Leaving No One Behind: ट्रांसजेंडर्स के लिए भारत में पहला राष्ट्रीय सम्मेलन दिल्ली में आयोजित किया गया
एक ऐसा समाज जहां ट्रांसजेंडर को समान अवसर मिलते हो और उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता हो.इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत में आज यानी कि 15 दिसंबर को नई दिल्ली में ट्रांसजेंडर्स के लिए पहला राष्ट्रीय सम्मेलन मनाया. उन सारे लोगों को इस इवेंट में सम्मानित किया गया जो ट्रांसजेंडर और उनके कम्युनिटी के लिए काम करते आए हैं.
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दिन भर चलने वाले कॉन्क्लेव में ट्रांसजेंडर समुदाय जैसे लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, ट्रांसजेंडर अधिकार और कार्यकर्ता, विश्व महिला संगठन की अध्यक्ष डॉ आशमा बेगम, ज़ैनब पटेल, निदेशक समावेश और विविधता, भारत में केपीएमजी, ट्रांसजेंडर के लिए राष्ट्रीय परिषद की सदस्य, आर्यन पाशा, भारत के पहले ट्रांस बॉडीबिल्डर, अन्य लोगों ने अपने विचार इस इवेंट में साझा किया.
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अब से हर साल यह इवेंट आयोजित किया जाएगा. यह इवेंट उन सभी स्टेकहोल्डर के लिए होगा जो इस कम्युनिटी के हो या उनके लिए काम करते हो, या फिर सिविल समाज, कॉर्पोरेट दुनिया या इन मुद्दों के लिए खड़े हो ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के लिए चुनौतियों को कम करने में कोई मदद दें सकें.
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वहीं इवेंट के दौरान,एडवोकेट रवि एस पाणि ने इस बात को हाईलाइट किया कि समाज को यह सीखने की जरूरत है कि आगे बढ़ने की इस प्रक्रिया में कोई भी पीछे न रहे,उन्होंने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के बारे में चर्चा की और कुछ खामियों पर भी रौशनी डाली. उन्होंने कहा कि अधिनियम ट्रांसजेंडरों के लीगल अधिकारों के बारे में बात नहीं करता है और न ही ट्रांसजेंडर समुदाय से संबंधित लोगों के लिए धर्म के चुनाव के बारे में चर्चा करता है. साथ ही में उन्होंने यह भी बताया कि यह एक्ट ट्रांसजेंडर के लिए एजुकेशन, हेल्थ और पोषण जैसे अहम मुद्दों पर भी बात नहीं करता.