'Unemploymentseries'
- 36 न्यूज़ रिजल्ट्स Blogs | रवीश कुमार |बुधवार जून 20, 2018 11:23 PM IST कई बार जवानों और किसानों की हालत देखकर लगता है कि हम सब ज़िद पर अड़े हैं कि इनकी तरफ देखना ही नहीं है. समस्या इतनी बड़ी है कि समाधान के नाम पर पुड़िया पेश कर दी जाती है जो मीडिया में हेडलाइन बनकर गायब हो जाती है. अनाज और आदमी दोनों छितराए हुए हैं. न तो दाम मिल रहा है न काम मिल रहा है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए ये मुद्दे एक दूसरे की निंदा करने भर के लिए हैं मगर कोई भी ठोस प्रस्ताव जनता के बीच नहीं रखता है कि वाकई क्या करने वाला है, जो कर रहा है वो क्यों चूक जा रहा है. कई बार लगता है कि हमारे राजनेता, हमारे अर्थशास्त्री, सिस्टम में बैठे लोगों ने ज़िद कर ली है कि इन बुनियादी सवालों पर बात नहीं करना है, मीडिया को हर रात कोई न कोई थीम मिल जाता है, सब कुछ इसी थीम की तलाश के लिए हो रहा है. इसके बाद भी भारत के भीतर से तस्वीरें उथला कर सतह पर आ जा रही हैं.
Blogs | रवीश कुमार |शनिवार जून 2, 2018 01:20 AM IST आज एक अच्छी ख़बर बताता हूं, हमारी नौकरी सीरीज़ का असर हुआ है, थोड़ा हुआ है मगर गाड़ी आगे बढ़ी है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) ने इनकम टैक्स इंस्पेक्टरों का स्टेट आवंटित कर दिया है. यानी अब 505 उम्मीदवार देख सकेंगे कि उन्हें किस किस राज्य में जाना है.
Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार अप्रैल 6, 2018 10:23 PM IST भारत में बेरोज़गारों की न तो संख्या किसी को मालूम है और न ही उनके जीवन के भीतर की कहानी. हमारे लिए बेरोज़गार हमेशा नाकाबिल नौजवान होता है जो मौके की तलाश में एक ही शहर और एक ही कमरे में कई साल तक पड़ा रहता है. कई बार तो लोग इसलिए भी बेकार कहते हैं कि वह सरकारी नौकरी की तलाश कर रहा है. सरकार चलाने के लिए नेता मारा मारी किए रहते हैं लेकिन जब कोई नौजवान उसी सरकार में अपने लिए संभावना की मांग करता है तो उसे फालतू समझा जाने लगता है. आप या हम हर शहर में बेरोज़गारों की रैली देखते हैं, नज़र घुमा लेते हैं. वे हफ्तों से धरने पर बैठे रहते हैं उनकी परवाह कोई नहीं करता है.
Blogs | रवीश कुमार |मंगलवार मार्च 20, 2018 10:07 PM IST नौकरी सीरीज़ का 30वां अंक है. नेता और नौजवान आमने सामने हैं. नेता अपना मंच चुन लेते हैं और युवाओं पर भाषण दे देते हैं, नौजवान जब अपना मैदान चुनता है तो उनके बीच कोई नेता नज़र नहीं आता है. इस देश में आदमी का नंबर बन गया है मगर कितनी नौकरी मिलती है, कितनों की जाती है, इसका कोई ठोस आंकड़ा नहीं है. इसलिए गोलमोल की बात कर नेता गोलमाल कर जाते हैं.
Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार मार्च 16, 2018 10:58 PM IST नौकरी सीरीज़ का 29वां अंक हाज़िर है. दिल्ली में एसएससी मुख्यालय के बाहर हज़ारों छात्र धरने पर बैठे हैं तो पटना की सड़कों पर दारोगा की परीक्षा को लेकर लाठी खा रहे हैं. राजस्थान के अखबारों में वहां हो रही सिपाही की भर्ती को लेकर प्रश्न पत्रों के लीक होने की खबरें छप रही हैं. भारत में ईमानदार परीक्षा व्यवस्था का होना बहुत ज़रूरी है.
Blogs | रवीश कुमार |मंगलवार मार्च 6, 2018 10:52 PM IST नौकरी सीरीज़ का 24वां अंक आप देख रहे हैं. झारखंड, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र के छात्र लगातर हमें भांति-भांति की परीक्षाओं में होने वाली देरी और धांधली के बारे में लिख रहे हैं. हमने कई बार कहा है कि हमारे पास संसाधनों की कमी है. बहुत सी परीक्षाओं को हम कवर भी नहीं कर पाए हैं, लेकिन कोशिश है कि सबका ज़िक्र हो जाए और नौकरी सीरीज़ एक ऐसा डेटा बैंक बन जाए जिसे देखते ही आपको भारत में नौकरियां देने वाले आयोगों की रिपोर्ट मिल जाए.
Blogs | रवीश कुमार |सोमवार मार्च 5, 2018 09:49 PM IST हम नौकरी सीरीज़ के 23वें अंक पर आ गए हैं. यात्रा आगे भी जारी रहेगी. अगर सारे राज्यों से डेटा मंगाएं तो पता चलेगा कि लाख से ज़्यादा नौकरियां कोर्ट केस में फंसी हैं. ज़रूरी नहीं कि कोर्ट के कारण ही लंबित हों, कई बार जांच पूरी न होने के कारण भी ये नौकरियां फंसी हुई हैं.
Blogs | रवीश कुमार |गुरुवार मार्च 1, 2018 11:01 PM IST नौकरी सीरीज़ का 22वां अंक आप देखने जा रहे हैं. सिस्टम के भीतर सड़न और मौसम नहीं बदलता है. सरकार बदलती है जो बादलों की तरह उड़ती हुई आती है और धूप छांव खेलती हुई चली जाती है. जिस सिस्टम के कमरों में बैठने के लिए नेता सारा ज़ोर लगा देते हैं वही अब पूछते हैं कि नौजवान सरकार की नौकरी के भरोसे क्यों बैठे हैं. सरकार यह नहीं कहती है कि हमारा भरोसा मत रखो, हम नौकरी नहीं देंगे, उल्टा भरोसा रखने वाले से ही पूछती है कि ये तो बताओ की तुम हम पर भरोसा क्यों करते हो. नौजवानों ने कभी पूछा नहीं कि तुम भी तो बताओ कि सरकार में जाने के लिए फिर क्यों दिन रात मरते हो. सवालों के दौर में इस राजनीति के पास कोई आइडिया नहीं बचा है. वह लगातार थीम की तलाश में है जिसपर बहस हो सके.
Blogs | रवीश कुमार |सोमवार फ़रवरी 26, 2018 10:12 PM IST नौकरी सीरीज़ के 19वें अंक में आपका स्वागत है. मुझे लगता था कि बेरोज़गार एक सामूहिक शब्द है. इस शब्द के इस्तेमाल से सभी बेरोज़गारों के कान खड़े हो जाते हैं. लेकिन नौकरी सीरीज़ के दौरान सैकड़ों मैसेज से गुज़रते हुए लगा कि युवा अपनी नौकरी, अपनी परीक्षा को लेकर अलग-अलग समूह में बंटे हैं. एक समूह का दूसरे समूह की बेरोज़गारी या परेशानी से कोई मतलब नहीं है. रेलवे का बेरोज़गार, बीपीएससी की परीक्षा के बेरोज़गार से अलग है और दोनों का एक दूसरे से कोई मतलब नहीं है. यही पैटर्न आप हर दो समूह के भीतर देखेंगे.
Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार फ़रवरी 23, 2018 09:41 PM IST नौकरी सीरीज़ का 18वां अंक आपके सामने हाज़िर है. मुझे पता है कि हर राज्य के छात्रों की बेचैनी बढ़ती जा रही है. जब आपकी चुनी हुई सरकारों ने कुछ नहीं किया जबकि उनके पास इस काम के लिए मंत्री भी हैं, आईएएस अफसर भी हैं, बहुत सारे कर्मचारी भी हैं तो मेरे साथ धीरज रखिए. मैं बहुत सीमित संसाधन में काम करता हूं. एक ही समस्या को सौ लोग भेजें यह कोई ज़रूरी नहीं है. धीरे धीरे सबका नंबर आएगा.
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