हेल्थ, शिक्षा और आय से वंचित ट्राइबल ग्रुप की जिंदगी सुधार रही उषा सिलाई स्कूल
भारत में ट्राइबल की आबादी 10 करोड़ से भी ज्यादा है और यह आबादी पूरी दुनिया के किसी भी देश की तुलना में सबसे ज्यादा है. हालांकि, ट्राइबल आबादी को दी गई सुरक्षा के बावजूद यह ग्रुप विकास के 3 सबसे जरूरी आकलन हेल्थ, एजुकेशन और इनकम से वंचित है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए उषा सिलाई स्कूल कार्यक्रम ने 'ट्राइबल एक्सक्लूसिव उषा सिलाई स्कूल प्रोजेक्ट' शुरू किया. इस पहल का उद्देश्य आदिवासी महिलाओं को बेहतर आय अर्जित करने में मदद करके उनका समर्थन करना है.
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उषा इंटरनेशनल लिमिटेड ने भारत के दक्षिणी भाग निकोबार में ट्राइबल डेवलपमेंट कौंसिल (टीडीसी) के साथ भागीदारी की है. निकोबार जिले के नानकॉरी में दस नए उषा क्लासिकल सिलाई स्कूल खोले गए हैं और 29 नवंबर से 7 दिसंबर तक कमोर्टा के कम्युनिटी हॉल में ट्रेनिंग आयोजित किया गया था. निकोबार में अलग-अलग गांवों से चुनी गई महिला उद्यमी गरीब आदिवासी समुदायों से हैं.
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प्रभा ढांगा इससे अच्छी कमाई कर रही है और अपने गांव की अन्य महिलाओं को भी ट्रेनिंग दे रही है लेकिन नक्सल प्रभावित क्षेत्र में होना कोई आसान काम नहीं था.हालांकि, प्रभा को भरोसा है कि आदिवासियों के भाग्य और क्षेत्र की प्रतिष्ठा को बेहतरी के लिए बदला जा सकता है.