रवीश उवाच : चुनावों में प्रचार की धूम

  • 4:57
  • प्रकाशित: जनवरी 28, 2014
होर्डिंग लगाकर क्या कोई नेता बन सकता है, या बने हुए नेता की छवि नई की जा सकती है। 2014 का चुनाव प्रचार के लिहाज से पहले के चुनावों को पीछे छोड़ने जा रहा है। ऑटो रिक्शा के पीछे होर्डिंग लगाने की होड़ हो या रेडियो एफएम में सबका नमस्कार बोलना या मिस्ड कॉल। हो सकता है कि कुछ ऐसा भी हो, जो न देखा गया हो, जैसे 2012 के चुनावों में नरेंद्र मोदी का थ्री डी कैंपेन।

संबंधित वीडियो