
Parenting Advice For Growing Teens: टीनएज में कदम रखते ही बच्चों की सोच, आदतें और व्यवहार बदलने लगते हैं. ये वो फेज़ होता है जब पैरेंट्स की भूमिका गाइड की तरह बन जाती है, न कि सिर्फ कंट्रोल करने वाले की. अगर बच्चे चुप रहते हैं, ज़्यादा सवाल करने लगते हैं या अपनी मर्ज़ी से फैसले लेना चाहते हैं, तो डरने की ज़रूरत नहीं है.(Teenage Parenting Challenges) यह उम्र का असर है. ऐसे समय में पैरेंट्स को चाहिए कि वो बच्चों से दोस्त की तरह पेश आएं और उन्हें समझने की कोशिश करें (How To Raise Confident Teenagers).
बच्चे को अपना दोस्त कैसे बनाएं (How To Talk To Your Teen Like A Friend)
टीनएज में बच्चे अपने मन की बातों को छिपाने लगते हैं. अगर आपको लग रहा है कि आपका बच्चा आपसे कुछ छिपा रहा है या ज़्यादा चुप हो गया है, तो डांटना या ताना देना काम नहीं करेगा. बच्चे के साथ ऐसा रिश्ता बनाइए कि वो आपको सिर्फ पेरेंट नहीं, एक भरोसेमंद दोस्त भी माने. जब उन्हें ये लगेगा कि आप उन्हें जज नहीं करेंगे, तब वो खुलकर अपनी बात कह पाएंगे.
थोड़ी आज़ादी ज़रूरी है (Why Giving Freedom To Teenagers Matters)
बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं, वो खुद से फैसले लेना चाहते हैं. कई बार पैरेंट्स उन्हें रोकने की कोशिश करते हैं, लेकिन ये तरीका उल्टा असर कर सकता है. बच्चों को कुछ छोटे-छोटे डिसीजन खुद लेने दीजिए. जैसे क्या पहनना है, कब पढ़ना है या किस फ्रेंड से मिलना है. इससे उनमें कॉन्फिडेंस आता है और वो आगे चलकर जिम्मेदार बनते हैं.
सोशल स्किल्स पर दें ध्यान (How To Improve Social Skills In Teenagers)
आजकल के टीनएजर्स ज़्यादा समय फोन और सोशल मीडिया पर बिताते हैं. रियल लाइफ में लोगों से बात करना, सामने अपनी बात रखना और दूसरों को सुनना भी उतना ही ज़रूरी है. बच्चों को इंस्पायर करें कि वो ग्रुप एक्टिविटीज़ में हिस्सा लें, रिश्तेदारों से घुलें-मिलें और फ्रेंड्स से रियल कनेक्शन बनाएं. इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा.

गलतियों पर गुस्सा नहीं, समझदारी से सिखाएं (How To Handle Teenagers' Mistakes Positively)
बच्चे जब टीनएज में होते हैं, तो कई बार बिना सोचे समझे फैसले लेते हैं. उनकी गलतियों पर बार-बार गुस्सा करना या आलोचना करना उन्हें आपसे और दूर कर सकता है. बेहतर ये होगा कि आप शांत तरीके से उन्हें समझाएं कि गलती से क्या सीख मिल सकती है. ऐसा करने से वो अगली बार सोच-समझकर फैसला लेंगे और आपसे जुड़ाव भी बना रहेगा.
Emotional Support सबसे ज़रूरी (Why Emotional Support Is Important For Teens)
टीनएज एक इमोशनली बहुत ही सेंसिटिव फेज़ होता है. हार्मोनल बदलाव, पढ़ाई का प्रेशर और दोस्ती-रिश्तों की उलझनें बच्चों को अंदर से तोड़ सकती हैं. ऐसे में पैरेंट्स का रोल सिर्फ गाइड नहीं, एक इमोशनल सपोर्ट सिस्टम बनना भी होता है. रोज थोड़ा वक्त बच्चों के साथ बिताएं, उनकी बातें बिना टोकाटाकी के सुनें और उन्हें ये फील कराएं कि आप उनके साथ हैं हर हाल में.
कुल मिलाकर टीनएज बच्चों की परवरिश कोई फिक्स फॉर्मूला नहीं है. यह एक ऐसा दौर होता है जहां प्यार, पेशेंस और समझदारी से ही रिश्ते को संभाला जा सकता है. अगर पैरेंट्स थोड़ा अपने तरीके बदलें, बच्चों को समझें और उन्हें भरोसा दें, तो यही उम्र उनके आत्मनिर्भर और समझदार बनने की नींव बन सकती है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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