मुख्यमंत्री कमलनाथ के बयान के बहाने आपने देखा कि भारत के कई राज्यों में उद्योगों में 70 से 90 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोज़गार देने की नीति है. मगर हमारे पास यह देखने का आंकड़ा नहीं है कि इस नीति से स्थानीय लोगों को कितना रोजगार मिला और वह रोज़गार उस राज़्य के कुल बेरोज़गारों का कितना प्रतिशत था. यह इतना ज़रूरी मसला है कि इस पर बहस करने के लिए हमारे पास व्यापक और ठोस आंकड़े नहीं हैं. इस साल जून तक श्रम मंत्रालय लेबर रिपोर्ट जारी करता था जिससे रोज़गार की स्थिति का कुछ पता चलता था. मगर इस साल जून महीने में सरकार ने उसे बंद कर दिया और रोज़गार के आंकड़ों का सही मूल्यांकन करने के लिए एक नई कमेटी बना दी.
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