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इस मेले में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सब के हाथ में दिखें सांप, जानें कैसी है बिहार के समस्तीपुर की ये अनोखी प्रथा

Samastipur me Saanp Mela: समस्तीपुर में नाग पंचमी के मौके पर एक अनोखी परंपरा का वीडियो इन दिनों खूब वायरल हो रहा है, जिसमें बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी हाथ में सांप पकड़कर रैली निकालते नजर आ रहे हैं.

इस मेले में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सब के हाथ में दिखें सांप, जानें कैसी है बिहार के समस्तीपुर की ये अनोखी प्रथा

People walking with snakes: भारत विविधता और परंपराओं का देश है, जहां हर त्योहार अपनी अलग पहचान रखता है, लेकिन बिहार के समस्तीपुर में नाग पंचमी पर जो नजारा देखने को मिला, उसने हर किसी को हैरान कर दिया. यहां हर साल की तरह इस बार भी सिंघिया घाट पर 'सांप मेला' लगा, जहां लोग जिंदा सांपों को गले में डालकर, सिर पर रखकर और हाथों में लपेटकर पूजा करते नजर आए.

बच्चों से लेकर बड़ों ने सांप पकड़कर निकाली रैली (Samastipur me saanp ka mela video)

इस अनोखी परंपरा की जड़ें करीब 300 साल पुरानी मानी जाती हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार, नाग देवता की कृपा पाने और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए यह परंपरा पीढ़ियों से निभाई जा रही है. नाग पंचमी से कुछ सप्ताह पहले ही ग्रामीण जंगलों से सांपों को पकड़कर लाते हैं, उन्हें प्रेमपूर्वक रखते हैं और पर्व के दिन पूजा के बाद जंगल में वापस छोड़ देते हैं.

यहां देखें वीडियो

नाग पंचमी पर समस्तीपुर में दिखी अद्भुत परंपरा (300 saal purani parampara)

वायरल हो रहे वीडियो में दिखता है कि बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग भी जिंदा सांपों को सहजता से गले में लपेटकर मेले में घूम रहे हैं. कुछ युवक सांपों के साथ करतब दिखाते हुए भी नजर आते हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि इन सांपों से किसी को डर नहीं लगता, बल्कि श्रद्धा और अपनापन महसूस होता है. यह मेला मिथिला क्षेत्र की पहचान बन चुका है. यहां के लोग सांपों को कोई खतरनाक जीव नहीं, बल्कि देवता मानते हैं. सिंघिया घाट पर नाग पंचमी के दिन सैकड़ों लोग इकट्ठा होते हैं, नदी में स्नान करते हैं और फिर सांपों की शोभायात्रा निकालते हैं.

नाग पंचमी पर 300 साल पुरानी परंपरा हुई जीवंत (Samastipur Snakes Mela Viral Video)

हालांकि, इस परंपरा को लेकर सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं. कुछ यूजर्स ने इसे सांस्कृतिक विरासत बताया, तो कई लोगों ने जानवरों के साथ ऐसे व्यवहार पर नाराजगी जताई. एक यूजर ने लिखा, ये परंपरा नहीं, पशु क्रूरता है, जबकि दूसरे ने मजाकिया अंदाज़ में लिखा, हम अंग्रेजों से नहीं, अंग्रेज हमसे आज़ाद हुए थे. सांपों से जुड़े डर और भ्रम के बीच यह परंपरा बताती है कि भारत में आस्था की जड़ें कितनी गहरी हैं. सवाल जरूर उठते हैं, लेकिन समस्तीपुर का यह मेला आज भी श्रद्धा, परंपरा और रहस्य का अद्भुत संगम बना हुआ है.

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