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सरकारी आवास न छोड़ने पर SC ने लगाई बिहार के पूर्व विधायक को फटकार

पटना हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने एकल पीठ के समक्ष  याचिका दायर की थी, जिसमें 20 लाख रुपये की राशि की कटौती के सरकारी आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी, लेकिन हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश को बरकरार रखा है.

सरकारी आवास न छोड़ने पर SC ने लगाई बिहार के पूर्व विधायक को फटकार
  • सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पूर्व विधायक अविनाश कुमार सिंह को सरकारी आवास पर अंतहीन कब्जा न रखने की चेतावनी दी.
  • पटना हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक को सरकारी आवास का 20 लाख रुपये मकान किराया भुगतान करने का आदेश बरकरार रखा था.
  • सरकारी आवास पर अंतहीन रूप से कब्जा नहीं रखना चाहिए- सुप्रीम कोर्ट
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सरकारी आवास में रहना जारी रखने पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पूर्व विधायक अविनाश कुमार सिंह पर  नाराजगी जताई है.  CJI बीआर गवई ने पूर्व MLA को कहा कि किसी को भी सरकारी आवास पर अंतहीन रूप से कब्जा नहीं रखना चाहिए. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार किया, हालांकि पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता कानून सम्मत कदम उठाने के लिए स्वतंत्र है. याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ली. मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ पटना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. हाईकोर्ट ने बिहार के पूर्व विधायक को सरकारी आवास का 20 लाख रुपये किराया चुकाने के सरकारी आदेश को बरकरार रखा था. इस सरकारी आवास में वे निर्धारित अवधि से अधिक समय तक रहे थे. 

दरअसल पटना हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने एकल पीठ के समक्ष  याचिका दायर की थी, जिसमें 20 लाख रुपये की राशि की कटौती के सरकारी आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी. बिहार विधानसभा के सदस्य के रूप में आवंटित सरकारी आवास में निर्धारित अवधि से अधिक समय तक रहने के आधार पर उनसे 20,98,757 रुपये मकान किराया वसूलने का आदेश किया गया.

जानें क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि याचिकाकर्ता को 2006 में विधायक के रूप में पुनः निर्वाचित होने पर सरकारी आवास/क्वार्टर आवंटित किया गया था, जिस पर वे 2015 तक बने रहे. नवंबर 2015 में सरकार ने उन्हें आवास खाली करने के लिए कहा, क्योंकि यह एक मंत्री को आवंटित किया जाना था, हालांकि हाईकोर्ट में दायर रिट याचिका जनवरी 2016 में बिना शर्त वापस ले ली गई. जबरन बेदखली के खिलाफ दायर सिविल मुकदमा भी वापस ले लिया गया. इसके बाद याचिकाकर्ता को अगस्त 2016 में उनके विरुद्ध देय मकान किराया राशि का नोटिस दिया गया. इसके बाद याचिकाकर्ता ने एक और रिट याचिका दायर की, जिसे बाद में जनवरी 2021 में पीठ ने खारिज कर दिया. उक्त आदेश के विरुद्ध, याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में अपील की. डिवीजन बेंच ने भी मकान किराया आदेश को बरकरार रखा और याचिकाकर्ता के आचरण की निंदा की.
 

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