Shaheed Diwas 2023: प्रतिवर्ष भारत में 23 मार्च के दिन शहीद दिवस मनाया जाता है. आज ही 1931 में भगत सिंह (Bhagat Singh), शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को ब्रिटिश राज में फांसी पर चढ़ाया गया था. इस साल इन तीनों स्वतंत्रता सैनानियों की मृत्यु को 92 वर्ष पूरे हो गए हैं. इनके बलिदान को याद करते हुए ही आज के दिन को शहीद दिवस (Martyrs' Day) घोषित किया गया. लेकिन, भारत में कई शहीद दिवस मनाए जाते हैं जिनमें 30 जनवरी भी शामिल है. 30 जनवरी के दिन ही महात्मा गांधी की हत्या की गई थी जिसके बाद से इस दिन को भी शहीद दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
शहीद दिवस का इतिहास
भगत सिंह, राजगुरु (Rajguru) और सुखदेव ब्रिटिश राज के खिलाफ थे और भारत को स्वतंत्र कराना चाहते थे. लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए तीनों ने विद्रोह करने की ठानी. तीनों को ब्रिटिश सरकार ने अलग-अलग मामलों के तहत गिरफ्तार किया जिसमें ब्रिटिश पुलिस अफसर जोह्न सोंडर्स की हत्या का इल्जाम भी शामिल था. असल में सर जोह्न साइमन के लाहौर आने के बाद लाला लाजपत राय ने 'साइमन गो बैक' स्लोगन के साथ शांतिपूर्ण धरना करना शुरू किया था. इसपर जेम्स स्कोट के आदेश पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया जिसमें घायल होने पर लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) की मृत्यु हो गई.
लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद ही तीनों ने जेम्स स्कॉट की हत्या की साजिश रची लेकिन पुलिस अफसर जोह्न सोंडर्स की हत्या हो गई. इसके अलावा, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ब्रिटिशकालीन केंद्रीय विधानसभा पर हमले का प्लान बना रहे थे जो पब्लिक सेफ्टी बिल और ट्रेड डिस्प्यूट एक्ट के खिलाफ था. बम फोड़ने की योजना 8 अप्रेल, 1929 के दिन निर्धारित की गई जिसमें तीनों को गिरफ्त में ले लिया गया और 23 मार्च, 1931 में फांसी के फंदे पर लटकाया गया.
शहीद दिवस का महत्वहर साल भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर (Sukhdev Thapar) के बलिदान को याद करते हुए शहीद दिवस मनाया जाता है. जिस समय तीनों को फांसी हुई थी तब भगत सिंह और सुखदेव केवल 23 वर्ष के थे और राजगुरु की उम्र 22 साल थी. अपने देश की स्वतंत्रता के लिए तीनों ने अपनी जिंदगी कुरबान कर दी जो देश के युवाओं को देशभक्ति से ओतप्रोत करने वाला है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं