'ब्लॉग'
- more than 1000 न्यूज़ रिजल्ट्स Blogs | रवीश कुमार |बुधवार मई 4, 2022 09:07 AM IST आज विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस है. आज के दिन प्रधानमंत्री मोदी जर्मनी की राजधानी बर्लिन में हैं. भारत और जर्मनी के बीच 14 समझौतों पर दस्तख़त हुए हैं. इनकी घोषणा के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मनी के चांसलर श्कोल्ज़ प्रेस के सामने हाज़िर हुए. दुनिया भर के पत्रकार इन समझौतों और यूक्रेन युद्ध को लेकर सवाल जवाब का इंतजार कर रहे थे लेकिन उन्हें बताया गया कि प्रेस कान्फ्रेंस में सवाल जवाब नहीं होगा.
Blogs | रवीश कुमार |शनिवार अप्रैल 30, 2022 12:30 AM IST भारत की जनता कहां तक और कब तक सह सकती है, उसकी इस क्षमता को आप कभी कम न समझें. बर्दाश्त करने के मामले में जनता का जवाब नहीं है. अभी तक ऐसा कोई संकट नहीं आया है जिसे भारत की जनता ने सहकर नहीं दिखाया है. अगर कोई समस्या इस संकोच में धीरे-धीरे आ रही है या नहीं आ रही है कि लोग सह नहीं पाएंगे,उनमें ताकत नहीं बची है. मेरी इन संकोची समस्याओं से अपील है कि वे जल्दी-जल्दी आएं. भारत की जनता को सहने का मौक़ा देकर गौरवान्वित करें. यह कतई न समझें कि भारत की महान जनता इस वक्त समस्याओं से घिरी है तो नई समस्याओं को नहीं सह पाएगी. महंगाई ने उसे डराने का प्रयास किया, जनता महंगाई की सपोर्टर बन गई और इसे बहस से गायब कर दिया. वह समस्याओं को दूर करने का नहीं, बल्कि सहने का अभ्यास कर रही है और काफी सफल है.
Blogs | रवीश कुमार |बुधवार अप्रैल 27, 2022 10:34 AM IST जब कोई कंपनी आपकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ठेका लेने लगे और गारंटी देने लगे, तो थोड़ा सतर्क हो जाने में कोई बुराई नहीं है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एडिट बटन की स्वतंत्रता देकर वाहवाही लूटने वाली वही कंपनियां अपने पास अलगोरिद्म का अधिकार रखती हैं, जिसकी मदद से किस सूचना या विचार को सब तक पहुंचाना है और गायब कर देना है, इसका खेल खेला जाता है. फेसबुक, व्हाट्स एप से लेकर हम ट्विटर के मामले में यह खेल देख चुके हैं. इलॉन मस्क ने ट्विटर को साबुन के भाव में खरीद लिया, इसे लेकर न तो आशंकित होने की ज़रूरत है और न उत्साहित, क्योंकि मौजूदा मालिकों के हाथ में सोशल मीडिया का यह प्लेटफार्म किस तरह से किसी का खाता बंद देते हैं, किसी के विचारों को पहुंचने नहीं देते हैं,आप देख कर अनदेखा कर भी चुके हैं.
World | Reported by: विष्णु सोम, Edited by: वर्तिका |सोमवार अप्रैल 25, 2022 07:11 PM IST Ukraine War: रूसी सैनिकों की अति की दास्तां कई लोगों ने बयां कीं. एक व्यक्ति ने मुझे बताया कि एक कार जिस पर साफ तौर से "बच्चे" लिखा हुआ था, उसे रूसी सैनिकों ने निशाना बनाया, उसे पता नहीं कि उसके भीतर कितने बच्चे मारे गए."
Cryptocurrency | Shomik Sen Bhattacharjee |मंगलवार मार्च 8, 2022 10:54 AM IST माना जाता है कि ये अकाउंट्स अवैध गतिविधियों में शामिल हैं।
Blogs | रवीश कुमार |गुरुवार मार्च 3, 2022 12:45 AM IST आसमान से बम गिर रहे हैं और सामने से गोली आ रही है लेकिन दिमाग़ जहां था वहीं अटका हुआ है. जिससे पता चलता है कि दिमाग़ को खत्म करने की जंग इस दुनिया में हर जगह जीती जा चुकी है. इसका बमों और मिसाइलों से कोई लेना-देना नहीं है. प्रोपेगैंडा इतना मज़बूत है कि बहुत से लोग युद्ध को सही बताते हैं और रंग और नस्ल के नाम पर नफरत इतनी मज़बूत हैं कि मरने की हालत में भी कोई गोरा किसी काले को धक्का देकर अलग कर रहा होता है. मानवाधिकार का बखरा लग गया है. कई तरह के अधिकारों में बंट गया है. लोग अपने-अपने धर्माधिकार, नस्लाधिकार, जात्याधिकार, रंगाधिकार, क्षेत्राधिकार और सर्वाधिकार को श्रेष्ठ बताने और दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हैं. ग़नीमत है यूरोपीय और व्हाइट श्रेष्ठता से भरे किसी जानकार ने भूरे रंग के बारुद को ब्राउन साहिब नहीं पुकारा है.
Zara Hatke | Written by: संज्ञा सिंह |मंगलवार मार्च 1, 2022 10:06 AM IST ओरिजिनल फोटो पहली बार उदयपुर को समर्पित एक ब्लॉग में दिखाई दी थी. 2015 में पोस्ट किया गया, यह उदयपुर में स्थित एक चाय की दुकान की है और इसका नाम भैरूनाथ चाय स्टाल है.
Blogs | प्रियदर्शन |बुधवार फ़रवरी 23, 2022 10:16 PM IST हरियाणा की बीजेपी सरकार हत्या और बलात्कार को जघन्य अपराध नहीं मानती. अपनी दो शिष्याओं से बलात्कार और दो लोगों की हत्या के जुर्म में उम्रक़ैद काट रहे डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम उसकी नज़र में जघन्य अपराधी नहीं हैं. यह बात हरियाणा सरकार ने पंजाब हरियाणा हाइकोर्ट के सामने मानी है. हरियाणा सरकार ने पिछले दिनों गुरमीत राम रहीम की 21 दिन की फर्लो मंज़ूर की. इसके विरोध में अर्ज़ी आई तो सरकार ने बताया कि राम रहीम ने खुद हत्या नहीं की, बस हत्या की साज़िश की- वे 'हार्ड कोर क्रिमिनल' नहीं हैं.
Blogs | प्रियदर्शन |शुक्रवार फ़रवरी 11, 2022 11:21 AM IST बड़ी बात यह है कि फिल्म एक हल्की-फुल्की कहानी के बहाने अपने दर्शकों को इस दुनिया में ले जाती है जहां प्रजातंत्र अब भी सामंती जकड़बंदी का शिकार है, जहां सरकार की कल्याणकारी योजनाएं पहुंचने से पहले दम तोड़ देती हैं और जहां पेट भर भोजन और इज़्ज़त भर कपड़े जुटाना भी एक बड़ी चुनौती है.
Blogs | प्रियदर्शन |बुधवार फ़रवरी 9, 2022 10:23 PM IST साल 2012 में ईरान की महिला फुटबॉल टीम को ओलिंपिक क्वालिफ़ायर मुक़ाबले खेलने से रोक दिया गया. 2007 में ही फ़ीफ़ा ने सुरक्षा के नाम पर कान और सिर ढंकने पर रोक लगा दी थी. जबकि ईरान की लड़कियां अपने बंद समाज से निकल कर फुटबॉल खेलने की कोशिश कर रही थीं और एक हल्का सा समझौता उन्हें बड़े अवसर दे सकता था. लेकिन जोर्डन की टीम को तब विजेता घोषित कर दिया गया. लेकिन तब फीफा के फ़ैसले को बहुत सारे लोगों ने पश्चिमी दुनिया के अहंकार की तरह देखा. यह दलील दी गई कि ओलिंपिक में मूलतः पश्चिमी ढर्रे के कपड़ों की ही इजाज़त दी जा रही है. इस सांस्कृतिक युद्ध को फिलहाल छोड़ें, लेकिन इस ज़िद की वजह से ईरान की लड़कियों की आज़ादी की ओर बढ़ने की एक कोशिश कुछ पीछे रह गई.
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