होमफोटोकुशलता के कदम: सिलाई स्कूल को अडॉप्ट कर ग्रामीण महिलाओं की जंदगी को दें नया रुख
कुशलता के कदम: सिलाई स्कूल को अडॉप्ट कर ग्रामीण महिलाओं की जंदगी को दें नया रुख
कोरोना महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया बंद हो गई थी तब उषा के अभिनव 'एडॉप्ट ए सिलाई स्कूल' अभियान से देश भर में कई महिलाओं की जिंदगी बदल कर रख दी हैं. इस पहल के दौरान कार्यक्रम के दौरान अपनाए गए 54 सिलाई स्कूल महामारी का सामना करने में सक्षम रहे. आइए आपको बताते है कि इस अभियान ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरतमंद महिलाओं के जीवन को कैसे प्रभावित किया है.
इस पहल का उद्देश्य पोटेंशियल रखने वाले लोगों को एकत्रित करना है, जो दुनिया में कहीं भी रह सकते हैं और दान दे सकते हैं साथ ही में जो ग्रामीण भारतीय महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण में विश्वास भी करते हैं.
ममता कुमारी बताती है कि पहले उनके दिन रसोई और खेत में अपने पति की सहायता करते हुए व्यतीत हुए है. हालांकि, 2019 में, उन्होंने सिलाई प्रशिक्षण में दाखिला लिया, और चीजें बेहतर होने लगीं.
उन्होंने उषा से सात दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त किया और अपना खुद का सिलाई स्कूल खोला, जिसे राकेश श्रीकांत, अनिवासी भारतीय (एनआरआई) द्वारा सैन जोस, कैलिफोर्निया में प्रायोजित किया गया था.
ममता ने कहा कि श्रीकांत से प्राप्त धन और समर्थन ने उन्हें और उनके समुदाय की महिलाओं को मदद की है जो उनके सिलाई स्कूल में प्रशिक्षण ले रही हैं, लेकिन उनका मानना है कि अधिक मेहनत और अधिक समर्थन संग, वह अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित करने में सक्षम होंगी.
प्रियंका के मुताबिक, पहले उनके गांव की महिलाएं अपने कपड़े सिलने के लिए शहर जाती थीं, लेकिन अब वह उनके लिए कपड़े सिलती हैं, इसलिए उन्हें कम यात्रा करनी पड़ती है और इससे उन्हें पैसे कमाने में भी मदद मिल रही है.
एक समय था जब प्रियंका और उनके पति के लिए अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्चा उठाना मुश्किल हो रहा था.उनके सिलाई स्कूल की बदौलत रोज़मरा खर्च की समस्या अब ख़त्म-सी हो गई है.
हजारीबाग जिले की 55 वर्षीय विधवा श्रद्धा देवी कई लोगों के लिए एक हीरो बन गई हैं क्योंकि उन्होंने अपना खुद का सिलाई स्कूल शुरू करके अपना जीवन बदल दिया है और एक ताकत की वो लोगों की भी जिंदगी बदल सकती हैं.