India | Reported by: आशीष भार्गव |गुरुवार फ़रवरी 25, 2021 09:52 PM IST केंद्र की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि भारत में शादी एक संस्था के रूप में पवित्रता से जुड़ी हुई है. इसे देश के प्रमुख हिस्सों में इसे एक संस्कार माना जाता है. अदालत समलैंगिकों के विवाह को मान्यता नहीं दे सकती. ये तय करना विधायिका का काम है. हमारे देश में एक पुरुष और एक महिला के बीच विवाह के संबंध की वैधानिक मान्यता पुराने रीति-रिवाजों, प्रथाओं, सांस्कृतिक लोकाचार और सामाजिक मूल्यों पर निर्भर करती है.