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धर्मेंद्र की यादगार तस्वीरें

धर्मेंद्र अब नहीं रहे, लेकिन अपने पीछे छोड़ गए उनके चाहने वालों के लिए ढेर सारी यादें.

  • धर्मेंद्र अब नहीं रहे, लेकिन अपने पीछे छोड़ गए उनके चाहने वालों के लिए ढेर सारी यादें.
  • यहां उनकी पुरानी तस्वीरों के साथ पढ़िए उनके कुछ सबसे यादगार फिल्मी किरदारों के बारे में.
  • फिल्म ‘चुपके चुपके' के प्रोफेसर परिमल त्रिपाठी या प्यारेमोहन इलाहाबादी का मजेदार अंदाज.
  • शराब पीकर पानी की टंकी पर चढ़कर बसंती की मौसी से नाराज वीरू का कहना ‘कुत्ते मैं तेरा खून पी जाऊंगा'
  • अस्सी के दशक के अपने दमदार किरदारों से वो ‘ही मैन' कहलाए.
  • लेकिन उससे पहले साठ सत्तर के दशक में धर्मेंद्र ने बिमल रॉय और ऋषिकेश मुखर्जी जैसे निर्देशकों के साथ सॉफ्ट रोल्स भी किए.
  • बिमल रॉय की 1963 में आई ‘बंदिनी' में कैदी नायिका (नूतन) से प्रेम कर बैठे जेल के डॉक्टर अशोक का किरदार सभी का मन मोह ले गया था.
  • अशोक कुमार और नूतन जैसे दिग्गज कलाकारों की मौजूदगी के बावजूद धर्मेंद्र ने अपनी दमदार भूमिका से सभी का ध्यान खींचा.
  • इसके बाद 1966 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली ऋषिकेश मुखर्जी की ‘अनुपमा' में...
  • उन्होंने अपनी बेरोजगार रहने वाले लेखक और शिक्षक अशोक की भूमिका निभाई.
  • ऐसा लेखक और शिक्षक जो नायिका अनुपमा (शर्मिला टैगोर) में आत्मविश्वास भरता है.
  • इस फिल्म में डायलॉग्स कम थे लेकिन वो किरदार को इतना लोकप्रिय बना आज तक सिनेप्रेमियों के दिलों में जिंदा है.
  • भारतीय सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ कॉमेडी टाइमिंग की बात होगी तो उसमे 1975 में आई ऋषिकेश मुखर्जी की ‘चुपके चुपके' में धर्मेंद्र के किरदार को हमेशा याद किया जायेगा.
  • अपनी पत्नी के हिन्दी प्रेमी जीजा को उन्हीं की जबां में सबक सिखाने के लिये...
  • भाषा के इर्द गिर्द बनी इस फ़िल्म में शुद्ध हिंदी बोलने का नाटक करने वाले धर्मेंद्र के संवाद सिनेप्रेमियों को आज तक याद हैं.
  • इस फिल्म में वह खुद को ड्राइवर नहीं वाहन चालक बताते, हाथ धोने को हस्त प्रक्षालन और ट्रेन को लौह पथ गामिनी बोलते.
  • पंजाब के साहनेवाल से मायानगरी मुंबई पहुंचे धर्मेंद्र को आज की पीढी भले ही ‘ही मैन' के रूप में जानती हो...
  • लेकिन अभिनय की बुलंदियों को तो उन्होंने करियर के शुरुआती दौर में अपने शालीन, गरिमामय और दमदार अभिव्यक्ति से भरपूर इन किरदारों के दम पर छू लिया था.
  • हिन्दी सिनेमा के इतिहास में दमदार और यादगार किरदारों भी विरासत को हमेशा याद रखा जाएगा.
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