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सिंगल पैरेंट्स के सामने आती हैं ये 5 चुनौतियां, कुछ बातों को ध्यान में रखकर दूर कर सकते हैं ये दिक्कतें 

बच्चे की परवरिश करना कोई आसान काम नहीं है और जब यही परवरिश माता या पिता को अकेले करनी पड़े तो परेशानियां बढ़ सकती हैं. ऐसे में इन चुनौतियों को दूर करने की कोशिश की जा सकती है. 

सिंगल पैरेंट्स के सामने आती हैं ये 5 चुनौतियां, कुछ बातों को ध्यान में रखकर दूर कर सकते हैं ये दिक्कतें 
सिंगल पैरेंट्स के सामने आती हैं कुछ मुश्किलें.

Parenting Tips: माता-पिता जब बच्चे को मिलकर पालते हैं तो उनके सामने कई तरह की मुश्किलें आती हैं, परेशानियां आती हैं और चुनौतियां आती हैं. लेकिन, इन मुश्किलों, परेशानियों और चुनौतियों में वे दोनों साथ होते हैं. इसके बिल्कुल उलट जब पैरेंट अकेला हो या सिंगल पैरेंट (Single Parent) हो तो उसके लिए कठिनाइयां कई हद तक बढ़ जाती हैं. कई बार बच्चों के सवाल-जवाब ही इतने ज्यादा होते हैं कि व्यक्ति के लिए उनके जवाब खोजना मुश्किल हो जाता है. हाल ही में निर्माता-निर्देशक करण जौहर (Karan Johar) ने भी सिंगल पैरेंटिंग की ऐसी ही चुनौती का जिक्र किया है. करण जौहर अपने जुड़वा बच्चों के एकल पैरेंट हैं और अपनी मां हीरू जौहर के साथ मिलकर बच्चों की परवरिश करते हैं. करण के बच्चे अब उनसे कई तरह के सवाल करने लगे हैं जिनमें से एक सवाल था कि "मेरा जन्म किसके पेट से हुआ है और मां तो मां नहीं है वो मेरी दादी हैं." इस स्थिति से निपटने के लिए करण जौहर स्कूल काउंसलर के पास जाकर बात करने के बारे में सोच रहे हैं. इसी तरह की की चुनौतियों का सामना सिंगल पैरेंट को अकेले करना पड़ता है. 

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सिंगल पैरेंट के सामने आने वाली चुनौतियां 

  1. बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम कम होना एक ऐसी परेशानी है जिसका सामना बहुत से सिंगल पैरेंट्स को करना पड़ता है. सिंगल पैरेंट होने के नाते नौकरी भी उन्हें ही करनी है और बच्चे को पालना भी है. ऐसे में बच्चे के साथ समय बिताने के लिए ज्यादा समय नहीं मिल पाता है. 
  2. सिंगल पैरेंट के पास हमेशा ही काम ज्यादा होता है और उन्हें मल्टीटास्क करना पड़ता है. इससे वर्क ओवरलोड (Work Overload) के कारण कई बार परवरिश थकाने वाली लगने लगती है. ऐसे में खुद के लिए समय निकालने में खासा मुश्किल आती है. 
  3. नकारात्मकता एक ऐसा फैक्टर है जिससे सिंगल पैरेंट को अक्सर ही दोचार होना पड़ता है. चाहे लोग हों या फिर परिवार के सदस्य, उनकी नकारात्मक बातें पीछा नहीं छोड़तीं. वहीं, नकारात्मक भावनाएं (Negative Feelings) खुद के मन में भी घर करने लगती हैं. 
  4. एक और परेशानी जो सिंगल पैरेंट्स को उठानी पड़ती है वो है आर्थिक दिक्कतें. सिंगल पैरेंट को अपना, घर का और बच्चे का पूरा खर्च अकेले उठाना पड़ता है. कई बार यह जिम्मेदारी मनोबल तोड़ने वाली भी साबित होती है. 
  5. सब बड़े फैसले सिंगर पैरेंट को अकेले ही लेने पड़ते हैं. सिंगल पैरेंट के लिए गंभीर दिक्कतों को भी अकेले सुलझाना होता है, साथ ही खुद ही हर मुश्किल का हल निकालना पड़ता है. 
ऐसे दूर होंगी ये दिक्कतें 
  • सिंगल पैरेंट्स के लिए खुद को मजबूत बनाए रखना जरूरी है. कोशिश करें कि आप हिम्मत ना हारें और अपना और अपने बच्चे का सहारा बनें. 
  • कई बार आपको दिखेगा कि बच्चे किसी बात को मनवाने के लिए आपसे यह कह रहे हैं कि आप एक अच्छे माता या पिता नहीं हैं. उनकी इस तरह की बातों को ना सुनें और खुद पर भरोसा करें. 
  • कोशिश करें कि दिन या रात में एक समय सिर्फ आपका और आपके बच्चे का हो. बच्चे के साथ क्वालिटी टाइम (Quality Time) बिताना बेहद जरूरी होता है. 
  • खुद को प्रायोरिटाइज करना ना भूलें. आप खुद शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ होंगे, अच्छा फील करेंगे तो बच्चे को भी सही परवरिश दे सकेंगे. 
  • अपनी आर्थिक दिक्कतों को सुलझाने के लिए व्यर्थ के खर्चों को कम करें. जो चीजें प्राथमिक ना हों उनपर पैसे खर्च करने से बचें. 
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