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This Article is From Mar 06, 2024

बच्चा पढ़ते समय कभी नहीं करेगा फिर आनाकानी, बस आज से 9-8-7 स्टडी मेथड अपनाइए, ये है बेस्ट तरीका

9 8 7 rule time table : क्या आपके बच्चे भी पढ़ाई में आनाकानी करते हैं और आप उन्हें जबरदस्ती फोर्स करके घंटों तक बैठा कर पढ़ाते हैं, तो एक बार 9-8-7 नियम के बारे में जान लें, जो उनकी पढ़ाई की क्वालिटी को सुधार सकता है.

बच्चा पढ़ते समय कभी नहीं करेगा फिर आनाकानी, बस आज से 9-8-7 स्टडी मेथड अपनाइए, ये है बेस्ट तरीका
9 8 7 rule time table : इस मेथड को बच्चों पर करें अप्लाई.

Parenting tips: दिन में 24 घंटे ही होते हैं और इस 24 घंटे को हमें बैलेंस करके चलना चाहिए, जिसमें से कुछ घंटे काम के लिए, कुछ घंटे फैमिली और फ्रेंड्स के लिए, कुछ घंटे आराम के लिए होने चाहिए. ठीक इसी तरीके से जो बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं उन्हें भी इन 24 घंटे को 9-8-7 मेथड से अप्लाई करना चाहिए और एक हेल्दी और इफेक्टिव लाइफस्टाइल जीनी चाहिए. अब आप सोच रहे होंगे कि यह 9-8-7  मेथड है क्या? तो चलिए आज हम आपको बताते हैं इस स्टडी मेथड के बारे में और कैसे आप इसे अपनी लाइफ में अप्लाई कर सकते हैं.

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9-8-7 स्टडी मेथड


9-8-7 तकनीक एक ऐसी मेथड है जो लाइफ को बैलेंस करने, प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने में और आपकी रिकवरी में काम आती है. दरअसल, 987 नियम का मतलब यह होता है कि आप 24 घंटे को 9, 8 और 7 में डिवाइड करें, जिसमें से 9 घंटा आप अपने काम को दें या बच्चे 9 घंटे अपनी पढ़ाई को दें. इसके अलावा 8 घंटे पर्सनल लाइफ, फैमिली लाइफ, खेल कूद या फ्रेंड्स के साथ बिताएं. वहीं, 7 घंटे आप सोने के लिए फिक्स करें. इस तरह से आप 24 घंटे को जब तीन पार्ट्स में डिवाइड करते हैं, तो आप एक बैलेंस लाइफ बनाते हैं जो आपकी प्रोडक्टिविटी को बढ़ाती है.

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9-8-7 ट्रिक कैसे करती है बच्चों की मदद


9-8-7 स्टडी मेथड बच्चों की पढ़ाई में बहुत मदद करती है, क्योंकि इससे उनकी बॉडी को प्रॉपर रेस्ट मिलता है, उन्हें खेलकूद का समय मिलता है और जब वह यह दो चीजें ठीक तरीके से करते हैं तो 9 घंटे वह पढ़ाई पर भी अच्छी तरह से ध्यान दे पाते हैं. बच्चों की पढ़ाई के लिए आप इन 9 घंटे को दो या तीन पार्ट्स में ब्रेक कर सकते हैं. जिसमें बच्चा पहले 3 घंटे पढ़ाई करें, फिर एक-दो घंटे पढ़ाई करें, फिर 3 घंटे और पढ़ाई करें. इस तरीके से बच्चा पढ़ाई में कंसंट्रेट कर पाता है और पढ़ाई से बोर भी नहीं होता है. यह तकनीक न सिर्फ बच्चों को बल्कि, बड़ों को भी अपने काम में अप्लाई करनी चाहिए.

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