बैंकों की आंतरिक हालत पर हम सीरीज़ चला रहे हैं. आज बैंक सीरीज़ का आठवां अंक है. जब हमने बैंकों में शौचालयों की हालत पर ज़ोर दिया तो किसी बैंक के चेयरमैन ने नहीं कहा कि हम भड़का रहे हैं, बल्कि उन्हें शायद पता था कि हम जो बता रहे हैं वो सही है. इसीलिए कम से कम चार बैंकों ने तुरंत नोटिस भेजा कि शौचालयों खासकर महिलाओं के लिए शौचालयों की स्थिति पर रिपोर्ट तैयार हो, उनकी साफ सफाई की व्यवस्था हो, जहां नहीं हैं वहां तुरंत शौचालय बने. यह एक बड़ी राहत थी, मगर बैंक सीरीज़ का सबसे बड़ा सवाल है सैलरी. सैलरी रिविज़न के लिए बैंकों के यूनियन और इंडियन बैंकिंग एसोएशन के बीच बैठक होनी है जो टल गई है. कब होगी पता नहीं. इस महंगाई के दौर में खासकर छोटे स्तर के कर्मचारियों की मकर टूट गई है. एक तो नोटबंदी के दौरान बहुत से कैशियरों ने सड़े गले नोट, गिनती में ग़लती और जाली नोट ले लेने के कारण अपनी जेब से हर्जाना भरा है. यह राशि 2000 से लेकर 3-3 लाख तक है.