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This Article is From Apr 06, 2019

बीमार पिता से न मिलने दिए जाने पर भड़के तेजस्वी यादव, बीजेपी की इससे की तुलना...

तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने अपने ट्वीट में लिखा कि तानाशाह और अमानवीय भाजपाई सरकार मुझे रांची अस्पताल में ईलाजरत मेरे पिता श्री लालू प्रसाद यादव जी से मिलने नहीं दे रही है.

बीमार पिता से न मिलने दिए जाने पर भड़के तेजस्वी यादव, बीजेपी की इससे की तुलना...
तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर साधा निशाना
नई दिल्ली:

बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) भारतीय जनता पार्टी से खासे नाराज हैं. दरअसल, उनकी (Tejashwi Yadav) नाराजगी झारखंड सरकार द्वारा उन्हें अपने पिता से मिलने की अनुमति देने की वजह है. इसे लेकर उन्होंने शनिवार को एक ट्वीट भी किया. तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने अपने ट्वीट में लिखा कि तानाशाह और अमानवीय भाजपाई सरकार मुझे रांची अस्पताल में ईलाजरत मेरे पिता श्री लालू प्रसाद यादव जी से मिलने नहीं दे रही है. तानाशाही भाजपाई गुंडो की फासीवादी सरकार की ईंट से ईंट बाज देंगा.  तेजस्वीय यादव के इस ट्वीट के बाद राजनीति गरमा गई है.

एनडीए को छोड़कर महागठबंधन में शामिल होने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने इस पूरे घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने इस घटना के सामने आने के बाद एक ट्वीट भी किया है. उन्होंने लिखा कि बिहार में पिछड़ो, दलित, शोषितों, वंचितों और अल्पसंख्यक समुदायों के हक की आवाज बुलंद करने वाले मसीहा आदरणीय श्री लालू प्रसाद यादव जी बीमार हैं. नीतीश जी सह पर भाजपा सरकार ने इन्हें साजिशन जेल में बंद कर रखा है. इन्हें पुत्र तेजस्वी जी से मिलने न देना दुर्भाग्यपूर्ण है. 

 गौरतलब है कि यह कोई पहला मौका न हीं है जब तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी या बीजेपी पर हमला बोला है. इससे पहले उन्होंने (Tejashwi Yadav) एक ट्वीट कर कहा था कि मने-मन मोदी जी चाचा नीतीश जी को पता नहीं क्या-क्या कहते होंगे? मानें पूछ रहे हैं? वैसे कल दोनों साथ रहेंगे? आशा है डीएन रिपोर्ट का आदान-प्रदान होगा. बता दें कि वर्ष 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए उनके डीएनए पर सवाल खड़े किए. जिसे लेकर बाद में पीएम मोदी कड़ी आलोचना भी झेलनी पड़ी थी. उस दौरान पीएम मोदी के प्रत्येक भाषण के बाद नीतीश कुमार और लालू प्रसाद की प्रेस कांफ्रेंस भी कम रोचक नहीं होती थी जहां आरोपों का सिलसिलेवार तरीके से जवाब दिया जाता था. 

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बिहार में चुनावी रैली की शुरुआत नरेंद्र मोदी के एक धमाकेदार आरोप से हुई थी. नीतीश कुमार के DNA (मोदी के अनुसार राजनीतिक) पर सवाल उठाते ही बिहारी अस्मिता पर सवाल खड़ा कर दिया गया था. नीतीश कुमार ने कहा था कि यह बिहारियों को अपमान है. नीतीश ने एक वेबसाइट बनाकर नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखा था और कहा था कि मोदी को अपने शब्द वापस लेने होंगे. इस मसले पर दोनों दलों के प्रवक्ता अपने-अपने पक्ष का बचाव करने मैदान में कूद पड़े थे.

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गया के भाषण में तो पीएम मोदी ने बिहार को 'बीमारू' राज्य का दर्जा दे दिया था. हालांकि आंकड़े बताते हैं कि बिहार अब इस दर्जे से बाहर आ चुका है. नीतीश कुमार ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर इस पर अपना पक्ष रखा था और मोदी के भाषण पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी.

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पीएम द्वारा डीएनए को लेकर दिए बयान से राज्य में बीजेपी को नुकसान जबकि महागठबंधन को फायदा पहुंचा था. बता दें कि पीएम के ऐसे विवादित बयान से बीजेपी को सिर्फ बिहार में ही नुकसान नहीं हुआ था. इससे पहले दिल्ली में भी पीएम के ऐसे बयानों से अरविंद केजरीवाल को सहानुभूति मिली थी. बीजेपी लोक सभा के साथ कुछ विधानसभाओं के चुनाव जीत कर आई थी. फिर दिल्ली में चुनाव होने थे. दिल्ली बीजेपी ने एक एड कैम्पेन चलाया. रोज अखबारों में विज्ञापन देकर अरविंद केजरीवाल के ऊपर आरोप लगाने का कैम्पेन.

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इसी दौरान एक हाफ पेज का विज्ञापन देकर अरविंद केजरीवाल को 'उपद्रवी गोत्र' का बताया गया था. इसके बाद चुनावी माहौल एकदम बदल गया था. अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेंस कर यह मसला उठाया था. केजरीवाल ने दिल्ली की जनता की सहानुभूति बटोरी और नतीजा सामने आ गया.

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दूसरा उदाहरण भाषण में इस्तेमाल बीमारू शब्द को लेकर है. पीएम मोदी ने अपने भाषण में बिहार को बीमारू प्रदेश कहा था और जनता से अपील की थी कि अगर वह बीजेपी को वोट दें तो अगले पांच साल में वह बिहार को बीमारू प्रदेश से निकाल कर विकसित प्रदेश में ले आएंगे. तो क्या जो केंद्र सरकार के आंकड़े बता रहे हैं वह झूठे हैं? पीएम मोदी के भाषण के ठीक बाद नीतीश कुमार ने यही सवाल उठाया था. लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में कई ऐसी बातें कहीं थी जो तथ्यों से परे थे. 

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