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राजस्थान की धरती पर पहली बार मर्दानी ने दिखाया शौर्य!

जवाहर कला केन्द्र इन दिनों जगमगा उठा है. लोकरंग महोत्सव में देशभर से आए कलाकार अपने प्रदेशों की लोक कलाओं की आभा से इसकी शोभा बढ़ा रहे हैं. बुधवार को लोकरंग महोत्सव का चौथा दिन रहा. मध्यवर्ती में राष्ट्रीय लोक नृत्य समारोह में सात प्रदेशों के 120 से अधिक कलाकारों ने आठ लोक विधाओं की प्रस्तुति दी.

  • स्वांग नृत्य की प्रस्तुति में राजस्थान के जनजातीय जीवन को दर्शाया गया. स्वांग नृत्य सहरिया जनजाति के कलाकारों की ओर से किया जाता है. जंगली जानवरों का स्वांग रच कलाकारों ने विभिन्न करतब दिखाए जिन्हें देखकर सभी रोमांचित हो उठे.
  • उत्तराखंड के छोलिया और जम्मू-कश्मीर के पंजेब नृत्य के बाद गोवा के कुणबी नृत्य की प्रस्तुति हुई. देवली समुदाय के लोग विभिन्न समारोह में कुणबी नृत्य करते हैं. प्रस्तुति में स्थानीय भाषा में मध्य लय के गीत पर महिलाओं द्वारा नाविक से नदी पार करवाने की विनती करते हुए प्रसंग को दिखाया गया.
  • मध्यवर्ती में थार के गूंजते स्वर महफिल के अगुआ बने। सधे स्वरों में लंगा गायकों ने राजस्थानी संगीत के सौंदर्य से सभी को रूबरू करवाया. उन्होंने सिंधी सारंगी, खड़ताल और ढोलक की संगत के साथ, 'आयो रे हेली' और 'गहणलियों माया मोणो नियो राज' गीत गाए. बच्चों के गायन कौशल से सभी मंत्र मुग्ध हो उठे.
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