नवरात्रि (Navratri) के नौ दिनों में मां दुर्गा (Maa Durga) के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. इन नौ रातों में कहीं डांडिया-गरबा की धूम रहती है तो कही पूजा पंडालों में मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा और उसके आगे नतमस्तक लोग. पूरा माहौल इतना भक्तिमय होता है कि लोग मां की ममता के आगे अपने सारे दुख भूल जाते हैं. दुर्गा पूजा (Durga Puja) के दौरान एक से बढ़कर एक भव्य पंडालों में शक्ति की देवी की प्रतिमाओं को बेहद खूबसूरती और एक खास थीम के साथ स्थापित किया जाता है. नवरात्र के आठवें दिन यानी कि अष्टमी को पुष्पांजलि पूजा, कुमारी पूजा (Kumari Puja) और आरती का विशेष महत्व है. महाअष्टमी के दिन किसी एक कुंवारी कन्या को मां दुर्गा का रूप मानकर उसकी पूजा की जाती है. लेकिन इस बार पश्चिम बंगाल के अर्जुनपुर में एक बंगाली परिवार ने इस परंपरा में थोड़ा सा बदलाव कर एक मिसाल कायम की है.
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आपको बतों दे कि अर्जुनपुर का दत्त परिवार पिछले छह सालों से अपने घर पर दुर्गा पूजा का आयोजन कर रहा है. इस बार उन्होंने कुमारी पूजन के लिए एक मुस्लिम लड़की को चुना. बताया जा रहा है कि ऐसा करने के पीछे यही मकसद था कि लोगों को बताया जा सके कि त्योहार धर्म के भेद को मिटा देते हैं.
दत्त परिवार के सदस्य तमल दत्त के मुताबिक, "हमने इससे पहले भी गैर-ब्राहम्ण लड़की के साथ कुमारी पूजन किया था और इस बार हमने मुस्लिम लड़की को देवी मानकर पूजा की. पहले हम सिर्फ ब्राह्मण लड़कियों की पूजा किया करते थे. लेकिन मां दुर्गा तो सभी पृथ्वीवासियों की मां हैं. इसलिए हमने परंपरा को तोड़ दिया."
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दुर्गा के रूप में पूजी गई फातिमा का कुमारी पूजन तो संयोगवश ही हो गया. तमल कहते हैं कि उन्हें पूजा के लिए मुस्लिम लड़की मिलने में मुश्किल आ रही थी. तभी तमल के सहकर्मी मोहम्मद इब्राहिम ने अपनी भतीजी फातिमा के नाम का सुझाव दिया.
लड़की अपने परिवार के साथ आगरा में रहती है. इब्राहिम ने बच्ची के घरवालों को इसके लिए मनाया. फातिमा और उसकी मां पूजा के लिए दत्त परिवार के साथ ही ठहरे हुए थे.
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