Acidity से रहते हैं परेशान तो रोज करें ये 3 योगासन, पाचन पर अच्छा असर दिखाते हैं ये Yoga Poses

Acidity Relief Yoga: कुछ ऐसे योगासन भी हैं जो एसिडिटी को दूर करने में सहायक हैं. जानिए एसिडिटी से छुटकारा पाने के लिए कौन-कौनसी योगा करें.

Acidity से रहते हैं परेशान तो रोज करें ये 3 योगासन, पाचन पर अच्छा असर दिखाते हैं ये Yoga Poses

Yoga For Acidity: एसिडिटी की दिक्कत योगा से होगी दूर.

खास बातें

  • एसिडिटी के लिए करें ये योगा.
  • पेट की दिक्कतें होती हैं दूर.
  • पाचन तंत्र होता है बेहतर.

Yoga Benefits: योगा से सिर्फ शरीर के बाहरी आकार या आकृति में ही बदलाव नहीं आता बल्कि इससे शरीर की अंदरूनी दिक्कतें भी दूर होती हैं. अगर एसिडिटी (Acidity) की बात करें तो यह पेट से जुड़ी समस्या है. कुछ गलत-सलत खाने और पेट में गैस (Stomach Gas) बनने पर एसिडिटी की दिक्कत हो जाती है. साथ ही, पेट फूलना, खट्टी डकार आना, जी मिचलाना (Nausea) और सीने में जलन महसूस होने कुछ ऐसे ही लक्षण हैं जो एसिडिटी से उत्पन्न होते हैं. ऐसे में कुछ योगासन हैं जो पेट को राहत देने और एसिडिटी जैसी परेशानियों को दूर रखने में सहायक हैं. 

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एसिडिटी से राहत पाने के लिए योगा | Acidity Relief Yoga Poses


वज्रासन 


इस आसन को करने के लिए अपने घुटने मोड़कर दोनों पैरों को पीछे करके एड़ियों पर नितंभ रखकर बैठें. आपके पंजे जमीन पर सपाट रहने चाहिए. अपनी पीठ को एकदम सीधा रखें और चेहरा सामने की और करके बैठें. दोनों हाथों को सामने जांघों पर रखें. जितना देर इस आसन को होल्ड करके रख सकते हैं रखें. इससे ब्लड फ्लो पेट तक जाता है और आंतों को भी फायदा मिलता है. यह पाचन (Digestion) को बेहतर करने में असरदार है. 


कपालभाति प्राणायाम 

यह योगा मोटापे को कम करने, पेट से जुड़ी दिक्कतों और स्किन की परेशानियों को दूर करने में असरदार है. कपालभाति प्राणायाम (Kapalbhati Pranayam) करने के लिए आलती-पालती मारकर बैठ जाएं. अब रीढ़ की हड्डी को बिलकुल सीधा रखें. इसके बाद गहरी सांस लें और एकदम से छोड़ दें. ऐसा करने पर आपको अपने पेट पर दबाव भी महसूस होगा. शुरुआत में ऐसा कुछ ही देर करें और जब आसानी होने लगे तो रफ्तार और आसन को करने का समय  बढ़ा दें. 


उत्तरासन 


इस योगा से ना सिर्फ पेट को बल्कि पीठ को भी फायदा मिलता है. यह पाचन तंत्र और श्वसन तंत्र के लिए भी अच्छा है. इसे करने के लिए घुटनों के बल बैठकर शरीर को पीछे की तरफ मोड़ा जाता है और गर्दन भी पीछे ही लटकाई जाती है. इसके बाद हाथों को पीछे की तरफ रखकर दोनों पैरों के तलवे छूए जाते हैं. इस पोजीशन को कुछ देर ही होल्ड करना होता है. 

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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