
What can I press to stop hiccups : : हम सबकी जिंदगी में हिचकी (Hichki Kyon aati Hai) का आना आम बात है. कई बार ये अचानक शुरू होती है और हमें सोचने पर मजबूर कर देती है कि आखिर इसके पीछे असली कारण क्या है. क्या ये सिर्फ एक वैज्ञानिक प्रक्रिया (Hichki Aana Kaise Roken) है या फिर इसका संबंध हमारी भावनाओं और रिश्तों से भी है? कुछ लोग कहते हैं कि ये गैस्ट्रिक या डायाफ्राम की समस्या है, तो कुछ का मानना है कि हिचकी का मतलब है कोई हमें याद कर रहा है. आइए जानते हैं हिचकी को लेकर विज्ञान, मनोविज्ञान और परंपरा की दिलचस्प बातें.
हिचकी किसकी कमी से आती है? (What deficiency causes hiccups)
सच तो ये है कि हिचकी किसी चीज की कमी से नहीं, बल्कि डायाफ्राम (डायाफ्राम) नामक मांसपेशी को कंट्रोल करने वाली वेगस तंत्रिका या फ्रेनिक तंत्रिका में किसी भीतरह की उत्तेजना या जलन के कारण आ सकती है. यह उत्तेजना कई तरह के नॉर्मल कारणों से हो सकती है, जैसे जल्दी-जल्दी खाना खाना या पीना, बहुत ज्यादा खाना, शराब ज्यादा पीना, ठंडा या बहुत गर्म खाना खाना या भावनाएं (जैसे तनाव, उत्तेजना या सदमा) होना.

हिचकी आने के वैज्ञानिक कारण (Scientific Reason for Hichki)
विज्ञान के अनुसार हिचकी तब आती है जब हमारी सांस लेने वाली बड़ी मांसपेशी डायाफ्राम अचानक सिकुड़ जाती है. डायफ्राम के सिकुड़ने पर फेफड़ों में हवा खिंचती है और वोकल कॉर्ड्स अचानक बंद हो जाते हैं. इसी वजह से "हिक" जैसी आवाज निकलती है. ये स्थिति तब और बढ़ जाती है जब हम बहुत तेजी से खाना खाते हैं, बहुत ठंडी या बहुत गर्म चीजें एक साथ खा लेते हैं या कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पीते हैं. इसके अलावा पेट में गैस बनने से भी हिचकी आ सकती है.
हिचकी रोकने के पीछे का विज्ञान (How To Stop Hichki)
जब हिचकी लगती है तो लोग कई घरेलू उपाय आजमाते हैं. वैज्ञानिक तौर पर ये उपाय डायफ्राम की असामान्य हरकत को सामान्य करने के लिए किए जाते हैं. उदाहरण के लिए – गहरी सांस लेकर रोकना, अचानक ठंडा पानी पीना, जीभ को हल्का खींचना या नींबू चूसना. ये सभी तरीके दिमाग और नसों को नया संकेत देते हैं, जिससे डायाफ्राम का सिकुड़ना रुक जाता है और हिचकी बंद हो जाती है.

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साइकोलॉजी के अनुसार हिचकी क्यों आती है (Psychology Behind Hichki )
मनोविज्ञान की नजर से देखा जाए तो हिचकी का संबंध कभी कभी तनाव और भावनाओं से भी जुड़ा होता है. जब इंसान बहुत टेंशन में होता है, तो उसकी नसों पर दबाव पड़ता है. ये दबाव शरीर की सांस से जुड़ी मसल्स को प्रभावित कर सकता है. ऐसे में बिना किसी शारीरिक वजह के भी हिचकी आने लगती है. कुछ शोध ये भी बताते हैं कि भावनात्मक उतार चढ़ाव का असर सीधे हमारे ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम पर होता है और यही हिचकी का कारण बन सकता है.
हिचकी और याद करने की मान्यता
भारतीय परंपरा में हिचकी का एक और दिलचस्प किस्सा है. हमारी दादी नानी हमेशा कहती थीं, “हिचकी आने का मतलब है कोई आपको याद कर रहा है.” हालांकि इसका वैज्ञानिक सबूत नहीं है, लेकिन ये मान्यता आज भी लोगों में जीवित है. कई बार जब अचानक किसी का ख्याल आता है और उसी समय हिचकी लगती है, तो लोग इसे रिश्तों की गहराई से जोड़ देते हैं. भले ही ये सिर्फ एक मान्यता हो, लेकिन इसमें भावनाओं का एक प्यारा स्पर्श जरूर है.
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