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विकास मानकतला: कैडेट हूडा से स्पेशल एजेंट अभय तक, एक सफर जिसमें हैं एक्शन और इमोशन

लेफ्ट राइट लेफ्ट आज भी दर्शकों के दिलों में बसा है. “19 साल हो गए, लेकिन रोज मुझे मैसेज, लेटर्स और डीएम आते हैं.

विकास मानकतला: कैडेट हूडा से स्पेशल एजेंट अभय तक, एक सफर जिसमें हैं एक्शन और इमोशन
विकास मानकतला: कैडेट हूडा से स्पेशल एजेंट अभय तक,
नई दिल्ली:

स्पेशल ऑप्स 2 में अभय के किरदार के लिए विकास मानकतला ने जमकर मेहनत की. वे बताते हैं, “हर किरदार का अपना सफर और माइंडसेट होता है. अगर आप उसे समझ लेते हैं तो सफर आसान हो जाता है.” फिटनेस के लिए उन्होंने 10.5 किलो वजन बढ़ाया और फिर मार्शल आर्ट्स, हैंड-टू-हैंड कॉम्बैट, वेपन ट्रेनिंग से लेकर फ्लेक्सिबिलिटी तक हर चीज पर काम किया. “फिजिकली मेहनत की, लेकिन असली क्रेडिट नीरज सर और टीम को जाता है जिन्होंने अभय को गढ़ा.”

19 साल बाद भी हूडा का क्रेज

लेफ्ट राइट लेफ्ट आज भी दर्शकों के दिलों में बसा है. “19 साल हो गए, लेकिन रोज मुझे मैसेज, लेटर्स और डीएम आते हैं. जब स्पेशल ऑप्स 2 का ट्रेलर आया तो सबने कहा – कैडेट हूडा अब स्पेशल एजेंट बन गया है. वो प्यार असली और सच्चा है.” और ये फैनडम उस दौर का है जब सोशल मीडिया नहीं था. विकास मुस्कुराते हुए कहते हैं, “तब असली फैनडम होता था – खून से लिखे खत, लिपस्टिक के निशान, कपड़े… ऐसी दीवानगी अब कम देखने को मिलती है.”

संघर्ष और भक्ति का सहारा

विकास ने कई बार स्क्रीन से लंबा ब्रेक लिया. “लोग क्या कहेंगे, इससे मैंने हमेशा दूरी बनाई. लेकिन हाँ, इन ब्रेक्स में डिप्रेशन और एंग्जायटी भी आई.” उनके लिए सबसे बड़ा सहारा बना भोलेनाथ से जुड़ाव. “शिव से गहरा कनेक्शन ही मुझे बार-बार बचाता रहा. जब आप सचमुच समर्पण कर देते हैं, तो भीतर से एक अद्भुत ऊर्जा बहने लगती है.”

गुस्सा और बिग बॉस

बिग बॉस में गुस्से वाले टैग पर वे साफ कहते हैं, “पूरी कहानी कभी नहीं दिखाई जाती. दिन में दस इमोशंस आते हैं, लेकिन टीवी पर सिर्फ 2-3 हाइलाइट होते हैं. गुस्सा बिकता है, इसलिए वही दिखता है.” लेकिन उनके लिए गुस्से का मतलब अलग है. “असल सवाल ये नहीं कि गुस्सा क्यों आया, बल्कि ये है कि आप उसमें कितनी देर तक फंसे रहते हैं. जरूरी है कि उस गुस्से को प्यार और शांति में बदलो.”

गुनजन – ताक़त और साथी

अपनी पत्नी गुनजन के बारे में विकास की आवाज नरम पड़ जाती है. “वो मेरी सबसे बड़ी ताक़त हैं. मुश्किल वक़्त में साथ निभाना आसान नहीं होता, लेकिन गुनजन हमेशा मेरे साथ खड़ी रहीं. मैं वाक़ई बहुत भाग्यशाली हूं.” उनकी मुलाक़ात पहले प्रोफेशनल मीटिंग में हुई, फिर एक दिन जिम से लौटते वक़्त बाजार में अचानक मुलाक़ात हुई. “गुनजन कहती हैं कि जब हम मिले तो ट्रैफिक भी स्लो मोशन में चलने लगा था,” विकास हँसते हुए याद करते हैं.

हूडा वही है, बस और गहरा हो गया

कैडेट हूडा से लेकर एजेंट अभय तक, विकास का मंत्रा एक ही रहा है – किरदार को ईमानदारी से निभाना. “जब आप किरदार में होते हैं, तभी वो सच्चा लगता है. और शायद यही वजह है कि 19 साल बाद भी लोग उतना ही प्यार दे रहे हैं.”
 

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