Premanand Ji Maharaj Quotes : वृंदावन के प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) भक्तों में काफी लोकप्रिय हैं और देश-विदेश के कई सेलीब्रिटीज उनके भक्तों में शामिल हैं. दूर दूर से लोग उनके दर्शन के लिए वृंदावन पहुंचते हैं और अपने जीवन में आ रही परेशानियों पर सलाह मांगते हैं. भक्त अक्सर अपनी मन की दुविधाओं और संशयों के बारे में महाराज को बताते हैं और उनका हल जानना चाहते हैं. प्रेमानंद जी महाराज के विचार जीवन के गहरे रहस्यों को उजागर करने के साथ-साथ आत्मा की सच्चाई को समझने का मार्ग भी बताते हें. प्रेमानंद जी महाराज अपने उपदेशों (Sermons of Premanand Ji Maharaj ) में अहंकार, प्रेम, संतोष और आत्मज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका पर इस तरह से प्रकाश डालते हैं कि भक्तों को सारी बातें समझ में आ जाती है. प्रेमानंद जी महाराज अपने अनुयायियों को हमेशा सच्चे सुख और शांति की खोज में आत्मनिरीक्षण और भक्ति की आवश्यकता का अहसास कराया. उनके अनमोल विचार हमेशा लोगों को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं. आइए जानते हैं प्रेमानंद जी महाराज के कुछ ऐसे ही अनमोल विचार (Quotes of Premanand Ji Maharaj) जो हमें हमेशा सही राह पर चलने को प्रेरित करतें हैं.
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प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल विचार - Quotes of Premanand Ji Maharaj
“मनुष्य का अंहकार ही उसका सबसे बड़ा शत्रु है, जो उसे सच्चे ज्ञान और आत्मसाक्षात्कार से दूर करता है”
“अपने मन को शुद्ध करने वाला इंसान ही सच्चे सुख की प्राप्ति करता है”
“जो मनुष्य अपने जीवन में धैर्य और संतोष को अपना साथी बना लेता है, वह जीवन कभी भी दुखी नहीं होता”
“ईश्वर का सबसे बड़ा रूप प्रेम है, जिसे समझने से जीवन में सच्ची शांति आती है”
“असली सुख अपने भीतर से आता है, बाहर की चीजों से नहीं, आत्मज्ञान ही सच्चा सुख है”
“अपने आप से सच्चा प्रेम करने वाला ही दूसरों से भी सच्चा प्रेम कर सकता है”
“अज्ञानी मनुष्य जीवन भर भ्रम में रहता है, लेकिन ज्ञान ही उसे सच्चे मार्ग पर चलने की दिशा देता है”
“हमारी आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का एकमात्र मार्ग है भक्ति और ध्यान”
“जीवन में सफलता वही है, जो हमारी आत्मा की शांति और संतुष्टि को बढ़ाए”
“जो मनुष्य हर स्थिति में प्रसन्न रहता है, वही पूरी तरह से संतुष्ट रहता है”
“जो स्वयं में संतुष्ट रहता है और दूसरों के लिए सद्भावना रखता है, वही व्यक्ति सबसे बड़ा होता है.”
“किसी के पास इतनी शक्ति नहीं है कि इस भौतिक संसार में आपको थाम लें, आप ही अपने आप को थामे रखते हैं, और आप ही अपने आप को छोड़ते हैं.”
“क्रोध को शांत करने का एकमात्र उपाय अपना ध्यान वहां से हटाना है और दूसरी ओर लगाना है, दूसरों का हमारे प्रति क्या कर्तव्य है, इस पर सोचने की जगह, हमें यह सोचना चाहिए कि उनके प्रति हमारा क्या कर्तव्य है.”
“ज्ञान प्राप्ति का सच्चा मार्ग स्वयं के भीतर ही है. अपने भीतर झांकें, और आपको वह प्रकाश मिल जाएगा जिसकी आपको तलाश है.”
“ सबसे बड़ा धनसंतोष है. वर्तमान क्षण में आनंद और तृप्ति पाएं, और आप सचमुच धनवान बन जाएंगे. ”
“इस पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है कि कौन क्या कर रहा है, बल्कि इस पर ध्यान दीजिए कि हमें कहां सुधार की जरूरत है.
“अधीर मत बनो, धैर्यपूर्वक सही रास्ते पर चलो, तुम्हें परिणाम अवश्य मिलेगा. ”
प्रेमानंद जी महाराज
प्रेमानंद महाराज आने भक्तों और अनुयायियों को ऐसी बातें बताते हैं जिन पर अमल करने से मन के सभी प्रकार के संशय मिट जाते हैं और आगे की राह नजर आने लगती है. उनके अनमोल वचनों का पालन कर हमे जीवन के कई प्रकार के कष्ट और परेशानी से बच सकते हैं.
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