प्रचार समिति के प्रभारी एवं पार्टी से सांसद भगवंत मान, पार्टी संयोजक गुरप्रीत सिंह घुग्गी, पत्रकार से नेता बने जरनैल सिंह, कानूनी प्रकोष्ठ के प्रभारी हिम्मत सिंह जरनैल और डॉ. बलबीर सिंह को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.
मान को जलालाबाद से शिरोमणि अकाली दल सुप्रीमो एवं उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के हाथों हार का सामना करना पड़ा जबकि शेरगिल को मजीठा से बिक्रम सिंह मजीठिया ने हराया.
जरनैल सिंह ने दिल्ली में राजौरी गार्डन विधानसभा सीट से विधायक के तौर पर इस्तीफा दे दिया था ताकि वह लाम्बी से पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और अमरिंदर सिंह के खिलाफ चुनाव में खड़े हो सकें.
1984 में हुए सिख विरोधी दंगा पीड़ितों के लिए लड़ रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुल्का, आप प्रवक्ता सुखपाल सिंह खरा, पत्रकार से नेता बने कंवर संधू, कारोबारी प्रकोष्ठ प्रभारी अमन अरोड़ा, हरपाल सिंह चीमा, मनजीत सिंह और प्रोफेसर बलजिंदर सिंह चुनाव जीते.
पार्टी सूत्र बताते हैं कि पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री का कोई चेहरा नहीं उतारे का भी उसे नुकसान उठाना पड़ा है. इसके अलावा पार्टी का प्रचार ज्यादातर मालवा तक ही सीमित रहा. माझा और दोआब इलाकों की अनदेखी पार्टी को भारी पड़ी है. पार्टी सूत्र बताते हैं कि बाहरी लोगों की भीड़ भी हार की वजह हो सकती है. पार्टी का प्रचार करने के लिए विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग पंजाब आए हुए थे.
वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में आप सरकार ने राज्य में चार लोकसभा सीटें जीतकर सबको हैरान कर दिया था. बाद में पार्टी ने अपने दो सांसदों को निलंबित कर दिया था.
आप की चुनाव प्रचार समिति के प्रभारी एवं पार्टी से सांसद भगवंत मान, पार्टी संयोजक गुरप्रीत सिंह घुग्गी, पत्रकार से नेता बने जरनैल सिंह, कानूनी प्रकोष्ठ के प्रभारी हिम्मत सिंह जरनैल और डॉ. बलबीर सिंह को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.
मान को जलालाबाद से शिरोमणि अकाली दल सुप्रीमो एवं उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के हाथों हार का सामना करना पड़ा जबकि शेरगिल को मजीठा से बिक्रम सिंह मजीठिया ने हराया.
जरनैल सिंह ने दिल्ली में राजौरी गार्डन विधानसभा सीट से विधायक के तौर पर इस्तीफा दे दिया था ताकि वह लाम्बी से पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और अमरिंदर सिंह के खिलाफ चुनाव में खड़े हो सकें.
1984 में हुए सिख विरोधी दंगा पीड़ितों के लिए लड़ रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुल्का, आप प्रवक्ता सुखपाल सिंह खरा, पत्रकार से नेता बने कंवर संधू, कारोबारी प्रकोष्ठ प्रभारी अमन अरोड़ा, हरपाल सिंह चीमा, मनजीत सिंह और प्रोफेसर बलजिंदर सिंह चुनाव जीते.
पार्टी सूत्र बताते हैं कि पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री का कोई चेहरा नहीं उतारे का भी उसे नुकसान उठाना पड़ा है. इसके अलावा पार्टी का प्रचार ज्यादातर मालवा तक ही सीमित रहा. माझा और दोआब इलाकों की अनदेखी पार्टी को भारी पड़ी है. पार्टी सूत्र बताते हैं कि बाहरी लोगों की भीड़ भी हार की वजह हो सकती है. पार्टी का प्रचार करने के लिए विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग पंजाब आए हुए थे.
वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में आप सरकार ने राज्य में चार लोकसभा सीटें जीतकर सबको हैरान कर दिया था. बाद में पार्टी ने अपने दो सांसदों को निलंबित कर दिया था.
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