नई दिल्ली के 22 वर्षीय सर्वश्रेष्ठ गुप्ता को माता-पिता ने अमेरिका के पेनसेल्वेनिया यूनिवर्सिटी से पढ़ाया। इसके बाद क्रेडिट सूज बैंक और ड्यूशे बैंक में उन्होंने अपनी इंटर्नशिप की और सितंबर 2014 में उन्होंने सैन फ्रांसिस्को के गोल्डमैन सैक कंपनी के साथ एनालिस्ट के तौर पर काम शुरू किया। माता-पिता का सपना पूरा हुआ और बेटे को चमकदार नौकरी मिलते देर नहीं लगी।
लेकिन उनका ये चमकदार करियर एक साल भी नहीं चल पाया। 16 अप्रैल को संदिग्ध परिस्थितियों में वे अपने अपार्टमेंट से सटे पार्किंग में मृत पाए गए थे। उनकी मौत की वजहों का पता स्थानीय अधिकारी नहीं लगा पाए हैं।
लेकिन सर्वश्रेष्ठ के पिता सुनील गुप्ता द्वारा लिखे गए ऑनलाइन पोस्ट 'ए सन नेवर डाइज' से उनके बेटे की मौत की वजहों के बारे में संकेत मिलता है। (यह पोस्ट अपने बेटे की मौत के एक महीने बाद सुनील ने लिखा था, लेकिन उसे बाद में हटा लिया गया)। इस पोस्ट में उन्होंने अपने बेटे के साथ बातचीत का ब्यौरा भी लिखा है, जो दर्शाता है कि सर्वश्रेष्ठ कामकाजी तनाव का सामना कर रहे थे।
इस पोस्ट के मुताबिक अपने पिता के साथ अंतिम बातचीत में 16 अप्रैल को दोपहर 3.10 बजे सर्वश्रेष्ठ ने कहा था, 'बहुत हो गया, बीते दो दिनों से मैं सो नहीं पाया हूं। सुबह में एक मीटिंग है, मुझे प्रेजेंटेशन तैयार करना है। मेरे वाइस प्रेसीडेंट नाराज़ हैं और अभी दफ्तर में मैं अकेला काम कर रहा हूं।'
सुनील ने तब अपने बेटे से कहा कि 15 दिन की छुट्टी लेकर घर आ जाओ। सर्वेश्रेष्ठ का जवाब- छुट्टी नहीं मिलेगी, तो पिता ने कहा, 'उन्हें कहना है कि इसे मेरा इस्तीफ़ा मान लीजिए।'
इसके बाद सर्वश्रेष्ठ ने एक घंटे में अपने अपार्टमेंट जाने की बात कही और फिर सुबह लौट आने की बात दोहराई। लेकिन अपने घर से आधी मील दूर स्थित अपार्टमेंट तक सर्वश्रेष्ठ नहीं पहुंच पाए, छुट्टी पर घर लौटने के बदले माता-पिता को सैन फ्रांसिस्को जाना पड़ा बेटे का शव लेने के लिए।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वश्रेष्ठ को पूरे दफ्तर के लोग पसंद करते थे। उनके कई सहकर्मियों के मुताबिक, वह काम में बहुत निपुण था। काम में दक्षता और उसके वर्क इथिक के चलते उस पर काम का लोड भी ज्यादा रहता था।
सचिन तेंदुलकर के फैन सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल की टीम आर्सेनल और बार्सिलोना के भी मुरीद थे, लेकिन इंवेस्टमैंट बैंकिंग की दुनिया में उन्हें इन सब चीजों के लिए वक्त नहीं मिल पा रहा था।
सर्वश्रेष्ठ ने अपने पिता से मार्च, 2015 में एक बातचीत के दौरान कहा था, 'ये नौकरी मेरे लिए नहीं है, खूब सारा काम होता है और बाक़ी काम के लिए समय नहीं मिलता।' उस वक्त सर्वश्रेष्ठ हफ्ते में सौ घंटे से ज़्यादा काम कर रहे थे और कई बार तो पूरे हफ्ते तक उन्हें काम करना पड़ रहा था।
काम का दबाव इतना ज्यादा था कि पिता की इच्छा के विपरीत सर्वश्रेष्ठ ने अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया। लेकिन एक सप्ताह के अंदर ही गोल्डमैन सैक के अधिकारियों ने उसे काम पर वापस लौटने के लिए मना लिया। सुनील गुप्ता ने लिखा है, 'कंपनी ने उसे इस्तीफ़े पर विचार करने को कहा था और मेरे दबाव में उसने फिर से काम पर जाना शुरू कर दिया।'
नौकरी पर वापसी के बाद सर्वश्रेष्ठ के काम के घंटे कुछ कम जरूर हुए थे और उन्होंने काम के दौरान होने वाले तनाव को दूर करने के लिए काउंसलर की सलाह भी ली।
लेकिन इससे उनकी कामकाजी दुनिया में कोई बदलाव नहीं आया और महज 22 साल की उम्र में उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मौत की वजहों का पता अभी तक नहीं चल पाया है।
लेकिन सर्वश्रेष्ठ का उदाहरण कोई इकलौता नहीं है। दुनिया भर की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने वाले वॉल स्ट्रीट में काम करने वाले युवाओं को भारी भरकम पगार पाने के लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है।
बीते हफ्ते ही मोइल्स एंड कंपनी में काम करने वाले 29 साल के थॉमस जे. ह्यूज़ की मौत ड्रग्स सेवन से अपार्टमेंट से गिरकर हो गई। उनके पिता ने डेली मेल से कहा, 'मेरा बेटा काफी ज़्यादा काम कर रहा था और काफी ज़्यादा दबाव में था।'
दरअसल, फाइनेंसियल सेक्टर में काम करने वाले लोगों पर दूसरे क्षेत्र के मुताबिक काम का दबाव ज्यादा होता है। अमेरिकी नेशनल ऑक्यूपेशनल मोर्टलिटी सर्विलियांस के मुताबिक, फाइनेंस सेक्टर में काम करने वालों में आत्महत्या की प्रवृति आम लोगों में 1.5 गुना ज्यादा होती है। हालांकि, यह दर डॉक्टरों में फाइनेंस सेक्टर के पेशेवरों से भी ज्यादा होती है।
ये उदाहरण बताते हैं कि कैसे वॉल स्ट्रीट की चमक-दमक और हजारों डॉलर की मोटी पगार के लिए युवा पीढ़ी को अपना जीवन दांव पर लगाना पड़ रहा है।
लेकिन उनका ये चमकदार करियर एक साल भी नहीं चल पाया। 16 अप्रैल को संदिग्ध परिस्थितियों में वे अपने अपार्टमेंट से सटे पार्किंग में मृत पाए गए थे। उनकी मौत की वजहों का पता स्थानीय अधिकारी नहीं लगा पाए हैं।
लेकिन सर्वश्रेष्ठ के पिता सुनील गुप्ता द्वारा लिखे गए ऑनलाइन पोस्ट 'ए सन नेवर डाइज' से उनके बेटे की मौत की वजहों के बारे में संकेत मिलता है। (यह पोस्ट अपने बेटे की मौत के एक महीने बाद सुनील ने लिखा था, लेकिन उसे बाद में हटा लिया गया)। इस पोस्ट में उन्होंने अपने बेटे के साथ बातचीत का ब्यौरा भी लिखा है, जो दर्शाता है कि सर्वश्रेष्ठ कामकाजी तनाव का सामना कर रहे थे।
इस पोस्ट के मुताबिक अपने पिता के साथ अंतिम बातचीत में 16 अप्रैल को दोपहर 3.10 बजे सर्वश्रेष्ठ ने कहा था, 'बहुत हो गया, बीते दो दिनों से मैं सो नहीं पाया हूं। सुबह में एक मीटिंग है, मुझे प्रेजेंटेशन तैयार करना है। मेरे वाइस प्रेसीडेंट नाराज़ हैं और अभी दफ्तर में मैं अकेला काम कर रहा हूं।'
सुनील ने तब अपने बेटे से कहा कि 15 दिन की छुट्टी लेकर घर आ जाओ। सर्वेश्रेष्ठ का जवाब- छुट्टी नहीं मिलेगी, तो पिता ने कहा, 'उन्हें कहना है कि इसे मेरा इस्तीफ़ा मान लीजिए।'
इसके बाद सर्वश्रेष्ठ ने एक घंटे में अपने अपार्टमेंट जाने की बात कही और फिर सुबह लौट आने की बात दोहराई। लेकिन अपने घर से आधी मील दूर स्थित अपार्टमेंट तक सर्वश्रेष्ठ नहीं पहुंच पाए, छुट्टी पर घर लौटने के बदले माता-पिता को सैन फ्रांसिस्को जाना पड़ा बेटे का शव लेने के लिए।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वश्रेष्ठ को पूरे दफ्तर के लोग पसंद करते थे। उनके कई सहकर्मियों के मुताबिक, वह काम में बहुत निपुण था। काम में दक्षता और उसके वर्क इथिक के चलते उस पर काम का लोड भी ज्यादा रहता था।
सचिन तेंदुलकर के फैन सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल की टीम आर्सेनल और बार्सिलोना के भी मुरीद थे, लेकिन इंवेस्टमैंट बैंकिंग की दुनिया में उन्हें इन सब चीजों के लिए वक्त नहीं मिल पा रहा था।
सर्वश्रेष्ठ ने अपने पिता से मार्च, 2015 में एक बातचीत के दौरान कहा था, 'ये नौकरी मेरे लिए नहीं है, खूब सारा काम होता है और बाक़ी काम के लिए समय नहीं मिलता।' उस वक्त सर्वश्रेष्ठ हफ्ते में सौ घंटे से ज़्यादा काम कर रहे थे और कई बार तो पूरे हफ्ते तक उन्हें काम करना पड़ रहा था।
काम का दबाव इतना ज्यादा था कि पिता की इच्छा के विपरीत सर्वश्रेष्ठ ने अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया। लेकिन एक सप्ताह के अंदर ही गोल्डमैन सैक के अधिकारियों ने उसे काम पर वापस लौटने के लिए मना लिया। सुनील गुप्ता ने लिखा है, 'कंपनी ने उसे इस्तीफ़े पर विचार करने को कहा था और मेरे दबाव में उसने फिर से काम पर जाना शुरू कर दिया।'
नौकरी पर वापसी के बाद सर्वश्रेष्ठ के काम के घंटे कुछ कम जरूर हुए थे और उन्होंने काम के दौरान होने वाले तनाव को दूर करने के लिए काउंसलर की सलाह भी ली।
लेकिन इससे उनकी कामकाजी दुनिया में कोई बदलाव नहीं आया और महज 22 साल की उम्र में उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मौत की वजहों का पता अभी तक नहीं चल पाया है।
लेकिन सर्वश्रेष्ठ का उदाहरण कोई इकलौता नहीं है। दुनिया भर की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने वाले वॉल स्ट्रीट में काम करने वाले युवाओं को भारी भरकम पगार पाने के लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है।
बीते हफ्ते ही मोइल्स एंड कंपनी में काम करने वाले 29 साल के थॉमस जे. ह्यूज़ की मौत ड्रग्स सेवन से अपार्टमेंट से गिरकर हो गई। उनके पिता ने डेली मेल से कहा, 'मेरा बेटा काफी ज़्यादा काम कर रहा था और काफी ज़्यादा दबाव में था।'
दरअसल, फाइनेंसियल सेक्टर में काम करने वाले लोगों पर दूसरे क्षेत्र के मुताबिक काम का दबाव ज्यादा होता है। अमेरिकी नेशनल ऑक्यूपेशनल मोर्टलिटी सर्विलियांस के मुताबिक, फाइनेंस सेक्टर में काम करने वालों में आत्महत्या की प्रवृति आम लोगों में 1.5 गुना ज्यादा होती है। हालांकि, यह दर डॉक्टरों में फाइनेंस सेक्टर के पेशेवरों से भी ज्यादा होती है।
ये उदाहरण बताते हैं कि कैसे वॉल स्ट्रीट की चमक-दमक और हजारों डॉलर की मोटी पगार के लिए युवा पीढ़ी को अपना जीवन दांव पर लगाना पड़ रहा है।
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