WHO रिसर्च में आया क्यों जरूरी है बच्चे के लिए 6 महीने तक मां का दूध, इन बीमारियों से बचाता है उन्हें

Benefits of breastfeeding for baby : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, शुरुआती 6 महीने तक शिशु को स्तनपान कराने की सिफारिश की जाती है और इसे 2 साल तक जारी रखा जाना चाहिए.

WHO रिसर्च में आया क्यों जरूरी है बच्चे के लिए 6 महीने तक मां का दूध, इन बीमारियों से बचाता है उन्हें

breast milk : 6 महीनों में पानी देने की भी जरूरत नहीं होती है.

खास बातें

  • रिसर्च में साबित हुआ क्यों जरूरी है मां का दूध.
  • मां को छह से 2 साल तक जरूर पिलाना चाहिए.
  • मां को भी अपनी इस डाइट का रखना होगा ख्याल.

Benefits of breastfeeding :  किसी भी शिशु के लिए जीवन के पहले 6 महीने (First 6 Months of baby) बेहद महत्वपूर्ण होते हैं. इस दौरान शिशु को मिला पोषण उसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसलिए बच्चे के लिए मां का दूध "लिक्विड गोल्ड" (Liquid Gold) माना जाता है. मां का दूध शिशु के विकास के लिए जरूरी डाइट में पर्याप्त कैलोरी, प्रोटीन और वसा की कमी को पूरा करता है. पहले 6 महीनों के दौरान जरूरी संपूर्ण पोषण की क्षमता मां के दूध में होती है. इसके अलावा, मां के दूध (Breast milk) में कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और अन्य पोषक तत्व भी उचित मात्रा में होते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, शुरुआती 6 महीने तक शिशु को स्तनपान कराने की सिफारिश की जाती है और इसे 2 साल तक जारी रखा जाना चाहिए. पहले 6 महीनों में पानी देने की भी जरूरत नहीं होती है. मां के दूध में पानी (87%) का योगदान होता है, इसके बाद लैक्टोज (7%), वसा (3.8%), और प्रोटीन (1%) का स्थान आता है. रिसर्च के मुताबिक शिशु के पहले 6 महीनों में खराब पोषण से दस्त, निमोनिया (Pneumonia) और कान में संक्रमण (Infection) जैसी खतरनाक बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है और साथ ही पहले 5 साल में मौत का खतरा भी बढ़ जाता है. शिशु का खराब पोषण उसके शारीरिक और मानसिक विकास पर लॉन्ग टर्म प्रभाव डालता है. इसके चलते डायबिटीज (Diabetes) और मोटापा (Obesity) जल्दी शुरू होता है और ऑटोइम्यून बीमारियों की संभावना बढ़ जाती हैं. मां के दूध (Breast milk) से पांच 5 साल तक के 8 लाख से अधिक बच्चों को बचाया जा सकता है.

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दूध पिलाने वाली मां के लिए क्या जरूरी?


बच्चे को दूध पिलाने वाली माताओं को आमतौर पर ज्यादा कैलोरी और प्रोटीन (Calorie and protein) की जरूरत होती है. इस दौरान उन्हें प्रति दिन अतिरिक्त 350 से 400 किलो कैलोरी और 15 से 20 ग्राम प्रोटीन की सिफारिश की जाती है. इसलिए माना जाता है कि बच्चे के जन्म के बाद आयरन और फॉलिक एसिड से भरपूर भोजन महिला के लिए अनिवार्य कहे जाते हैं. शाकाहारी आबादी के लिए ये खासकर काफी महत्वपूर्ण हो जाता है.  मल्टीविटामिन और कैल्शियम (Multivitamin & Calcium) वाली डाइट इस अवधि के दौरान माताओं को पर्याप्त पोषण देगी. आमतौर पर, महिलाओं को दूध पिलाते वक्त विशेष खाद्य पदार्थों को सीमित नहीं करना चाहिए या उनसे बचना नहीं चाहिए. महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल करने वालों को चाहिए कि वो उनके भोजन में पर्याप्त तरल पदार्थ (3 से 4 लीटर / दिन), प्रोटीन (डेयरी उत्पाद, मांस, मटर, दालें, सोयाबीन, आदि), साबुत अनाज, फलियां, स्टार्च युक्त और गैर-स्टार्च वाली सब्जियों के साथ फल भी दें. कुछ खाद्य पदार्थ जो महिलाओं में दूध पैदा करने की क्षमता रखते हैं, उनमें मेथी के बीज, पालक, तिल और खसखस, नारंगी मसूर दाल, लहसुन, मेथी, अंडे, अजवाइन और पनीर शामिल हैं.

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मां क्या न करें?

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दूध पिलाने वाली माताओं को कुछ चीजों के सेवन न करने का खास ख्याल रखना चाहिए. उन्हें कैफीन का सेवन कम से कम करना चाहिए (अधिकतम 2 से 3 कप/दिन) धूम्रपान, सॉफ्ट ड्रिंक (Soft Drink) और सोडा (Soda Liquid) पीने से बचना चाहिए. मांसाहारियों को ऐसी मछलियों से बचना चाहिए जिनमें पारा अधिक होता है, जैसे बिग-आई ट्यूना, सुरमई, मार्लिन आदि. US CDC के अनुसार, माताओं को दूध  (Breast milk)  पिलाने के दौरान शराब से परहेज करना चाहिए, ये सबसे सुरक्षित विकल्प है. दूध पिलाने के दौरान बार-बार और अत्यधिक शराब के सेवन से बच्चों में नींद टूटना और देरी से समझ आने जैसे दिक्कतें होती हैं. दूध पिलाने के दौरान मां का भोजन कैसा है, इसका असर बच्चे के जीवन पर पड़ता है. इसलिए मां को ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित कर देना चाहिए जिनमें एक्स्ट्रा शुगर और जंक फूड की मात्रा अधिक है.