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TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने बंगाल के राज्यपाल के खिलाफ करा दी FIR, जानें क्या है मामला

TMC सासंद कल्याण बनर्जी और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बीच तल्खी बढ़ती ही जा रही है. दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ FIR दर्ज कराई है. जानें पूरा मामला क्या है?

TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने बंगाल के राज्यपाल के खिलाफ करा दी FIR, जानें क्या है मामला
TMC सांसद कल्याण बनर्जी और बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस.
  • TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस के खिलाफ FIR दर्ज करवाई गई हैं.
  • कल्याण बनर्जी ने राज्यपाल पर भारत की संप्रभुता और एकता को खतरे में डालने वाले कृत्यों का आरोप लगाया है.
  • इससे पहले राज्यपाल ने टीएमसी सांसद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी.
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TMC सासंद कल्याण बनर्जी और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बीच तल्खी बढ़ती ही जा रही है. दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ FIR दर्ज कराई है. पहले राज्यपाल की ओर से प्राथमिकी दर्ज करवाई गई, जिसके 24 घंटे के भीतर ही कल्याण बनर्जी ने भी एफआईआर दर्ज करवाई है. दरअसल यह पूरा विवाद कल्याण बनर्जी उस विवादित दावे के बाद शुरू हुई, जिसमें उन्होंने कहा कि राजभवन से बम-बंदूकों की सप्लाई हो रही है. सांसद के इस सनसनीखेज दावे के बाद राजभवन में तलाशी अभियान चलाया गया. लेकिन तलाशी में कुछ भी अवैध नहीं मिला. जिसके बाद राज्यपाल ने कल्याण बनर्जी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई. 

'राज्यपाल कर रहे भारत की संप्रभुता को खतरे में डालने वाला कृत्य'

तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने हेयर स्ट्रीट पुलिस थाने में अपने खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के 24 घंटे के भीतर ही पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के खिलाफ बुधवार को इसी थाने में शिकायत दर्ज करा दी है. बनर्जी ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 173 (1) के तहत जानकारी प्रदान करने की मांग करते हुए अपनी शिकायत में राज्यपाल के खिलाफ कई धाराओं के तहत पुलिस कार्रवाई की मांग की, जिसमें आपराधिक षड्यंत्र और भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य शामिल हैं.

कल्याण बनर्जी ने अपनी शिकायत में क्या कहा?

बनर्जी ने अपनी शिकायत में कहा, ‘‘सी.वी. आनंद बोस ने समान उद्देश्य वाले राजनीतिक रूप से प्रेरित कुछ अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर जानबूझकर और उद्देश्यपूर्ण ढंग से विद्रोह या विध्वंसक गतिविधियों को भड़काने के लिए कुछ बयान दिए और सरकार तथा पश्चिम बंगाल राज्य के खिलाफ अलगाववादी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया, जिससे भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरा पैदा हुआ.''

बनर्जी ने यह कदम बोस द्वारा अपनी प्राथमिकी में उन पर बीएनएस की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज करने के एक दिन बाद उठाया है, जिसमें राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल पर हमला करने या उन्हें अपनी वैध शक्तियों का इस्तेमाल करने से रोकने के अपराध से संबंधित धाराएं शामिल हैं.

राज्यपाल ने राजभवन परिसर में हथियारों और गोला-बारूद की तलाशी के लिए चलाए गए अभियान के बाद अपनी शिकायत दर्ज कराई थी. यह कार्रवाई बनर्जी द्वारा पहले लगाए गए आरोपों से प्रेरित थी.

राज्यपाल भवन के शीर्ष अधिकारियों ने बाद में कहा था कि ‘‘परिसर के अंदर ऐसा कुछ भी नहीं मिला'' जो तृणमूल कांग्रेस सांसद के दावों की पुष्टि कर सके.

दूसरी ओर, बनर्जी ने राज्यपाल के पिछले सार्वजनिक बयानों को लेकर कई खबरों का हवाला दिया और उन पर पश्चिम बंगाल की चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने और ‘‘एक विशेष धार्मिक समुदाय को दंगा भड़काने और लोगों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने के लिए उकसाने'' का आरोप लगाया.

बनर्जी ने बोस पर राज्य में पुलिस बल के खिलाफ ‘‘झूठे, मनगढ़ंत और राजनीति से प्रेरित बयान'' देने और राजभवन के गलियारों से ‘‘जनता में भय और चिंता'' पैदा करने के लिए निराधार और गैरजिम्मेदाराना बयान देने का भी आरोप लगाया.

बनर्जी ने पुलिस में दी अपनी शिकायत में लिखा, ‘‘(यह) स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि सी.वी. आनंद बोस का राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ गठजोड़ है और वह उस राजनीतिक दल से जुड़े व्यक्तियों को संरक्षण देते हैं, जो राज्य में धार्मिक समूहों और जनता के विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य फैलाकर पश्चिम बंगाल में हिंसा भड़काने की साजिश करते हैं.''

बनर्जी ने राजभवन स्थित राज्यपाल सचिवालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी का भी नाम लिया और ‘‘सीवी आनंद बोस की कथित आपराधिक गतिविधियों में उनकी भागीदारी की जांच की आवश्यकता पर जोर दिया''.

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