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पुरस्कार विजेता एक्टर, लेखक और रेडियो जॉकी डेन की कहानी, जिन्होंने कभी विकलांगता को अपने रास्ते में नहीं आने दिया

41 वर्षीय डेन दिव्यांग लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं. उन्होंने अपनी ज़िंदगी के पहले 25 सालों के लिए नॉनवर्बल होने से लेकर रेडियो शो की मेज़बानी करने तक कई पुरस्कार अपने नाम किए हैं.

  • डेन के नाम से पहचान बनाने वाले सयोमदेब मुखर्जी का जन्म नवंबर 1980 में कोलकाता के एक संयुक्त परिवार में हुआ था. डेन ज़ाहिर तौर पर जेनेटिक डिसऑर्डर, डोपामाइन-रिस्पॉन्सिव डिस्टोनिया के साथ पैदा हुए थे, जिसकी वजह से वह 25 वर्ष की आयु तक नॉनवर्बल यानी अशाब्दिक थे.
  • इस डिसऑर्डर ने डेन को ज़िंदगी के सभी क्षेत्रों में कुछ भी सीख पाने और ज्ञान प्राप्त करने से कभी नहीं रोका. डेन और उनके परिवार के बीच बातचीत रेगुलर वर्बल कम्युनिकेशन के दायरे से बाहर थी. पलक झपकने का अर्थ होगा 'हां' और एक विशेष आवाज़ का अर्थ होगा 'नहीं'.
  • डेन ने अपनी स्कूली शिक्षा के बाद अपने मीडिया डिविजन के लिए कोलकाता में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सेरेब्रल पाल्सी (IICP) में काम किया. आईआईसीपी में काम करते हुए, डेन की मुलाकात कोलकाता में 91.9 फ्रेंड्स एफएम के स्टेशन प्रोग्रामिंग हेड जॉयदीप बनर्जी से हुई, जिन्होंने उन्हें रेडियो स्टेशन पर नौकरी का मौका दिलाने में मदद की.
  • डेन ने पांच साल तक 'हाल छेरो नहीं बंधु' (नेवर गिव अप - डियर फ्रेंड) नाम के एक रेडियो शो की मेजबानी की और 822 एपिसोड किए. उन्हें 2014 में रेडियो एक्सीलेंस पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ बंगाली रेडियो जॉकी द्वारा सम्मानित किया गया था.
  • 2015-2018 से, डेन ने एक थिएटर कलाकार के रूप में काम किया और बाद में आईआईसीपी में वापस चले गए. बीच में उन्होंने एक फिल्म "वन लिटिल फिंगर - एबिलिटी इन डिसेबिलिटी" में काम किया, जो 2019 में अमेरिका में और दुनिया भर में 16 नवंबर, 2020 को रिलीज़ हुई थी.
  • डेन ने फिल्म में एक आरजे की मुख्य भूमिका निभाई थी, जिसके बाद 5 सितंबर, 2019 को सिनसिनाटी फिल्म समारोह में उन्हें "सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार" से सम्मानित किया गया था.
  • डेन का मानना है कि समावेश पर ध्यान देना और विकलांगता के प्रति लोगों के नज़रिए में बदलाव लाना, उन्हें समाज के सामाजिक क्षेत्र में लाने के लिए महत्वपूर्ण है.
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