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22.5 करोड़ km दूर ‘एलियंस की दुनिया में' ऐसे होता है सूर्यास्‍त, क्‍या है इस तस्‍वीर का मकसद

कभी सोचा है कि मंगल ग्रह पर सूर्य अस्‍त होते समय कैसा नजारा दिखता होगा। नासा के क्‍यूरोसिटी रोवर (Rover Curiosity) की नई तस्‍वीर ने यह अनुमान लगाने की कोशिश की है।

  • पृथ्‍वी से बाहर जीवन की संभावनाएं तलाशते वैज्ञानिक सबसे ज्‍यादा मंगल ग्रह (Mars) को टटोलते हैं। ‘एलियंस की दुनिया' के खास नजारे हमारे सामने आते रहते हैं, क्‍योंकि अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी नासा (Nasa) के कई मिशन मंगल ग्रह पर चल रहे हैं। कभी सोचा है कि मंगल ग्रह पर सूर्य अस्‍त होते समय कैसा नजारा दिखता होगा। नासा के क्‍यूरोसिटी रोवर (Rover Curiosity) की नई तस्‍वीर ने यह अनुमान लगाने की कोशिश की है। पहली बार सूर्य की स्‍पष्‍ट किरणों को मंगल ग्रह पर तस्‍वीर में कैद किया गया है।
  • तस्‍वीर खींचने वाला क्यूरियोसिटी रोवर साल 2012 से मंगल ग्रह पर अपने मिशन को अंजाम दे रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, आमतौर पर क्यूरियोसिटी रोवर अपने मास्‍ट कैमरा की मदद से इमेजेस को कैप्‍चर करता है। मास्‍ट कैमरा में दो सेंसर लगे हुए हैं। इनमें से एक मॉडरेट रेजॉलूशन वाला लेंस है, जबकि दूसरा हाई-रेजॉलूशन कैमरा है, जो दूर तक दिखाई देने वाली चीजों को कैमरे में कैद करता है।
  • क्यूरियोसिटी रोवर सूरज की किरणों की जो तस्‍वीर ली है, उसे 2 फरवरी को खींचा गया था। यह तब की बात थी जब रोवर बादलों से जुड़ा सर्वे कर रहा था। तस्‍वीर इसलिए अहम हो जाती है, क्‍योंकि इसमें दिखाई दे रहे बादल काफी ऊंचाई पर हैं। यानी वो ऐसी जगह हैं जहां मौसम बेहद ठंडा है और बादल संभवतः कार्बन डाइऑक्साइड या सूखी बर्फ से बने हैं। आमतौर पर मंगल ग्रह पर बादल 60 किलोमीटर की ऊंचाई तक ही रहते हैं।
  • क्‍यूरियोसिटी रोवर मंगल ग्रह के बादलों को टटोल रहा है, क्‍योंकि बादल किसी भी ग्रह के मौसम को समझने के लिए जरूरी जानकारी दे सकते हैं। इनके बारे में ज्‍यादा से ज्‍यादा समझकर वैज्ञानिक मंगल ग्रह के वातावरण के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं। क्‍यूरियोसिटी ने जनवरी महीने में बादलों का सर्वे शुरू किया था, जो मार्च महीने में खत्‍म होगा। 2 फरवरी को ली गई तस्‍वीर में सूर्य तो नजर नहीं आता, लेकिन साल 2015 की एक तस्‍वीर में उसने सूर्य को कैमरे में कैद किया था।
  • वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्‍वी के मुकाबले मंगल ग्रह पर सूर्यास्‍त ज्‍यादा शानदार और साफ-सुथरा होता है, क्‍योंकि वहां सूर्य की किरणें बादलों को अलग तरह से रोशन करती है। लगभग एक टन के क्‍यूरियोसिटी रोवर को साल 2011 में पृथ्वी से लॉन्च किया गया था। 9 महीनों की कठिन यात्रा के बाद यह मंगल ग्रह की सतह पर उतरा था। क्‍यूरियोसिटी रोवर का मकसद यह जानना है कि क्‍या कभी मंगल ग्रह पर जीवन था। तस्‍वीरें, नासा व अन्‍य से।
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