यह पेड़ पक्षियों को खाने का देता है 'लालच', फिर कर देता है उनकी हत्या

यह पेड़ पक्षियों को खाने का देता है 'लालच', फिर कर देता है उनकी हत्या

पिसोनिया पेड़ अमेरिका के हवाई, न्यूजीलैंड और भारत में मिलते हैं.

खास बातें

  • रहस्यमयी पेड़ पिसोनिया अमेरिका के हवाई, न्यूजीलैंड और भारत में मिलते हैं.
  • खाने के लालच में पिसोनिया पर आते हैं पक्षी
  • इस पेड़ पर उलझकर जान गंवा देते हैं पक्षी
वाशिंगटन:

ये तो हम सभी जानते हैं कि पेड़-पौधों में जान होते हैं, वे इंसानों की तरह हंसते हैं, आपस में बातें करते हैं, झूमते हैं, उन्हें कष्ट भी होता है. अगर मैं कहूं कि पेड़ हत्याएं भी करते हैं तो शायद आप विश्वास न करें, लेकिन यह सच है. पिसोनिया नामक पेड़ पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं फिर उन्हें जान से मार देती हैं. इसी वजह से पिसोनिया को 'बर्डकैचर ट्री' कहा जाता है. यह रहस्यमयी पेड़ अमेरिका के हवाई, न्यूजीलैंड और भारत में मिलते हैं. इसके जड़ों के नीचे हड्डियों के टूकड़े पड़े होते हैं. शायद आप जानते होंगे कि नेपेनथीस, साराकेनिया और वीनस फ्लाइट्रैप्स नामक पौधों में आण्विक प्रक्रिया के चलते नीली रोशनी निकलती है. वीनस फ्लाइट्रैप्स नामक पौधे का निरीक्षण अल्ट्रावायलेट 366 एनएम किरणों के बीच किया तब जाकर उन्हें इसके बारे में मालूम हुआ.

इन पौधों से निकलने वाली नीली रोशनी से आकर्षित होकर कई जीव जंतु पौधे की तरफ आकर्षित होते हैं. खासकर रात के अंधेरे में निकलने वाली इस रोशनी के चक्कर में शिकार करीब तक आ जाते हैं. इस चमक से आकर्षित होने वाले जीवों में चूहे, चमगादड़ और पेड़ पौधों पर पाए जाने वाले अन्य कीट शामिल हैं. ठीक इसी की तरह पिसोनिया पेड़ पर भी पक्षी खाने की तलाश में आकर्षित होकर आते हैं फिर चंगुल में फंसकर अपनी जान गंवा देते हैं. कई बार पक्षी इस पेड़ के पत्तों के बीच उलझकर अपनी जान गंवा देते हैं.

ये पौधे भी होते हैं मांसाहारी

घटपर्णी :  असम की पहाड़ियों में पाया जाने वाले इस पौधे की पत्ती कलश के रूप में विकसित हो जाती है, जिसके मुंह पर पत्ती का ही एक ढक्कन होता है. इस कलश से एक प्रकार का मकरंद निकलता है, जिससे कीट इसकी ओर आकर्षित होते हैं. कलश की तली में जल होता है जिसमें बैक्टीरिया एवं पाचन द्रव होता है. कीट कलश में प्रवेश करते ही जल में डूबकर मर जाते हैं. उसके बाद इनका विघटन होता है और पोषक पदार्थ निकल कर जल में आ जाते हैं. इसके बाद पत्ती इन्हें सोख लेती है.

सन-ड्यू: इसकी पत्तियों से एक प्रकार का लसलसा द्रव निकलता है जो धूप में ओस की बूंदों की तरह चमकता है. इन चमकती बूंदों की ओर छोटे-छोटे कीट आकर्षित होते हैं और स्पर्श करते ही चिपक जाते हैं. इसके बाद पत्ती से एक और द्रव निकलता है जो प्रोटीन पदार्थ को पचाता है. अब इस द्रव का पुन: पोषण होता है, जिससे पत्ती कीट के शरीर से अपना भोजन सोख लेती है. 

ब्लैडरवस्ट: हिमालय के इलाके में पाए जाने वाले इस पौधे की पत्तियां चौड़ी होती हैं, जिनकी ऊपरी सतहों पर लसलसी ग्रंथियां होती हैं तथा किनारे अन्दर की ओर मुड़े रहते हैं. छोटे-छोटे कीट इनकी ओर आकर्षित होते हैं और ऊपरी सतह पर चिपक जाते हैं. 

ब्लैडरवर्ट:  यह पौधा पूरी तरीके से जल में डूबा होता है. इसकी पत्तियां जाल के आकार की होती हैं तथा नोक पर थैली जैसी संरचना होती है. इसमें वे सूक्ष्म प्राणी पकड़ लिए जाते हैं जो जलधारा के साथ आते हैं. शिकार के पच जाने के बाद बॉल्ब खुल जाता है और जाल अगले भोजन के लिये तैयार हो जाता है.


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