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This Article is From May 28, 2024

क्या आप भी लाड़-प्यार के चक्कर में अपने बच्चे को बना रहे हैं बुद्धू, जानिए क्या कहते हैं साइकोलॉजिस्ट

How to raise successful child : हम जानते हैं कि आप भी अपने बच्चे से बहुत प्यार करते हैं लेकिन यही प्यार उसे जिंदगी की रेस में पीछे कर सकता है. जानिए कैसे

क्या आप भी लाड़-प्यार के चक्कर में अपने बच्चे को बना रहे हैं बुद्धू, जानिए क्या कहते हैं साइकोलॉजिस्ट
bacho ko palne ka sahi tarika : बच्‍चों को क्‍या सिखाएं.

Parenting Tips: दुनिया में हर बच्चा अपने मां बाप की आंख का तारा होता है. सही भी है क्योंकि मां बाप जितना प्यार बच्चे को और कोई नहीं कर सकता. आप भी अपने बच्चे से ढेर सारा प्यार करते होंगे और उसे सिर आंखों पर बिठाकर रखते होंगे. लेकिन प्यार के चक्कर में कहीं आप प्रोएक्टिव होकर अपने बच्चे को बिगाड़ तो नहीं रहे हैं. देखा जाए तो बाकी दुनिया की तुलना में भारतीय मां बाप अपने बच्चों को ज्यादा दुलार के चक्कर में बुद्धू और विफल बना रहे हैं. चलिए जानते हैं कि कैसे दुलार के चक्कर में आप अपने ही बच्चे का बुरा कर रहे हैं.

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ज्यादा प्यार के चक्कर में बच्चा बन रहा है बुद्धू  


साइकोलॉजिस्ट कहते हैं कि भारतीय मां बाप ज्यादा लाड़ प्यार के चक्कर में अपने बच्चों को बेवकूफ बना रहे हैं. इस दुलार के चक्कर में बच्चे सक्षम नहीं हो पा रहे हैं जो आगे जाकर उनको नुकसान करेगा. साइकोलॉजिस्ट का कहना है कि विदेशों की तुलना में इंडियन पेरेंट्स अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनने में रुकावट बन जाते हैं. मां बाप लाड़ के चक्कर में बढ़ते बच्चों का हर काम खुद करते है जिससे बच्चों को आत्मनिर्भर बनने की ट्रेनिंग नहीं मिल पाती है.

पैरेंट्स यहां करते हैं गलती 

मां बाप बच्चों के सारे काम खुद करने लगते हैं, जैसे उसे अपने हाथ से खाना खिलाना, उसके फीते बांधना, उसकी अलमारी साफ करना आदि. यहां तक खाना पानी भी लेकर देना मां बाप बच्चे को नहीं करने देते. इससे बच्चे की क्षमता पर असर पड़ता है और बच्चा जिम्मेदार नहीं बन पाता. इस तरह बच्चा बड़ा होकर भी अपने काम खुद नहीं कर पाता और उसमें आत्मविश्वास की कमी हो जाती है. इसे परवरिश की ट्रेनिंग के तौर पर देखना चाहिए.

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Photo Credit: iStock



बच्चों की परवरिश के वक्त ध्यान रखें ये बातें  


मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि बच्चों को सक्षम बनाने के लिए मां बाप को उसे अपने काम खुद करने सिखाने चाहिए. अपने जूते पहनना, खुद लेकर पानी पीना, खुद खाना खाना, अपना कमरा और अलमारी साफ करना, ये सब काम धीरे धीरे बच्चे को खुद करने चाहिए. आठ साल का एक बच्चा ये सब काम करना सीखे ताकि उसे जिम्मेदारी का अहसास हो और वो कॉन्फिडेंट बने. एक्सपर्ट कहते हैं कि बच्चे के काम करने की बजाय उसे अपने काम करना सिखाएं, इससे उसकी लाइफस्टाइल की स्किल्स डेवलप होंगी. उसे कपड़े पहनाने का बजाय, कपड़े पहनना सिखाएं. इससे बच्चा जिंदगी में सर्वाइव करना सीखेगा और उसका भविष्य बेहतर होगा.

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