प्रतीकात्मक तस्वीर
पता है, हमारे जमाने की सबसे अच्छी बात क्या है? वो ये कि हम सब अपने हिसाब से अपनी ज़िंदगी जीते हैं. चप्पल पहनकर कॉलेज चले जाते हैं, तो फटी जींस पहनकर पार्टी में. दिलचस्प ये कि हमने अपनी तमाम आदतों को 'ट्रेंड' या 'सिग्नेचर स्टाइल' का लबादा ओढ़ा दिया है.
आपको जैसे रहना है रहिए. जो करना है करिए. लेकिन प्लीज़ भूल कर भी पब्लिक प्लेस में ये काम न करें. वर्ना दूसरों को तो परेशानी होगी ही, आप पर भी 'अनकल्चर्ड' का स्टिकर लगा दिया जाएगा-
हड़प्पा की खुदाई
'हमें पुरातत्व विभाग ने जिम्मेदारी नहीं सौंपी तो क्या हुआ, हमें किसी खदान में नौकरी नहीं मिली तो क्या हुआ, हम अपने पैशन को खत्म थोड़ी ही न कर देंगे. हमारे पास जितना है, जो है हम उसी में अपनी ख्वाहिश पूरी करेंगे...' आपके मन में भले ही ये ऊटपटांग दलीलें न भी आती हों, तो भी पब्लिक प्लेस में नाक खोदने का कोई भी औचित्य नहीं है. आपको फर्क पड़े या न पड़े आपके आस-पास बैठे लोग असहज ज़रूर हो जाते हैं. तो अगर आपको इस काम की सुख प्राप्ति करनी ही है, तो कृपा करके रेस्टरूम में चले जाइये. वहां आपको देखने वाला कोई नहीं.
लुकिंग लंदन, वॉकिंग टोकियो ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो फोन पर मैसेज टाइप करते या फोन में सिर गड़ाए, बिना सामने देखे चलते हैं. खुद तो चोट लगती ही है, सामने वाले से टक्कर लगने की भी पूरी गुंजाइश होती है. यही नहीं, कुछ लोग ऐसे हैं जो थियेटर में, पब में, यहां तक कि बाथरूम में भी फोन से चिपके रहते हैं. अगर आप इनमें से एक हैं, तो आपको आपके रूम की दीवार पर मौजूद छिपकली की दाहिनी पांव की नाखून की कसम, ऐसा न करें.
उंगलियां चटकाना
भले ही उंगलियों के चटकाने की आवाज़ खुद को म्यूजिकल लगे, पर यकीन मानिए औरों के लिए ये उतना ही तकलीफदेह है जितना आपका जो़र जोर से चबाकर खाना खाना. ये काम घर पर करिए, कोई कुछ नहीं कहेगा. लेकिन किसी मीटिंग, ऑफिस या पार्टी में ऐसा करना अशिष्टता की श्रेणी में आता है.
कौन कहता है कि फुल टाइम जॉब करने वाले ट्रैवल नहीं कर पाते!
गर्लफ्रेंड/ब्वॉयफ्रेंड को नहीं होगा आप पर शक, बस रखना होगा इन बातों का ख्याल
हर पार्टी में पहुंच जाते हैं ऐसे मेहमान, इनमें से कौन हैं आप!
आपको जैसे रहना है रहिए. जो करना है करिए. लेकिन प्लीज़ भूल कर भी पब्लिक प्लेस में ये काम न करें. वर्ना दूसरों को तो परेशानी होगी ही, आप पर भी 'अनकल्चर्ड' का स्टिकर लगा दिया जाएगा-
हड़प्पा की खुदाई
'हमें पुरातत्व विभाग ने जिम्मेदारी नहीं सौंपी तो क्या हुआ, हमें किसी खदान में नौकरी नहीं मिली तो क्या हुआ, हम अपने पैशन को खत्म थोड़ी ही न कर देंगे. हमारे पास जितना है, जो है हम उसी में अपनी ख्वाहिश पूरी करेंगे...' आपके मन में भले ही ये ऊटपटांग दलीलें न भी आती हों, तो भी पब्लिक प्लेस में नाक खोदने का कोई भी औचित्य नहीं है. आपको फर्क पड़े या न पड़े आपके आस-पास बैठे लोग असहज ज़रूर हो जाते हैं. तो अगर आपको इस काम की सुख प्राप्ति करनी ही है, तो कृपा करके रेस्टरूम में चले जाइये. वहां आपको देखने वाला कोई नहीं.
लुकिंग लंदन, वॉकिंग टोकियो
उंगलियां चटकाना
भले ही उंगलियों के चटकाने की आवाज़ खुद को म्यूजिकल लगे, पर यकीन मानिए औरों के लिए ये उतना ही तकलीफदेह है जितना आपका जो़र जोर से चबाकर खाना खाना. ये काम घर पर करिए, कोई कुछ नहीं कहेगा. लेकिन किसी मीटिंग, ऑफिस या पार्टी में ऐसा करना अशिष्टता की श्रेणी में आता है.
कौन कहता है कि फुल टाइम जॉब करने वाले ट्रैवल नहीं कर पाते!
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हर पार्टी में पहुंच जाते हैं ऐसे मेहमान, इनमें से कौन हैं आप!
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