तस्वीरों में: 'समर्थ' - विकलांग व्यक्तियों के लिए एक समावेशी समाज बनाने की पहल
समावेशिता को बढ़ावा देने, सोच को बदलने और विकलांग लोगों के लिए जीवन को बेहतर बनाने के लिए, Hyundai ने NDTV के साथ पार्टनरशिप में 'समर्थ' पहल की शुरुआत की है. यह भारत में विकलांग लोगों के प्रति ज्यादा जागरूक और समावेशी समाज बनाने की दिशा में एक कदम है.
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यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज, दिल्ली में फिजियोलॉजी के प्रोफेसर और MedEd में इंटरनेशनल काउंसिल फॉर डिसेबिलिटी इंक्लूजन के सह-अध्यक्ष डॉ. सतेंद्र सिंह ने 'समर्थ' इनिशिएटिव के लॉन्च पर कहा, "हम विकलांग हैं और हमें गर्व है." डॉ. सिंह ने कहा, "लोग विकलांगता के साथ पैदा होते हैं, समाज ही उन्हें विकलांग महसूस कराता है. हम अपनी विकलांगता से शर्माते नहीं हैं, हमें इस पर गर्व है."
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विकलांगता अधिकार अधिवक्ता और ज्योतिर्गमय फाउंडेशन की फाउंडर टिफनी बरार (Tiffany Brar) ने विकलांग महिलाओं और बच्चों के लिए जरूरी कुछ हस्तक्षेपों पर चर्चा की, जैसे सरकारी स्कूलों में क्लस्टर मॉडल के बजाय बच्चों की जरूरतों के मुताबिक रिसोर्स टीचर्स को एलोकेट करना. टिफनी बरार ने कहा कि लोकोमोटिव डिसेबिलिटी और ऑटिज्म से पीड़ित महिलाओं को रिप्रोडक्टिव हेल्थ और मेंसुरल हाइजीन के बारे में विशेष कक्षाओं के माध्यम से शिक्षित किया जाना चाहिए.
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महाराष्ट्र की महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे, दिव्यांग विभाग की स्थापना के बाद विकलांग लोगों (PwD) के जीवन में आए बदलावों पर चर्चा करने के लिए NDTV के साथ पार्टनरशिप में Hyundai की पहल 'समर्थ' के लॉन्च में शामिल हुईं. उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र विकलांग लोगों के लिए सबसे ज्यादा बजट के साथ एक डेडिकेटेड डिपार्टमेंट सेटअप करने वाला पहला राज्य है.
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भारत की पहली व्हीलचेयर मॉडल और #MyTrainToo की फाउंडर विराली मोदी, विकलांग लोगों (PwD) के लिए रेलवे क्षेत्र में समावेशी परिवहन (inclusive transportation) की कमी को उजागर करने के लिए हुंडई की पहल 'समर्थ' के लॉन्च पर पैनल डिस्कशन में शामिल हुईं. विराली मोदी ने कहा, "वे हमारे इस्तेमाल के लिए आसान क्यों नहीं हैं और हम इस तरह की स्क्रूटनी के अधीन क्यों हैं? हम सामान या सिर्फ मांस के टुकड़े तो नहीं हैं. हमारी अपनी गरिमा और अखंडता है."
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हुंडई की पहल 'समर्थ' के लॉन्च में शामिल हुए हुंडई मोटर इंडिया के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, तरुण गर्ग ने विकलांग लोगों के सपोर्ट के लिए ज्यादा लोगों तक पहुंचने के बारे में बात की. तरुण गर्ग ने कहा, "हम अकेले मौजूदा हालातों को नहीं बदल सकते हैं. इसलिए, NDTV के साथ मिलकर, हम सभी भारतीयों को व्यक्तिगत रूप से और एक समुदाय के रूप में अपने आसपास के माहौल को बेहतर करने और विकलांग लोगों के लिए समान अवसर पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं."
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Go Sports Foundation की चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEO) दीप्ति बोपैया ने कहा, "विकलांग लोगों (PwD) को मेनस्ट्रीम से अलग कर दिया गया है और वो उस उत्साह का आनंद लेने से वंचित हैं जो एक खेल किसी व्यक्ति को देता है. हम युवा दिव्यांगों को पैरा स्पोर्ट्स की दुनिया में लाने और उन्हें उनकी सर्वश्रेष्ठ क्षमता तक ले जाने की कोशिश कर रहे हैं."
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विकलांगों के लिए समर्थनम ट्रस्ट के फाउंडर मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. महंतेश जीके, हुंडई की 'समर्थ' पहल के लॉन्च पर एक पैनल में शामिल हुए, और नेत्रहीन लोगों के लिए क्रिकेट को एक प्रोफेशनल स्पोर्ट के तौर पर आगे बढ़ाने के लिए उनके ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया. उन्होंने कहा, "हुंडई के साथ मिलकर, हम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए जमीनी स्तर के पुरुष और महिला नेत्रहीन क्रिकेटरों को ट्रेंड करने और उन्हें बढ़ावा देने की कोशिश करना चाहते हैं. क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं है, यह नेत्रहीन लोगों में प्रतिस्पर्धी गुणों (competitive qualities) का निर्माण करता है."
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हुंडई, की पहल 'समर्थ' के लॉन्च में शामिल होते हुए डोपामाइन-रेस्पॉन्सिव डिस्टोनिया डिसऑर्डर से पीड़ित सयोमदेब मुखर्जी (Sayomdeb Mukherjee) ने चर्चा की कि कैसे उन्होंने एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार के कारण हुई अपनी विकलांगता पर काबू पाया. आज, वो एक सफल व्यक्ति हैं जिन्होंने दो किताबें लिखी हैं, अपना खुद का रेडियो शो होस्ट किया है और एक फिल्म में अभिनय किया है जिसके लिए उन्होंने पुरस्कार भी जीता है.
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अश्विनी अंगड़ी ट्रस्ट की फाउंडर और ट्रस्टी अश्विनी अंगड़ी, जो दृष्टिबाधित लोगों के लिए एक रेसिडेंशियल स्कूल बेलाकु एकेडमी चलाती है, उन्होंने शिक्षा के महत्व पर बात की और कहा दिव्यांगों के लिए शिक्षा और पहुंच में अंतर को पाटने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने की जरूरत है.
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उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने दिव्यांग लोगों के लिए मोबिलिटी को आसान बनाने और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को ज्यादा सुलभ बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर रोशनी डाली. उन्होंने विकलांग व्यक्तियों को शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना अपनी सरकार की प्राथमिकता बताया.
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दिव्यांग लोगों को कई स्किल सिखाने और उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्रेडिट फैसिलिटी प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार की कई पहलों पर रोशनी डालते हुए, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने एक महत्वपूर्ण पहल के बारे में बात की, जिसे उनका मंत्रालय शुरू कर रहा है. हुंडई द्वारा 'समर्थ' के लॉन्च पर ईरानी ने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय 14 लाख आंगनबाड़ियों के माध्यम से जिला चिकित्सा अधिकारियों, सामाजिक न्याय मंत्रालय के साथ पार्टनरशिप में देश में सबसे बड़े अभियानों में से एक शुरू कर रहा है. इस अभियान के तहत बच्चों में किसी भी तरह की विकलांगता की पहचान करने और फिर उन बच्चों की आगे सही तरह से मदद करने के लिए छह साल से कम उम्र के लगभग 7.5 करोड़ बच्चों को कवर किया जाएगा.
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सोशल जस्टिस और एम्पावरमेंट मिनिस्टर डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि दिव्यांग लोगों के लिए शिक्षा और नौकरियों को और ज्यादा सुलभ बनाने के प्रयास में, विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 ने सरकारी नौकरियों, सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूलों में दिव्यांगों के लिए आरक्षण बढ़ा दिया है. विकलांगता के रूप में पहचानी जाने वाली कैटेगरी को भी 7 से बढ़ाकर 21 कर दिया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि नई शिक्षा नीति (NEP) यह सुनिश्चित करती है कि कक्षा 1 से 6 तक की पाठ्यपुस्तकें (textbooks) भारतीय सांकेतिक भाषा (Sign Language) में उपलब्ध कराई जाएं.
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हुंडई की पहल 'समर्थ' के लॉन्च में शामिल होते हुए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विस्तार से बताया कि सरकार ने राज्य में 75,000 दिव्यांग लोगों के लिए क्या किया है. मंत्री ने कहा, "सबसे पहले, हम उनकी भावनाओं और खास जरूरतों को समझने की कोशिश करते हैं और इसे ध्यान में रखते हुए, हम उन्हें बस स्टैंड, निजी बसों, सरकारी बसों आदि में आसान पहुंच के लिए रैंप प्रोवाइड कर रहे हैं. और जहां कोई रैंप नहीं हैं, हम रेलिंग प्रोवाइड करते हैं. अस्पतालों में, व्हीलचेयर अवेलेबल कराए जाते हैं. 3,300 स्कूलों में विकलांग-अनुकूल शौचालय (Disabled-friendly toilets) उपलब्ध कराए गए हैं. 117 सरकारी आवासों को सुलभ बनाने के लिए सभी सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं."
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धान्या रवि से मिलें, जो ओस्टियोजेनेसिस इम्परफेक्टा (Osteogenesis Imperfecta - OI) नाम के एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार के साथ पैदा हुई थीं, जिसकी वजह से किशोरावस्था तक उन्हें 200 से ज्यादा फ्रैक्चर हो चुके थे. हुंडई की पहल 'समर्थ' के लॉन्च पर, धान्या ने अपनी कहानी सुनाई और बताया कि कैसे उन्होंने अपने बचपन के दौरान तकलीफें झेली. उनकी विकलांगता के बारे में जागरूकता की कमी के कारण, उन्हें पारंपरिक स्कूली शिक्षा के बजाय घरेलू स्कूली शिक्षा (homeschooling) का विकल्प चुनना पड़ा. लेकिन, इससे धान्या के जज्बे में कोई कमी नहीं आई. और आज वह विकलांगता प्रचारक (Disability Evangelist) के तौर पर जानी जाती हैं.
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NDTV के साथ पार्टनरशिप में हुंडई की पहल 'समर्थ' के लॉन्च पर विकलांगता अधिकार अधिवक्ता और निपमैन फाउंडेशन के संस्थापक निपुन मल्होत्रा ने कहा, "विकलांग लोगों को दया की नजर से देखा जाता है, और लोगों को लगता है कि उनकी जरूरतें केवल खाना, घर और कपड़े तक सीमित हैं. और इन तीनों के अलावा जैसे उनकी कोई को दूसरी जरूरत या उम्मीद नहीं है."
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विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी में टीम लीड (Disability Inclusion and Access) दामिनी घोष, NDTV के साथ पार्टनरशिप में हुंडई की पहल 'समर्थ' के लॉन्च पर एक चर्चा में शामिल हुईं जो विकलांग लोगों के लिए समावेशी समाज बनाने पर थी. यह विकलांग लोगों को समान अधिकार दिलाने के लिए एक आंदोलन है. दामिनी घोष ने मौजूदा कानूनों के बारे में बात की और बताया कि उनका इम्प्लीमेंटेशन समय की मांग है.
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विकलांग लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बात करते हुए, सेरेब्रल पाल्सी के साथ पैदा हुई तमना चोना की मां शायमा चोना ने कहा, "क्या सरकार ने सहायक जीवन के बारे में सोचा है जहां आपकी लाइफस्टाइल ऐसी हो जो किसी भी तरह की समस्या वाले बच्चे की लाइफस्टाइल से मेल खाती हो और जिम्मेदारी लेने और देखभाल के हाई स्टैंडर्ड का पालन करने में सक्षम हो?"
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NDTV के साथ पार्टनरशिप में हुंडई की पहल 'समर्थ' के लॉन्च प्रोग्राम में अपने भाषण में, आवास और शहरी मामलों के मंत्री, हरदीप सिंह पुरी ने इस बात पर जोर दिया कि देशों और समाजों का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाता है कि वे आबादी के उन वर्गों के प्रति कितने मानवीय और संवेदनशील हैं जिन पर खास ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हालांकि विकलांग लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए पर्याप्त कानून और नियम हैं, लेकिन उनका इम्प्लीमेंटेशन सुनिश्चित करना राज्यों की जिम्मेदारी है.
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सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि विकलांग लोगों को सहानुभूति की जरूरत नहीं है, उन्हें अपने अधिकारों और समान अवसरों की जरूरत है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट को विकलांगों के अनुकूल बनाने में कुछ मौजूदा चुनौतियों पर रोशनी डालते हुए, गडकरी ने कहा कि वर्तमान में देश में कुल बसों की संख्या का 32 प्रतिशत दिव्यांगों के लिए आंशिक रूप से सुलभ (partially accessible) है और कुल बसों की केवल 20 प्रतिशत पूरी तरह से सुलभ (fully accessible) है.
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दुनिया की पहली बिना हाथ वाली तीरंदाज और हुंडई के 'समर्थ' पहल के जरिए सपोर्ट की गई पैरा एथलीट शीतल देवी ने एक खिलाड़ी बनने की अपनी यात्रा के बारे में बताया. उन्होंने अपनी जीत का श्रेय अपने माता-पिता, ट्रेनर और अपनी कोच प्रीति को दिया, जिन्होंने उन्हें खेल की दुनिया से परिचित कराया था. इस 16 साल की खिलाड़ी ने चीन के Hangzhou में आयोजित एशियाई पैरा गेम्स 2023 में तीन मेडल - दो गोल्ड और एक सिल्वर - जीतकर दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं.
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पैरालंपिक इंडिया की अध्यक्ष पद्मश्री दीपा मलिक ने NDTV के साथ पार्टनरशिप में हुंडई की पहल 'समर्थ' के लॉन्च पर पहली भारतीय महिला पैरा एथलीट बनने की अपनी यात्रा के बारे में बात की. दीपा मलिक ने इस बात पर रोशनी डाली कि किसी महिला पैरा एथलीट को पहला मेडल जीतने में सात दशक लग गए, जबकि पुरुषों में पहला मेडल 1972 में आया था, जब मुरलीकांत पेटकर ने फ्रीस्टाइल तैराकी में गोल्ड मेडल जीता था.
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उन पैरा एथलीटों से मिलें, जिन्होंने अपने खेल के क्षेत्र में सफलता हासिल की है, साथ ही उन लोगों से भी जिन्हें पेरिस 2024 पैरालंपिक के लिए हुंडई की 'समर्थ' पहल के जरिए सपोर्ट किया जा रहा है. इनमें शामिल हैं, योगेश कथुनिया, टोक्यो 2020 पैरालंपिक, डिस्कस में सिल्वर मेडल विनर, प्राची यादव, गोल्ड और सिल्वर, पैरा कैनो, एशियाई पैरा गेम्स 2023, शीतल देवी, डबल गोल्ड मेडल विनर, पैरा तीरंदाजी, एशियाई पैरा गेम्स 2023, अभिषेक चमोली, जेवलिन गोल्ड और शॉट पुट सिल्वर, इटालियन ओपन 2023 वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स, सिमरन शर्मा, राष्ट्रीय पदक विजेता पैरा शूटर, लक्ष्मी जडाला, बौद्धिक रूप से कमजोर भारतीय लॉन टेनिस खिलाड़ी, ऑस्ट्रेलियन ओपन 2023 के लिए चुनी गईं.