देखिए कैसे USHA ट्रेनिंग और प्रॉडक्शन बदल रही है महिलाओं की जिंदगियां
उषा सिलाई ट्रेनिंग और प्रॉडक्शन केंद्र विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं को इकट्ठा करने, सिलाई और इसमें ट्रेनिंग में निपुण होने और बाजार के लिए प्रॉडक्ट्स बनाने के लिए बनाई गई केंद्रीय सुविधा है. पंजाब में भगवान सिंह मेमोरियल फाउंडेशन, ओडिशा में संकल्प एनजीओ और मेघालय में गैलेक्सी एंटरप्राइज तीन ऐसे केंद्र हैं जो गांव की महिलाओं को सशक्त बना रहे है और ग्रामीण इलाकों में बदलाव ला रहे है.
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यह ट्रेनिंग और प्रॉडक्शन सेंटर मॉडल साल 2015 में स्थापित किया गया था.इस मॉडल से तुरंत ही महिलाओं को लाभ मिलना शुरू हो गया था. ट्रेनिंग और प्रॉडक्शन सेंटर मॉडल खास तौर पर महिलाओं को पहले 15 दिन के लिए ट्रेनिंग देने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इन 15 दिनों में 2 दिन मैकेनिकल और 13 दिन सिलाई के लिए महिलाओं को दिए जाते है.
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ट्रेनिंग और प्रॉडक्शन सेंटर मॉडल के ही हिस्से में उषा सिलाई स्कूल प्रोग्राम एक एक्सपेर्टीस लेकर आया है जो पार्टनर की जरूरत के हिसाब से एक स्पेशल ट्रेनिंग भी करवाती है. यानी कि वो ट्रेनिंग किसी भी चीज के लिए हो सकती है. जैसे बैग, यूनिफार्म, कपड़े और अन्य एक्सेसरीज, यह ट्रेनिंग 2 लेवल में दी जाती है, पहली बेसिक और दूसरी एडवांस्ड, लेवल का फैसला सिखने वाले के कौशल पर निर्भर करता है.
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ट्रेनिंग के बाद गैलेक्सी एंटरप्राइजेज ने एक कोऑर्डिनेटर को भी अपॉइंट किया है जो लाभार्थियों को संभालने और दिन-प्रतिदिन के आधार पर केंद्र का प्रबंधन करेगा. इन महिलाओं ने लोकल मार्किट से बहुत सारे आर्डर भी लिए और इसी साल के अप्रैल में लॉकडाउन से पहले लगभग 30 नाइटी की डिलीवरी भी की जिससे उन्हें 12000 रुपये की कमाई की. प्रॉडक्शन सेंटर पर मौजूद महिलाओं ने पेटीकोट की सिलाई कर 6000 रुपये की कमाई की. अभी इन्हें, 50 फ्रॉक बनाने का आर्डर भी मिला है जिससे इन्हें लगभग 25000 की कमाई होने वाली है.
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एनजीओ संकल्प, उषा सिलाई स्कूल प्रोग्राम के कोलैबोरेशन के साथ एक और आर्गेनाईजेशन भी महिला एंटरप्रेन्योर्स बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है. 5 ग्रामीण पंचायत में यह एनजीओ सिर्फ एकमात्र स्किल डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट है. इस एनजीओ ने 20 महिलाओं को एंटरप्रेन्योर बनाया है और 8000 मास्क्स आस-पास के गाँव में बांटे हैं. यही-नहीं यह मास्क कोरोना महामारी के दौरान मुफ्त में बांटे गए हैं.