
Parenting Tips : पेरेंट्स (parents) पर अपने बच्चों की देखभाल करने की जिम्मेदारी होती है. बच्चों को कैसे पाला जाए, उनकी चीजों का ख्याल रखने और बाकी तमाम तरह के काम होते हैं. कई महिलाएं इसमें इतना उलझ जाती हैं कि वो अपनी चीजों पर भी ध्यान नहीं दे पातीं. सुबह से लेकर शाम तक उनका पूरा दिमाग अपने परिवार और बच्चों पर रहता है. ऐसे में वो अक्सर ये भूल जाती हैं कि उन्हें उनके लिए भी वक्त चाहिए और वो भी कुछ कर सकती हैं. जब ये सब याद आता है तो काफी देर हो चुकी होती है. पर्सनल ट्रांसफॉर्मेशन थेरेपिस्ट रीरी त्रिवेदी ने ऐसी ही महिलाओं को लेकर अपनी राय दी है. रिसर्च कहती हैं कि बिल्कुल भी ना पड़े अपने बच्चे के पीछे. ये लक्षण हेलीकॉप्टर पेरेंट बनने के हैं.
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पेरेंटिंग और चाइल्ड हेल्थ पर जानकारी रखने वाली रीरी त्रिवेदी ने एक इवेंट के दौरान उन महिलाओं का जिक्र किया, जो अपने बच्चों और परिवार को ही अपनी दुनिया मानकर सब कुछ भूल जाती हैं. उन्होंने कहा, मैं एक चीज महिलाओं से कहूंगी... बहुत सारी मदर अपना करियर छोड़कर बच्चों को ही अपना करियर बना लेती हैं. बहुत सारी डिग्री ले ली, पीएचडी कर लिया और आखिर में बच्चे को प्रोजेक्ट बना लिया. ऐसी महिलाएं मान लेती हैं कि बच्चा ही मेरा फुल टाइम करियर है.
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बच्चों को छूट देना भी जरूरी
एक्सपर्ट ने पेरेंट्स को बताया कि वो अपने बच्चे को खुद ही बढ़ने दें और इतना भी ध्यान न दें कि चीजें सही होने की बजाय खराब हो जाएं. उन्होंने एक कली का उदाहरण देते हुए ये बात समझाई, जब एक फूल की कली खिलती है और उसे आप 24 घंटे देखते रहेंगे कि कब उसकी पहली पत्ती खुल रही है और कब दूसरी तो ऐसे में वो फूल खिलने से पहले ही मर जाएगा. इसलिए बच्चे के लिए यही बेहतर होता है कि उसे थोड़ा आजादी दी जाए, उसे अपना फुल टाइम करियर ना बनाएं.
रीरी त्रिवेदी ने पेरेंट्स से कहा कि बच्चों पर आपकी इस आदत से काफी ज्यादा प्रेशर आता है, उन्हें भी लगता है कि उन्हें अपने मां-बाप को खुश रखना है. ऐसे बच्चों को बाद में एंजायटी जैसे इश्यू होते हैं. बच्चे कहते हैं कि 8वीं क्लास तक मैं फर्स्ट आता था, क्योंकि मेरी मम्मी ही मुझे पढ़ाती थी. उसके बाद सब कुछ बिगड़ गया. इसीलिए बच्चों पर जरूरत से ज्यादा ध्यान देना भी खतरनाक हो सकता है.
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