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This Article is From May 20, 2024

उम्र से पहले मेनोपॉज सेहत के लिए ठीक नहीं, जानिए Premature Menopause के कारण और इससे होने वाली परेशानियां

अगर 40 की उम्र से पहले पीरियड आना बंद हो जाए तो इसे प्रीमेच्योर मेनोपॉज कहा जाता है. इसकी वजह से सेहत संबंधी कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं.

उम्र से पहले मेनोपॉज सेहत के लिए ठीक नहीं, जानिए Premature Menopause के कारण और इससे होने वाली परेशानियां
मेनोपॉज में पीरियड आना बंद हो जाता है.

Healthy Tips: आमतौर पर 45 वर्ष की उम्र के बाद महिलाओं को पीरियड आना बंद हो जाता है और इसे मेनोपॉज कहा जाता है. कुछ महिलाओं में समय से पहले ही मेनोपॉज आ जाता है. अगर 40 की उम्र से पहले पीरियड (Period) आना बंद हो जाए तो इसे प्रीमेच्योर मेनोपॉज (Premature menopause) कहा जाता है. इसकी वजह से सेहत संबंधी कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं. आइए जानते हैं प्री मेच्योर मेनोपॉज के कारण और इससे होने वाली परेशानियों के बारे में. 

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प्रीमेच्योर मेनोपॉज के कारण | Causes of Premature Menopause

ओवरीज के काम करना बंद कर देने के कारण पीरियड आना बंद हो जाता है. उम्र से पहले इसके होने के कई कारण हो सकते हैं.

जेनेटिक कारण - ऐसी महिलओं में जो टर्नर सिंड्रोम या फ्रेजाइल X सिंड्रोम से पीड़त होती हैं उनमें जेनेटिक कारणों से ओवरीज समय से पहले काम करना बद कर देती हैं और उन्हें अक्सर प्रीमेच्योर मेनोपॉज का सामना करना पड़ सकता है.

ऑटो इम्यून डिसोर्डर - इस स्थिति में इम्यून सिस्टम ओवरीज पर अटैक करने लगता है जिससे ओवरीज काम करना बंद कर देती हैं और पीरियड आना बंद हो जाता है.

कीमो या रेडियो थैरेपी - कैंसर के इलाज के लिए किया जाने वाला कीमो या रेडियो थैरेपी के कारण भी मेनोपॉज जल्दी हो सकता है. इन थैरेपीज के साइड इफैक्ट्स के रूप में पीरियड आना बंद हो सकता है.

सर्जरी - एंडोमेट्रियोसिस और ओवरीज कैंसर जैसी बीमारियों में सर्जरी (Surgery) कर ओवरीज निकाल दी जाती हैं. इससे भी प्री मेच्योर मेनोपॉज का सामना करना पड़ सकता है.

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प्री मेच्योर मेनोपॉज से परेशानियां 

इंफर्टिलिटी - पीरियड के अनियमित रहने और ओवरीज के फंक्शन्स ठीक से नहीं होने के कारण प्री मेनापॉज इंफर्टिलिटी का कारण बन सकता है जिससे कंसीव करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.

हार्मोनल बदलाव - प्रीमेच्योर मेनोपॉज के कारण एस्ट्रोजेन और दूसरे कई रिपोडक्टिव हार्मोन के स्तर में बदलाव आने लगता है. इससे मूड स्विंग्स, हॉट फ्लैशेज, वजाइनल ड्राइनेस जैसी प्राब्लम आ सकती है.

कमजोर बोन्स - बोन डेंसिटी बनाए रखने के लिए एस्ट्रोजेन हार्मोन की जरूरत पड़ती है. इसकी कमी के कारण आस्टियोपोरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है.

हार्ट संबंधी परेशानियां - एस्ट्रोजेन हार्मोन ब्लड वेसल्स को हेल्दी और कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल में रखता है. एस्ट्रोजेन की कमी से दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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