'मुजफ्फरनगर में हिंसा'

- 58 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • Uttar Pradesh | Reported by: सौरभ शुक्ला, Edited by: अंजलि कर्मकार |मंगलवार अक्टूबर 11, 2022 08:54 PM IST
    साल 2013 में कवाल गांव में ममेरे भाई गौरव और सचिन की 27 अगस्त 2013 को हत्या कर दी गई थी. इसके बाद 28 अगस्त 2013 को गांव में हिंसा भड़की भी. हवाई फायरिंग हुई और तनाव का माहौल बन गया था. जानसठ थाने के तत्कालीन प्रभारी शैलेंद्र कुमार ने विक्रस सैनी समेत 27 लोगों को नामजद करते हुए गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था.
  • India | Reported by: भाषा, Edited by: मानस मिश्रा |सोमवार फ़रवरी 3, 2020 11:24 AM IST
    उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में पिछले साल 20 दिसंबर को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़काने के आरोप में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है.  पुलिस ने सोमवार को बताया कि फरमान, नफीस, इद्रिश और मुरसलीन को रविवार देर रात गिरफ्तार किया गया. कोतवाली थाना प्रभारी अनिल कपरवान ने बताया कि उनके पास से सीएए के खिलाफ कुछ पर्चे जब्त किए हैं. 
  • India | Reported by: आलोक पांडे, सौरभ शुक्ला, Edited by: राहुल सिंह |शनिवार जनवरी 4, 2020 01:04 PM IST
    NDTV ने जब पुलिस महकमे के आला अधिकारियों से गोली लगने से घायल पुलिसकर्मियों की जानकारी मांगी तो वह इस बारे में कुछ खास जानकारी नहीं दे पाए. एक पुलिस अफसर का पता जरूर चला जो गोली लगने से घायल हुए हैं. उनका नाम है सतपाल अंतिल और वह मुजफ्फरनगर के एसपी हैं. उनके पैर में गोली लगी है. एसपी ने इस बारे में बताया, '20 दिसंबर को मैं अपनी टीम के साथ मीनाक्षी चौक पर था. वहीं पर प्रदर्शनकारियों ने मुझे गोली मारी. उस समय मैं समझ नहीं सका कि क्या हुआ है. मेरे बहुत खून निकल रहा था.'
  • India | Reported by: आलोक पांडे, Translated by: परिणय कुमार |शुक्रवार दिसम्बर 27, 2019 11:26 PM IST
    पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में मुस्लिम समुदाय के प्रबुद्ध लोगों ने जिला प्रशासन को बीते सप्ताह नमाज के बाद शहर में हुई हिंसा से हुए नुकसान की भरपाई के रूप में 6 लाख रुपये से अधिक का चेक सौंपा है.
  • India | Written by: राहुल सिंह |रविवार दिसम्बर 22, 2019 10:56 AM IST
    नागरिकता संशोधन कानून का देशभर में खासा विरोध हो रहा है. जगह-जगह हो रहे प्रदर्शनों में लोग मोदी सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. कई राज्यों में प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया. उत्तर प्रदेश की बात करें तो अभी तक यहां हिंसा में 16 लोगों की मौत हो चुकी है और पुलिसकर्मियों सहित सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. कई जिलों में धारा 144 लागू है और इंटरनेट व एसएमएस सेवाओं पर रोक लगा दी गई है. यूपी के डीजीपी ओपी सिंह लगातार कह रहे हैं कि पुलिस ने किसी भी प्रदर्शनकारी पर गोली नहीं चलाई है लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं. एक वायरल वीडियो में कानपुर में प्रदर्शन के दौरान पुलिस लोगों पर फायरिंग करती दिख रही है. इस वीडियो को लेकर अभी तक पुलिस विभाग के आला अधिकारियों का कोई बयान नहीं आया है.
  • India | Reported by: सौरभ शुक्ला, Edited by: सूर्यकांत पाठक |शुक्रवार फ़रवरी 8, 2019 06:54 PM IST
    मुजफ्फरनगर कोर्ट ने आज मुजफ्फरनगर दंगे के मामले में फैसला सुनाया. अदालत ने कवाल कांड के सभी सात आरोपियों को उम्रकैद की सजा दी. छेड़छाड़ की घटना को लेकर 27 अगस्त 2013 को कवाल गांव में तीन व्यक्तियों की हत्या के बाद मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी.
  • Uttar Pradesh | Reported by: NDTV इंडिया |गुरुवार मार्च 22, 2018 04:28 PM IST
    इन मामलों में दंगा भड़काने, हिंसा, हत्या की कोशिश और हत्या जैसे मामले भी शामिल हैं. पाठक ने कहा कि भारतीय दण्ड विधान के तहत दंगों के मुकदमे भी आते हैं. लिहाजा ऐसे मुकदमे अगर राजनीति से प्रेरित पाए गए तो हम उन्हें वापस लेने के बारे में  जल्द ही कोई बड़ा फैसला करेंगे.
  • Uttar Pradesh | इंडो-एशियन न्यूज़ सर्विस |मंगलवार जून 6, 2017 02:59 PM IST
    उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक छोटे से विवाद ने सांप्रदायिक घटना का रूप ले लिया, जिसमें एक शख्स की मौत और एक गंभीर रूप से घायल हो गया. 
  • India | शनिवार अगस्त 30, 2014 12:43 PM IST
    पुलिस ने बताया कि घटना तब हुई, जब चार युवक शुक्रवार शाम कॉलोनी में ट्यूशन पढ़ने गए थे। लोगों के एक समूह ने यह दावा करते हुए उन पर कथित रूप से हमला किया कि वे छेड़छाड़ कर रहे थे। युवकों को पुलिस ने बचाया और अस्पताल में भर्ती कराया।
  • Election | रविवार अप्रैल 6, 2014 05:34 PM IST
    मुजफ्फरनगर में सात महीने पहले हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद पहली बार यहां आए सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने दावा किया कि हिंसा के शिकार लोगों को 115 करोड़ रुपये की मदद दी गई, लेकिन गुजरात में 2002 के दंगा पीड़ितों के लिए नरेंद्र मोदी ने एक भी रुपया खर्च नहीं किया।
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