अरविंद केजरीवाल की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
मुख्यमंत्री और 'आप' के राष्ट्रीय संयोजक, दोनों पदों पर एक साथ बने रहने को लेकर अरविंद केजरीवाल पर सवाल उठाने के कारण संभवत: पार्टी के आंतरिक लोकपाल एल. रामदास को उनके पद से हटाया गया। ऐसा रामदास का मानना है।
एक टीवी कार्यक्रम में रामदास ने कहा, ‘यह संभव है कि अरविन्द केजरीवाल को मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय संयोजक के पद पर बने रहने के उनके अधिकार पर सवाल उठाया जाना अच्छा नहीं लगा होगा। यह संभव है कि उन्हें पार्टी के आंतरिक मामलों के फैसलों और लोकतंत्र को लेकर मेरे द्वारा की गयी लिखित आलोचना अच्छी ना लगी हो।’
रामदास ने कहा कि उन्होंने ‘उपयुक्त’ मुद्दे उठाए और लोकपाल के नाते ऐसा करना उन्हें अपना कर्तव्य लगा। पार्टी ने रामदास की सेवाएं 29 मार्च, 2015 को समाप्त कर दीं। रामदास द्वारा पार्टी के पीएसी और नेशनल एक्जीक्यूटिव के सदस्यों को पत्र लिखे जाने को लेकर भी पार्टी उनसे नाराज थी।
अपने पत्र में रामदास ने शीर्ष नेतृत्व में दो धड़ों के उभरने की बात रेखांकित करते हुए पार्टी से ‘एक व्यक्ति, एक पद’ के विकल्प पर विचार करने को कहा था। रामदास ने यह भी कहा कि पार्टी के नेशनल एक्जीक्यूटिव से योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को निकाला जाना ‘असंवैधानिक’ था लेकिन उन्हें पीएसी और पार्टी सदस्यता से बर्खास्त किए जाने में कोई गलती नहीं थी।
लोकपाल के पद से खुद को हटाए जाने के संबंध में, नौसेना के पूर्व प्रमुख रामदास ने कहा कि उन्हें ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं थी क्योंकि केजरीवाल ने उन्हें 2012 में लोकपाल बनने का न्योता भेजा था। उन्होंने कहा, 'हालांकि पद से हटाए जाने के बाद भी वह केजरीवाल के साथ संपर्क में हैं, लेकिन यह भी स्वीकार किया कि रिश्तों में अब तनाव है।'
एक टीवी कार्यक्रम में रामदास ने कहा, ‘यह संभव है कि अरविन्द केजरीवाल को मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय संयोजक के पद पर बने रहने के उनके अधिकार पर सवाल उठाया जाना अच्छा नहीं लगा होगा। यह संभव है कि उन्हें पार्टी के आंतरिक मामलों के फैसलों और लोकतंत्र को लेकर मेरे द्वारा की गयी लिखित आलोचना अच्छी ना लगी हो।’
रामदास ने कहा कि उन्होंने ‘उपयुक्त’ मुद्दे उठाए और लोकपाल के नाते ऐसा करना उन्हें अपना कर्तव्य लगा। पार्टी ने रामदास की सेवाएं 29 मार्च, 2015 को समाप्त कर दीं। रामदास द्वारा पार्टी के पीएसी और नेशनल एक्जीक्यूटिव के सदस्यों को पत्र लिखे जाने को लेकर भी पार्टी उनसे नाराज थी।
अपने पत्र में रामदास ने शीर्ष नेतृत्व में दो धड़ों के उभरने की बात रेखांकित करते हुए पार्टी से ‘एक व्यक्ति, एक पद’ के विकल्प पर विचार करने को कहा था। रामदास ने यह भी कहा कि पार्टी के नेशनल एक्जीक्यूटिव से योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को निकाला जाना ‘असंवैधानिक’ था लेकिन उन्हें पीएसी और पार्टी सदस्यता से बर्खास्त किए जाने में कोई गलती नहीं थी।
लोकपाल के पद से खुद को हटाए जाने के संबंध में, नौसेना के पूर्व प्रमुख रामदास ने कहा कि उन्हें ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं थी क्योंकि केजरीवाल ने उन्हें 2012 में लोकपाल बनने का न्योता भेजा था। उन्होंने कहा, 'हालांकि पद से हटाए जाने के बाद भी वह केजरीवाल के साथ संपर्क में हैं, लेकिन यह भी स्वीकार किया कि रिश्तों में अब तनाव है।'
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