धर्मेंद्र अब नहीं रहे, लेकिन अपने पीछे छोड़ गए उनके चाहने वालों के लिए ढेर सारी यादें.
धर्मेंद्र की यादगार तस्वीरें धर्मेंद्र अब नहीं रहे, लेकिन अपने पीछे छोड़ गए उनके चाहने वालों के लिए ढेर सारी यादें. नवंबर 24, 2025 21:12 pm IST Published On नवंबर 24, 2025 21:12 pm IST Last Updated On नवंबर 24, 2025 21:12 pm IST Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email धर्मेंद्र अब नहीं रहे, लेकिन अपने पीछे छोड़ गए उनके चाहने वालों के लिए ढेर सारी यादें. Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email यहां उनकी पुरानी तस्वीरों के साथ पढ़िए उनके कुछ सबसे यादगार फिल्मी किरदारों के बारे में. Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email फिल्म ‘चुपके चुपके' के प्रोफेसर परिमल त्रिपाठी या प्यारेमोहन इलाहाबादी का मजेदार अंदाज. Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email शराब पीकर पानी की टंकी पर चढ़कर बसंती की मौसी से नाराज वीरू का कहना ‘कुत्ते मैं तेरा खून पी जाऊंगा' Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email अस्सी के दशक के अपने दमदार किरदारों से वो ‘ही मैन' कहलाए. Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email लेकिन उससे पहले साठ सत्तर के दशक में धर्मेंद्र ने बिमल रॉय और ऋषिकेश मुखर्जी जैसे निर्देशकों के साथ सॉफ्ट रोल्स भी किए. Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email बिमल रॉय की 1963 में आई ‘बंदिनी' में कैदी नायिका (नूतन) से प्रेम कर बैठे जेल के डॉक्टर अशोक का किरदार सभी का मन मोह ले गया था. Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email अशोक कुमार और नूतन जैसे दिग्गज कलाकारों की मौजूदगी के बावजूद धर्मेंद्र ने अपनी दमदार भूमिका से सभी का ध्यान खींचा. Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email इसके बाद 1966 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली ऋषिकेश मुखर्जी की ‘अनुपमा' में... Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email उन्होंने अपनी बेरोजगार रहने वाले लेखक और शिक्षक अशोक की भूमिका निभाई. Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email ऐसा लेखक और शिक्षक जो नायिका अनुपमा (शर्मिला टैगोर) में आत्मविश्वास भरता है. Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email इस फिल्म में डायलॉग्स कम थे लेकिन वो किरदार को इतना लोकप्रिय बना आज तक सिनेप्रेमियों के दिलों में जिंदा है. Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email भारतीय सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ कॉमेडी टाइमिंग की बात होगी तो उसमे 1975 में आई ऋषिकेश मुखर्जी की ‘चुपके चुपके' में धर्मेंद्र के किरदार को हमेशा याद किया जायेगा. Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email अपनी पत्नी के हिन्दी प्रेमी जीजा को उन्हीं की जबां में सबक सिखाने के लिये... Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email भाषा के इर्द गिर्द बनी इस फ़िल्म में शुद्ध हिंदी बोलने का नाटक करने वाले धर्मेंद्र के संवाद सिनेप्रेमियों को आज तक याद हैं. Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email इस फिल्म में वह खुद को ड्राइवर नहीं वाहन चालक बताते, हाथ धोने को हस्त प्रक्षालन और ट्रेन को लौह पथ गामिनी बोलते. Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email पंजाब के साहनेवाल से मायानगरी मुंबई पहुंचे धर्मेंद्र को आज की पीढी भले ही ‘ही मैन' के रूप में जानती हो... Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email लेकिन अभिनय की बुलंदियों को तो उन्होंने करियर के शुरुआती दौर में अपने शालीन, गरिमामय और दमदार अभिव्यक्ति से भरपूर इन किरदारों के दम पर छू लिया था. Share Twitter WhatsApp Facebook Reddit Email हिन्दी सिनेमा के इतिहास में दमदार और यादगार किरदारों भी विरासत को हमेशा याद रखा जाएगा.