
Co-Parenting: बॉलीवुड की फिटनेस क्वीन और स्टाइल आइकन मलाइका अरोड़ा सिर्फ अपनी ग्लैमरस लाइफस्टाइल के लिए ही नहीं, बल्कि अपने स्ट्रॉन्ग पर्सनैलिटी के लिए भी जानी जाती हैं. 51 साल की उम्र में भी मलाइका हर उस महिला के लिए किसी मोटिवेशन (Motivation From Malaika Arora) से कम नहीं हैं. जो अकेले ही अपने काम पर फोकस कर रही हैं और लाइफ को बैलेंस बनाए रखने में जुटी हुई हैं. लाइफ को बैलेंस करने की कोशिश के बीच उनका बेटा अरहान खान भी उनकी बड़ी रिस्पोंसिबिलिटी है. हालांकि इस काम में उनके एक्स हसबैंड अरबाज खान भी उनकी हेल्प करते हैं. हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने बेटे अरहान खान की परवरिश और को-पैरेंटिंग (Co-Parenting Kya Hoti Hai) को लेकर खुलकर बातें कीं.
बेटे की परवरिश में रखा इन बातों का ध्यान (Malaika Arora On Parenting)
बचपन से जिम्मेदार मलाइका
मलाइका बताती हैं कि उन्होंने बचपन से ही जिम्मेदारी उठाना सीख लिया था. उनकी मां जॉयस पॉलीकार्प ने दोनों बेटियों की परवरिश अकेले की. मलाइका कहती हैं, “11 साल की उम्र से ही मैंने अपनी बहन अमृता की देखभाल शुरू कर दी थी. मैं जल्दी ही बड़ी हो गई थी.” यही अनुभव आगे चलकर उनकी पेरेंटिंग स्टाइल पर भी असर डालता रहा.

तलाक के बाद को-पैरेंटिंग की चुनौतियां
मलाइका और अरबाज खान का तलाक 2017 में हो गया था. इसके बाद बेटे अरहान की परवरिश दोनों ने मिलकर करने का फैसला किया. मलाइका कहती हैं, “पेरेंटिंग वैसे ही मुश्किल है और को-पैरेंटिंग उससे भी ज्यादा. लेकिन धीरे-धीरे हमने एक बैलेंस बना लिया है. आज अरहान बड़ा हो गया है और उसे पता है कि किस मुद्दे पर मां से बात करनी है और किस पर पापा से.”
बेटे पर असर नहीं डालतीं अपनी परेशानियां
मलाइका का मानना है कि माता-पिता की निजी समस्याओं का असर बच्चों पर नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा, “बहुत बार पेरेंट्स अपनी परेशानियां बच्चों पर थोप देते हैं. मैं ऐसा कभी नहीं करती. मैंने तय किया है कि मेरे बेटे पर मेरी दिक्कतों का बोझ नहीं आएगा.”
तलाक के बाद भी बनाए रिश्ते में मर्यादा
भले ही मलाइका और अरबाज अलग हो चुके हैं, लेकिन बेटे की खातिर दोनों ने आपसी सम्मान बनाए रखा है. मलाइका कहती हैं, “हमने अलग रास्ते चुने, लेकिन बेटे और परिवार के लिए जरूरी मर्यादा बनाए रखी. यही असली उदाहरण है.”

खुद का ख्याल रखना क्यों है जरूरी
मलाइका बताती हैं कि तलाक के बाद जब उन्होंने खुद पर ध्यान देना शुरू किया तो लोगों ने उन्हें "सेल्फिश" कहा. लेकिन वो मानती हैं कि “अगर मां खुद खुश और स्वस्थ रहेगी, तो ही बच्चा सही माहौल में बड़ा होगा.”
आखिर क्या है को-पैरेंटिंग?
को-पैरेंटिंग का मतलब है जब माता पिता अलग हो जाते हैं, लेकिन फिर भी मिलकर बच्चे की परवरिश की जिम्मेदारी निभाते हैं. इसमें माता-पिता अपने मतभेदों को पीछे छोड़कर बच्चे के लिए स्वस्थ, सुरक्षित और संतुलित माहौल बनाने पर ध्यान देते हैं.
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