तिरुवनंतपुरम:
कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने केरल की 140 में से 72 सीटें हथिया कर भले ही सत्ता पाने लायक बहुमत हासिल कर लिया है, लेकिन उसकी राह अभी आसान नहीं है। मुख्यमंत्री पद के संभावित दावेदार और कांग्रेस के नेता ओमन चांडी के लिए सरकार में और सरकार के बाहर भी सहयोगी दलों के साथ गठबंधन बनाए रखना काफी मुश्किल होगा। माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ के तौर पर मजबूत विपक्ष की मौजूदगी भी आने वाले दिनों में कांग्रेस के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने की एक मुख्य वजह हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार कांग्रेस के खाते में आईं सिर्फ 38 सीटों के कारण मंत्रिमंडल के निर्माण के वक्त उसे मणी धड़े वाले केरल कांग्रेस से काफी समझौते करने पड़ सकते हैं। इस चुनाव में यूडीएफ को 45.61 प्रतिशत वोट मिले हैं जबकि एलडीएफ को 44.9 प्रतिशत वोट मिले हैं और गठबंधन को मिले वोटों का अंतर डेढ़ लाख से थोड़ा ज्यादा है। माकपा ने हालांकि हार स्वीकार करते हुए एलडीएफ के विपक्ष में बैठने की बात कही है, लेकिन राज्य के राजनैतिक इतिहास को देखते हुए यह साफ है कि विपक्ष इतने मामूली बहुमत से बनी सरकार को आसानी से नहीं चलने देगा।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
विधानसभा चुनाव 2011, केरल, कांग्रेस