
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग (फाइल फोटो)
सोल:
उत्तर कोरिया के प्रमुख सरकारी समाचार पत्र ने शुक्रवार को दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेइ-इन के कार्यकाल के शुरुआती सौ दिनों के प्रदर्शन को ‘असफल’ बताते हुए शांति के लिए उनके प्रयासों को पाखंड करार दिया है. मून को उनकी पूर्ववर्ती रहीं पार्क ग्यून-हे के खिलाफ महाभियोग चलने पर उनके स्थान पर चुना गया था. उन्होंने मई माह से कार्यभार संभाला और तब से ही उन्हें उत्तर कोरिया के मिसाइल एवं परमाणु कार्यक्रमों को लेकर उपजे तनाव का सामना करना पड़ रहा है. प्योंगयांग ने पिछले माह ही एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है.
अपने कार्यालय में सौ दिन पूरे करने के मौके पर मून ने कल एक संक्षिप्त बयान में जोर देकर कहा था कि अब कोरियाई प्रायद्वीप में कोई युद्ध नहीं होगा. लेकिन साथ ही उन्होंने उत्तर कोरिया से मिसाइल परीक्षण रोकने और प्योंगयांग से इस ‘खतरनाक खेल’ को समाप्त करने की भी अपील की थी.
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सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी के आधिकारिक मुखपत्र ‘रोदोंग सिनमुन’ ने शुक्रवार को इस पर एक विस्तृत टिप्पणी के साथ अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि राष्ट्रपति पद पर मून के शुरुआती सौ दिन में उनका प्रदर्शन बहुत ही ‘कमजोर और निराशाजनक’ रहा. हालांकि इस टिप्पणी में मून का नाम नहीं लिया गया और उनका उल्लेख ‘वर्तमान शक्तिशाली शासक’ के तौर पर किया गया.
समाचार पत्र की इस टिप्पणी में दोनों देशों के बीच संबंधों को ‘पूरी तरह से विफल’ बताया गया और कहा गया कि मून ने संवाद करने और उत्तर-दक्षिणी समझौते लागू करने की बात की लेकिन उनके प्रयास विपरीत दिशा में चले गये.
VIDEO : किम जोंग-उन से जुड़ी दस बातें
इस आलेख में कहा गया है कि ‘दक्षिण कोरिया के प्राधिकारियों’ की अंतर-कोरियाई संबंधों में सुधार की बातें पांखड के सिवाय और कुछ नहीं हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अपने कार्यालय में सौ दिन पूरे करने के मौके पर मून ने कल एक संक्षिप्त बयान में जोर देकर कहा था कि अब कोरियाई प्रायद्वीप में कोई युद्ध नहीं होगा. लेकिन साथ ही उन्होंने उत्तर कोरिया से मिसाइल परीक्षण रोकने और प्योंगयांग से इस ‘खतरनाक खेल’ को समाप्त करने की भी अपील की थी.
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सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी के आधिकारिक मुखपत्र ‘रोदोंग सिनमुन’ ने शुक्रवार को इस पर एक विस्तृत टिप्पणी के साथ अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि राष्ट्रपति पद पर मून के शुरुआती सौ दिन में उनका प्रदर्शन बहुत ही ‘कमजोर और निराशाजनक’ रहा. हालांकि इस टिप्पणी में मून का नाम नहीं लिया गया और उनका उल्लेख ‘वर्तमान शक्तिशाली शासक’ के तौर पर किया गया.
समाचार पत्र की इस टिप्पणी में दोनों देशों के बीच संबंधों को ‘पूरी तरह से विफल’ बताया गया और कहा गया कि मून ने संवाद करने और उत्तर-दक्षिणी समझौते लागू करने की बात की लेकिन उनके प्रयास विपरीत दिशा में चले गये.
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इस आलेख में कहा गया है कि ‘दक्षिण कोरिया के प्राधिकारियों’ की अंतर-कोरियाई संबंधों में सुधार की बातें पांखड के सिवाय और कुछ नहीं हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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