Mayawati Breaks Alliance
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सपा-बसपा की राह हुई अलग? इन 5 वजहों से टूट गया गठबंधन
- Monday June 3, 2019
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच लोकसभा चुनाव से पहले हुए गठबंधन का अंत हो गया है. हालांकि इसकी कोई अभी तक औपचारिक घोषणा नहीं हुई है लेकिन मायावती ने 11 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अकेले दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर गठबंधन की स्थिति साफ कर दी है. इस मसले पर अभी सपा की ओर से कोई बयान नहीं आया है. सपा-बसपा गठबंधन को पहले भी राजनीतिक विश्लेषक बेमेल समझौता बताते आ रहे थे. इस दौरान मायावती की चालाकी का भी जिक्र आया कि कैसे उन्होंने अखिलेश यादव के खाते में उन सीटों को दे दिया जिस पर उनकी जीत की कोई गुंजाइश नहीं बन पा रही थी. लखनऊ, गोरखपुर, बनारस, गाजियाबद जैसी लोकसभा सीटें इसके उदाहरण हैं. गठबंधन को लेकर सपा के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव खुश नहीं थे. अपनी नाराजगी उन्होंने साफ जाहिर कर दी थी. सपा से अलग होकर शिवपाल सिंह यादव ने अपनी पार्टी बनाई और अपने उम्मीदवार सभी सीटों पर उतारे. शिवपाल यादव ने भी इस गठबंधन का मजाक उड़ाया था. गेस्ट हाउस कांड का भी जिक्र आया लेकिन कहा गया कि दोनों पार्टियां अब इस हादसे से उबर चुकी हैं. मंच पर मायावती के साथ मुलायम और अखिलेश की कई तस्वीरें सामने आईं. हालांकि एक चुनावी भाषण में मायावती यह कहने से नहीं चूकीं कि सपा के कार्यकर्ताओं को बसपा के लोगों से काफी कुछ सीखने की जरूरत है.
- ndtv.in
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Exclusive: SP-BSP महागठबंधन में अब बची दो सीटें, मगर RLD और दूसरे छोटे दलों को कैसे दी जाएगी जगह!
- Saturday January 12, 2019
- Reported by: सौरभ शुक्ला
यूपी की सियासत में दो धुर विरोधी पार्टी बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने 25 साल बाद साथ आने का फैसला ले लिया है.
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समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच लोकसभा चुनाव से पहले हुए गठबंधन का अंत हो गया है. हालांकि इसकी कोई अभी तक औपचारिक घोषणा नहीं हुई है लेकिन मायावती ने 11 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अकेले दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर गठबंधन की स्थिति साफ कर दी है. इस मसले पर अभी सपा की ओर से कोई बयान नहीं आया है. सपा-बसपा गठबंधन को पहले भी राजनीतिक विश्लेषक बेमेल समझौता बताते आ रहे थे. इस दौरान मायावती की चालाकी का भी जिक्र आया कि कैसे उन्होंने अखिलेश यादव के खाते में उन सीटों को दे दिया जिस पर उनकी जीत की कोई गुंजाइश नहीं बन पा रही थी. लखनऊ, गोरखपुर, बनारस, गाजियाबद जैसी लोकसभा सीटें इसके उदाहरण हैं. गठबंधन को लेकर सपा के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव खुश नहीं थे. अपनी नाराजगी उन्होंने साफ जाहिर कर दी थी. सपा से अलग होकर शिवपाल सिंह यादव ने अपनी पार्टी बनाई और अपने उम्मीदवार सभी सीटों पर उतारे. शिवपाल यादव ने भी इस गठबंधन का मजाक उड़ाया था. गेस्ट हाउस कांड का भी जिक्र आया लेकिन कहा गया कि दोनों पार्टियां अब इस हादसे से उबर चुकी हैं. मंच पर मायावती के साथ मुलायम और अखिलेश की कई तस्वीरें सामने आईं. हालांकि एक चुनावी भाषण में मायावती यह कहने से नहीं चूकीं कि सपा के कार्यकर्ताओं को बसपा के लोगों से काफी कुछ सीखने की जरूरत है.
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