थकान, सांस में तकलीफ हो सकते हैं हृदयरोग के लक्षण
नई दिल्ली:
अगर आपको अक्सर सांस लेने में तकलीफ हो, थकान, उल्टी और टखनों में सूजन हो तो इसे अवॉइड ना करें क्योंकि ये दिल की बीमारी के संकेत हो सकते हैं. लेकिन यह कोई लाइलाज बीमारी नहीं बल्कि इसका इलाज संभव है. बस जरुरत है इस बीमारी के लक्षणों को सही वक्त पर पहचानने की. एक स्टडी के मुताबिक भारत में दिल की बीमारी की पहचान होने के एक साल के भीतर करीब 23 फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है.
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संदीप सेठ का कहना है कि दिल की बीमारी के खतरों को कम करने के लिए मरीजों को मधुमेह (डायबिटीज़), उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर), सांस व फेफड़े संबंधी अन्य तकलीफों को नियंत्रण में रखना जरूरी होता है.
रमज़ान में इस तरह डायबिटीज और दिल के मरीज भी रख सकते हैं रोज़े, जानिए Expert Advice
डॉ. सेठ ने कहा कि दिल की बीमारी कोई लाइलाज बीमारी नहीं है. देश में आज हर तरह के दिल के मरीजों का इलाज संभव है मगर एहतियात सबसे ज्यादा जरूरी है. ऐहतियात नहीं बरतने और वक्त पर ईलाज नहीं होने पर दिल की बीमारी से पीड़ित मरीजों को बचाना मुश्किल हो जाता है. उन्होंने बताया कि एक अध्ययन के मुताबिक भारत में दिल की बीमारी की पहचान होने के एक साल के भीतर करीब 23 फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है.
डॉक्टर सेठ ने बताया कि हार्ट ट्रांसप्लांट में करीब 10 लाख रुपये खर्च होते हैं, जिसे सर्जरी पर 1.5 लाख से दो लाख रुपये खर्च होते हैं. उससे पहले जांच में 20,000-30,000 रुपये खर्च होते हैं. सर्जरी के बाद दो साल तक दवाई व मरीज की देखभाल, पोषण पर खर्च है. उन्होंने बताया कि गरीबों के इलाज के लिए सरकार पैसे देती है.
हफ्ते में दो बार खाएंगे मछली तो नहीं आएगा हार्ट अटैक
आमतौर पर दिल की बीमारी 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में देखी जाती है लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है बच्चों को दिल की बीमारी नहीं होती है. कई बच्चों को जन्म से भी दिल की बीमारी होती है. (इनपुट - आईएएनएस)
देखें वीडियो - दिल की बीमारी के वो पांच खतरे, जिन्हें जानना आपके लिए बेहद जरूरी है
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संदीप सेठ का कहना है कि दिल की बीमारी के खतरों को कम करने के लिए मरीजों को मधुमेह (डायबिटीज़), उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर), सांस व फेफड़े संबंधी अन्य तकलीफों को नियंत्रण में रखना जरूरी होता है.
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डॉ. सेठ ने कहा कि दिल की बीमारी कोई लाइलाज बीमारी नहीं है. देश में आज हर तरह के दिल के मरीजों का इलाज संभव है मगर एहतियात सबसे ज्यादा जरूरी है. ऐहतियात नहीं बरतने और वक्त पर ईलाज नहीं होने पर दिल की बीमारी से पीड़ित मरीजों को बचाना मुश्किल हो जाता है. उन्होंने बताया कि एक अध्ययन के मुताबिक भारत में दिल की बीमारी की पहचान होने के एक साल के भीतर करीब 23 फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है.
डॉक्टर सेठ ने बताया कि हार्ट ट्रांसप्लांट में करीब 10 लाख रुपये खर्च होते हैं, जिसे सर्जरी पर 1.5 लाख से दो लाख रुपये खर्च होते हैं. उससे पहले जांच में 20,000-30,000 रुपये खर्च होते हैं. सर्जरी के बाद दो साल तक दवाई व मरीज की देखभाल, पोषण पर खर्च है. उन्होंने बताया कि गरीबों के इलाज के लिए सरकार पैसे देती है.
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आमतौर पर दिल की बीमारी 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में देखी जाती है लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है बच्चों को दिल की बीमारी नहीं होती है. कई बच्चों को जन्म से भी दिल की बीमारी होती है. (इनपुट - आईएएनएस)
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