Bhopal Gas Peedit Mahila Purush Sangharsh Morcha
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12 साल बाद भी भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ी याचिका पर केंद्र सरकार की तैयारी अधूरी, पीड़ितों में भारी रोष
- Wednesday September 21, 2022
- Reported by: अनुराग द्वारी, Edited by: प्रमोद प्रवीण
2 और 3 दिसंबर, 1984 की दरमियानी रात को भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली 'मिथाइल आइसोसाइनेट' गैस रिसने के बाद सरकारी आंकड़ों में 5,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, लाखों लोग प्रभावित हुए थे. केंद्र ने मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट में सुधार याचिका दायर कर 7400 करोड़ की अतिरिक्त राशि की मांग की थी.
- ndtv.in
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Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी के 34 साल बाद भी न्याय के लिए संघर्षरत हैं प्रभावित
- Monday December 3, 2018
- भाषा
विश्व की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड के 34 साल पूरे होने के बाद भी इसकी जहरीली गैस से प्रभावित अब भी उचित इलाज, पर्याप्त मुआवजे, न्याय एवं पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति की लड़ाई लड़ रहे हैं. गैस पीड़ितों के हितों के लिये पिछले तीन दशकों से अधिक समय से काम करने वाले भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने कहा, ‘हादसे के 34 साल बाद भी न तो मध्यप्रदेश सरकार ने और ना ही केन्द्र सरकार ने इसके नतीजों और प्रभावों का कोई समग्र आकलन करने की कोशिश की है, ना ही उसके लिए कोई उपचारात्मक कदम उठाए हैं.’
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12 साल बाद भी भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ी याचिका पर केंद्र सरकार की तैयारी अधूरी, पीड़ितों में भारी रोष
- Wednesday September 21, 2022
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2 और 3 दिसंबर, 1984 की दरमियानी रात को भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली 'मिथाइल आइसोसाइनेट' गैस रिसने के बाद सरकारी आंकड़ों में 5,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, लाखों लोग प्रभावित हुए थे. केंद्र ने मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट में सुधार याचिका दायर कर 7400 करोड़ की अतिरिक्त राशि की मांग की थी.
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Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी के 34 साल बाद भी न्याय के लिए संघर्षरत हैं प्रभावित
- Monday December 3, 2018
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विश्व की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड के 34 साल पूरे होने के बाद भी इसकी जहरीली गैस से प्रभावित अब भी उचित इलाज, पर्याप्त मुआवजे, न्याय एवं पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति की लड़ाई लड़ रहे हैं. गैस पीड़ितों के हितों के लिये पिछले तीन दशकों से अधिक समय से काम करने वाले भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने कहा, ‘हादसे के 34 साल बाद भी न तो मध्यप्रदेश सरकार ने और ना ही केन्द्र सरकार ने इसके नतीजों और प्रभावों का कोई समग्र आकलन करने की कोशिश की है, ना ही उसके लिए कोई उपचारात्मक कदम उठाए हैं.’
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