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हबल टेलीस्‍कोप का कमाल, वैज्ञानिकों ने खोजा तीसरे प्रकार का ब्‍लैक होल! बाकी 2 को जानते हैं आप?

वैज्ञानिकों को मध्यवर्ती आकार (intermediate-sized) के ब्लैक होल का मजबूत दावेदार मिला है। क्‍या होते हैं ये? आइए जानते हैं।

  • ब्‍लैक होल (Black Hole) वैज्ञानिकों के लिए पहेली बने हुए हैं। साइंटिस्‍ट उनके बारे में जितना जानते हैं, सवाल उतने ही बढ़ते चले जाते हैं। ब्‍लैक होल्‍स हमारे ब्रह्मांड में ऐसी जगहें हैं, जहां फ‍ि‍ज‍िक्‍स का कोई नियम काम नहीं करता। वहां सिर्फ गुरुत्वाकर्षण और घना अंधेरा है। यह गुरुत्वाकर्षण इतना पावरफुल है कि उसके असर से प्रकाश भी नहीं बचता। जो भी चीज ब्‍लैक होल के अंदर जाती है, वह बाहर नहीं आती। ब्‍लैक होल्‍स की स्‍टडी कर रहे वैज्ञानिकों को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। उन्‍हें मध्यवर्ती आकार (intermediate-sized) के ब्लैक होल का मजबूत दावेदार मिला है। क्‍या होते हैं ये? आइए जानते हैं।
  • ब्‍लैक होल्‍स को आमतौर पर दो जाने-पहचाने आकारों में देखा गया है। पहला- छोटे साइट के ब्‍लैक होल, जिनका द्रव्‍यमान हमारे सूर्य से कई गुना अधिक है। दूसरा- विशालकाय ब्‍लैक होल्‍स, जिनका वजन हमारे सूर्य के द्रव्‍यमान से भी लाखों-अरबों गुना ज्‍यादा है। लेकिन मध्यम-द्रव्यमान वाले ब्लैक होल एक तीसरे प्रकार के रूप में सामने आ रहे हैं।
  • रॉयल एस्‍ट्रोनॉमिकल सोसायटी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘इंटरमीडिएट साइज' या मध्‍यम द्रव्‍यमान वाले ब्लैक होल हमारे सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 100 से 1 लाख गुना वजनी हो सकते हैं। लेकिन ये कैसे बनते है, कहां रहते हैं और इतने दुर्लभ क्‍यों हैं? इन सवालों का पुख्‍ता जवाब अभी नहीं मिला है। एक जवाब यह माना जा रहा है कि इनकी संख्‍या बहुत कम है और ये बहुत दूर स्थित हैं।
  • रिसर्चर्स की टीम गोलाकार स्टार क्लस्टर मेसियर 4 (M4) के कोर को स्‍टडी कर रही थी। इस दौरान उन्‍हें ‘इंटरमीडिएट साइज' के ब्‍लैक होल का पता चला। हालांकि अभी इस पर मुहर नहीं लगी है। यह एक मजबूत कैंडिडेट बनकर उभरा है। इस खोज में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के हबल टेलीस्‍कोप ने। पिछले करीब 30 साल से यह टेलीस्‍कोप अंतरिक्ष में तैनात है।
  • ‘इंटरमीडिएट साइज' के ब्‍लैक होल्‍स पर कई और रिसर्च हुई हैं। हाल के वर्षों में ऑब्‍जर्वेशंस तकनीक की मदद से वैज्ञानिकों ने दो और ऐसे ब्‍लैक होल्‍स का पता लगाया है, जो ‘इंटरमीडिएट साइज' के ब्‍लैक होल हो सकते हैं। इनके नाम 3XMM J215022.4-055108 और HLX-1 हैं। ये आकाशगंगाओं के बाहरी इलाके में पाए गए और हमारे सूर्य से हजारों गुना बड़े हैं।
  • ‘इंटरमीडिएट साइज' के ब्‍लैक होल्‍स की खोज नई नहीं है। साल 2008 में हबल टेलीस्‍कोप की मदद से ही खगोलविदों ने ऐसे एक ब्‍लैक होल के होने का ऐलान किया था। लेकिन लिमिटेड डेटा और वैकल्पिक थ्‍योरी की वजह से खगोलविदों के निष्‍कर्षों पर अबतक मुहर नहीं पाई है। नए ‘इंटरमीडिएट साइज' के ब्‍लैक होल को जिस मेसियर 4 (M4) में खोजा गया है, वह तारों का एक समूह है। वैज्ञानिक इसे सीधे नहीं देख पाए है। इसके आसपास मौजूद तारों की गति से ब्‍लैक होल का पता चला है। वैज्ञानिकों का मानना है कि तारे, इस ब्‍लैक होल के गुरुत्‍वाकर्षण में फंसे हुए हैं।
  • तारों की गति की मदद से वैज्ञानिकों ने इस ‘इंटरमीडिएट साइज' के ब्‍लैक होल का अनुमान लगाया। यह हमारे सूर्य का 800 गुना हो सकता है। हबल टेलीस्‍कोप के अलावा रिसर्चर्स ने यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी के गैया स्‍पेसक्राफ्ट के डेटा को भी टटोला। उसने मेसियर 4 (M4) के 6000 से ज्‍यादा तारों को स्‍कैन किया। सभी तस्‍वीरें सांकेतिक और Pixabay से।
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