
How To Discipline Your Child: आज के समय में हर माता-पिता की सबसे बड़ी चिंता यही होती है कि उनका बच्चा अनुशासित और जिम्मेदार बने. लेकिन बच्चों को डांटने या मारने से वो और जिद्दी हो सकते हैं. असली जरूरत है उन्हें सही तरीके से समझाने और सकारात्मक तरीकों से अनुशासन (how to teach good manners) सिखाने की. बच्चों की परवरिश में छोटे-छोटे कदम बड़ा बदलाव ला सकते हैं. इसी विषय पर पेरेंटिंग एक्सपर्ट डॉ. अर्पित गुप्ता बताते हैं कि बच्चों को अनुशासित बनाने के लिए माता-पिता को तीन बातों पर खास ध्यान देना चाहिए. कौन सी हैं वो तीन आदतें जो आपके बच्चों को एक डिसिप्लीन्ड चाइल्ड बना सकती हैं, चलिए जानते हैं.
बच्चों को अनुशासित बनाने के तीन तरीके (3 tips to make Your Child Disciplined)
1. टाइम आउट – बच्चे को सिखाने का सरल तरीका
डॉ. अर्पित गुप्ता के अनुसार अगर बच्चा बार-बार नियम तोड़ता है या गलत व्यवहार करता है तो उसे टाइम आउट देना चाहिए. इसका मतलब है कि बच्चे को कुछ देर के लिए ऐसी जगह बैठा दें जहां कोई मजेदार चीज न हो. यह जगह बोरिंग होनी चाहिए, ताकि बच्चा समझ सके कि गलत काम करने पर मजा नहीं मिलेगा. नियम है वन मिनट पर ईयर यानी अगर बच्चा चार साल का है तो उसे चार मिनट टाइम आउट में बैठना होगा. इसके बाद माता पिता को बच्चे से प्यार से बात करनी चाहिए और समझाना चाहिए कि उसने क्या गलती की और अगली बार ये गलती क्यों नहीं दोहरानी चाहिए.

2. लॉजिकल कॉन्सिक्विंसेस – बच्चे को जिम्मेदार बनाना
कई बार बच्चे अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करते, जैसे होमवर्क नहीं करना, खिलौने इधर-उधर छोड़ना या पानी गिरा देना. डॉ. अर्पित गुप्ता कहते हैं कि ऐसे में बच्चे को मारने या डांटने के बजाय लॉजिकल कॉन्सिक्विंसेस अपनाएं. उदाहरण के लिए यदि बच्चा होमवर्क नहीं करता तो उस दिन उसे टीवी देखने की इजाजत न दें. अगर उसने पानी गिरा दिया तो उसे खुद से साफ करने को कहें. इससे बच्चा सीखेगा कि हर काम के साथ जिम्मेदारी जुड़ी होती है. धीरे धीरे वो खुद ही समझ जाएगा कि अपने काम पूरे करना क्यों जरूरी है.
3. पॉजीटिव एनफोर्समेंट – अच्छे काम को सराहें
बच्चों को केवल गलतियों पर टोका ही नहीं जाना चाहिए बल्कि जब वे कुछ अच्छा करें तो उन्हें सराहना भी जरूरी है. डॉ. अर्पित गुप्ता कहते हैं कि पॉजीटिव एनफोर्समेंट बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाता है और उन्हें अच्छे काम करने के लिए मोटिवेट करता है. उदाहरण के तौर पर अगर बच्चा खेलने के बाद अपने खिलौने खुद से समेट लेता है तो उसकी तारीफ करें या उसे छोटा सा रिवार्ड दें. इससे बच्चा समझेगा कि अच्छा काम करने से उसे खुशी और तारीफ दोनों मिलती है.
डॉ. गुप्ता की सलाह
बच्चों को अनुशासित बनाने के लिए जरूरी है कि माता-पिता पेशेंस और समझदारी से काम लें. डॉ. अर्पित गुप्ता की राय में अगर शांत तरीके से बच्चों को डील किया जाए. तो उन्हें जिद्दी और मैनरलेस बनने से बचाया जा सकता है.
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