बच्चे जिद्दी हैं या फिर आप खुद? ये 4 आदतें बताती हैं कि बच्चा नहीं माता-पिता करते हैं जिद 

Bad Parenting Examples: कई बार माता-पिता बच्चे को तो जिद्दी कह रहे होते हैं, लेकिन असल में वे खुद जिद्दी होते हैं. जानिए कैसे पता चलता है कि पैरेंट्स जिद करने लगे हैं.

बच्चे जिद्दी हैं या फिर आप खुद? ये 4 आदतें बताती हैं कि बच्चा नहीं माता-पिता करते हैं जिद 

Stubborn Parents: कहीं आप भी तो जिद्दी माता-पिता नहीं, जानिए यहां. 

Parenting Tips: माता-पिता की कोशिश होती है कि वे बच्चे को ऐसी परवरिश दें जिससे बच्चा बढ़ा होकर एक अच्छा और कामयाब इंसान बने. इस कोशिश में माता-पिता (Parents) अक्सर बच्चे से जरूरत से ज्यादा कड़क व्यवहार करने लगते हैं जो उन्हें बुरी तरह प्रभावित भी कर सकता है. वहीं, बच्चा किसी बात पर अड़ जाता है तो पैरेंट्स कहते हैं कि बच्चा जिद कर रहा है, लेकिन जब वहीं पैरेंट्स खुद किसी बात पर टस से मस नहीं होते तो अपनी जिद मानने से इंकार कर देते हैं और दोष फिर भी बच्चे पर ही मड़ा जाता है कि यह बच्चे की ही गलती है. कहीं, आप भी तो ऐसे ही जिद्दी माता-पिता (Stubborn Parents) नहीं है? जानिए क्या होती है जिद्दी पैरेंट्स होने की पहचान. 

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इस तरह के होते हैं जिद्दी पैरेंट्स 

ना पर अड़ जाना 

ऐसी बहुत सी चीजें हैं या कहे बच्चों की ख्वाहिशें हैं जो पैरेंट्स की नजर में गलत होती हैं और इसीलिए पैरेंट्स साफतौर पर ना कर देते हैं. लेकिन, कई बार ये चीजें बच्चे के फायदे की होती हैं और बच्चों की खुशी को प्रभावित करती हैं. ऐसे में पैरेंट्स सीधेतौर पर ना करने के बजाय हां और ना के बीच का कोई मिडल ग्राउंड ढूंढ सकते हैं. लेकिन, ना पर अड़ जाना माता-पिता की जिद का उदाहरण बन जाता है. 

अपनी बात को पत्थर की लकीर बना देना 

माता-पिता का अपना एक स्वाभिमान होता है जो कई बार अभिमान बन जाता है. पैरेंट्स बच्चे के लिए अगर कोई फैसला लेते हैं और बच्चे जब यह कहते हैं कि वो यह बात नहीं मानना चाहते तो माता-पिता जिद (Stubbornness) पर अड़ जाते हैं. पैरेंट्स को कई बार यह भी लगता है कि अगर हम थोड़ा भी झुके तो बच्चे के सामने हार हो जाएगी. इसलिए माता-पिता की जिद का एक और नमूना है उनका अपनी बात को पत्थर की लकीर बना देना. 

बच्चे को माफी देने से झिझकना 

बच्चे चाहे छोटे हों या फिर बड़े जाहिरतौर पर बहुत सी गलतियां करते हैं. अपनी गलती की माफी भी वे अपने माता-पिता से ही मांगते हैं. ऐसे में माता-पिता को उन्हें माफी सिर्फ इसलिए ना देना ताकि वे दोबारा भूलकर भी ऐसी गलती ना करें, गलत है. बच्चों पर यह कठोरपन और सबक सिखाने की जिद बुरा प्रभाव डालते हैं. 

अच्छे काम की भी प्रशंसा ना करना 

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कई बार कठोर बनने के चक्कर में माता-पिता बच्चे की खुलकर प्रशंसा भी नहीं करते हैं. इससे बच्चों का मनोबल टूटने लगता है. इसीलिए माता-पिता को अपनी किसी भी तरह की जिद या नाराजगी छोड़कर बच्चों की उनके अच्छे कामों के लिए सराहना करनी चाहिए. 

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