How To Discipline Kids : एक जमाना था जब बच्चे मां-बाप की मार और हर तरह की डांट को ऐसे ही हवा में उड़ा देते थे, यानी इससे सीख तो लेते थे, लेकिन बुरा नहीं माना जाता था. वहीं आज मामला पूरा उल्टा हो गया है, बच्चों को डांटना (Shouting) भी एक बड़ा रिस्क है और अगर कोई हाथ उठा ले तो बच्चा उसे दिमाग में बिठा लेता है और न जाने कब तक वही उसके दिमाग में चलता है. इसी के चलते कई बच्चे गलत कदम भी उठा लेते हैं, ऐसे में आपको ये जरूर पता होना चाहिए कि अपने बच्चों के कैसे बिना मारे या फिर डांटे आप डिसिप्लिन (Discipline) में रख सकते हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे ही तरीकों के बारे में बताएंगे, जिनसे आपके बच्चों पर बुरा असर भी नहीं होगा और वो अच्छी बातें भी सीख लेंगे.
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खुद से करें शुरुआत (Start From Yourself)
अब अगर आप खुद जो चीजें नहीं करते हैं, उन्हें अपने बच्चों से करवाना चाहते हैं तो ये कतई मुमकिन नहीं है. यानी पहले आपको खुद वो चीजें करनी होंगी, जो आप अपने बच्चे में देखना चाहते हैं. इसीलिए आपको खुद बच्चों के सामने ऐसी चीजें करनी होंगी, जिससे वो सीख पाएं. खाना खाने के बाद आप अपनी प्लेट खुद किचन में रखने जाएं, अगर इस दौरान कुछ नीचे गिर गया है तो तुरंत उसे साफ करें और हो सके तो पोछा भी लगाएं. यानी घर के जो नियम हैं, उन्हें आप खुद भी फॉलो करेंगे तो बच्चा भी धीरे-धीरे वही डिसिप्लिन सीखने लगेगा.
गलत काम करने पर डांटें नहीं (Don't Shout On Mistakes)
अक्सर जब किसी के बच्चे कोई गलत काम करते हैं या फिर कुछ तोड़ देते हैं तो लोग उन पर चिल्लाने लगते हैं, इससे बच्चे की मानसिक स्थिति पर असर पड़ सकता है. या फिर वो जिद्दी भी हो सकता है. ऐसे में आपको उसे समझाने की जरूरत है. आप तुरंत रिएक्ट न करें और उसे इस तरह से समझाएं कि गलती का एहसास भी हो जाए और डांटना भी न पड़े.
अच्छा करने पर जरूर करें तारीफ (Appreciate Them)
कुछ लोग चाहते हैं कि उनके बच्चों में एप्रिशिएट करने का गुण हो, यानी वो दूसरों को उनके काम के लिए प्रोत्साहित करें. ऐसा तभी होगा जब आप भी अपने बच्चे के साथ यही करेंगे. बच्चों को प्रोत्साहन काफी अच्छा लगता है और वो इससे आगे बढ़ते हैं. यानी अगर आपके बच्चे ने कुछ अचीव किया है या फिर थोड़ा बहुत भी अच्छा किया है तो उसे ये एहसास दिलाएं कि उसने काफी बेहतर किया है और वो इसे और भी ज्यादा बेहतर तरीके से कर सकता है. होमवर्क से लेकर स्कूल की एक्टिविटी तक में आप ऐसा कर सकते हैं.
बच्चे की भावनाओं की कद्र ( Respect KIds Emotions)
हर बच्चा अलग तरह का होता है, यानी बिहेव अलग तरह से करता है. अब सबसे पहले आपको ये समझना होगा कि आपके बच्चे का बिहेवियर कैसा है. उसके बाद उसकी भावनाओं की कद्र करनी होगी. याद रहे कि कभी भी आप अपने बच्चे को बुली न करें, ऐसा करने से वो दूसरों के साथ भी यही कर सकता है. वहीं उसके अंदर हीन भावना भी पैदा हो सकती है.
बच्चों को उनके फैसले खुद लेने दें (let Them Take Decision)
पेरेंट्स की सबसे बड़ी गलती ये होती है कि वो बच्चों पर कई चीजों को थोप देते हैं, जैसे- अभी पढ़ाई करनी है तो करनी है, उसके आगे किसी की नहीं चलेगी. ऐसा करने पर आप बच्चे के फैसले लेने की क्षमता को भी खत्म करते हैं, साथ ही उसे ये सिखाते हैं कि आपकी मर्जी से ही वो चलेगा. ऐसा करने की बजाय आप उसे अपने फैसले लेने दें, यानी आप उसके सामने अलग-अलग ऑप्शन रखें. उससे पूछें कि उसे पहले खेलना है या फिर पढ़ाई करनी है, या टीवी पर कार्टून देखना है. ऐसा करने पर बच्चा अपना फैसला खुद लेगा, उसे खुद से पता होगा कि कब उसे क्या करना है.
रूटीन में रहना जरूरी (Follow Routine)
अब अगर बात डिसिप्लिन की हो रही है तो रूटीन तो बहुत जरूरी होता है. इसीलिए आपको एक रूटीन बनाना होगा, जिसमें सोने से लेकर खाने और खेलने का टाइम शामिल होगा. आप बच्चे को सिखाएं कि कब तक बेड पर जाना है और उसे कब सोना है. ऐसा करने से उसका एक रूटीन बन जाएगा और आगे चलकर आपको भी परेशानी नहीं होगी. ऐसे बच्चे सुबह उठने में भी परेशान नहीं करते हैं.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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