नौकरी की समस्या गंभीर होती जा रही है. भले ही बेरोज़गारी के बाद भी किसी के चुनाव जीतने या हारने पर असर न पड़े. मैं आपको अपना अनुभव बताता हूं. हर दिन नौजवान नौकरी को लेकर मैसेज करते हैं. उनके लिए कोई दूसरी प्राथमिकता नहीं है. किसी का इम्तहान हो चुका है रिज़ल्ट नहीं आ रहा. किसी का रिज़ल्ट आ गया है मगर चिट्ठी नहीं आ रही है. ठीक यही लाइन मैं प्राइम टाइम में अपनी नौकरी सीरीज़ के दौरान पचासों बार बोल चुका है. किसी भी राज्य के चयन आयोग में कोई सुधार नहीं हुआ है. इन नौजवानों की परवाह किसी को नहीं है, यह अलग बात है कि इन्हें भी अपनी परवाह नहीं है.