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जिस ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष करता रहा वार, उस पर चर्चा के लिए सरकार क्यों हुई तैयार, समझें गेमप्लान

Parliament Monsoon Session: संसद मॉनसून सत्र के पहले दिन सोमवार को काफी हंगामा देखने को मिला. सरकार का आक्रामक तेवर देख विपक्ष भी सन्न रह गया.

Parliament Monsoon Session

  • मॉनसून सत्र के पहले दिन ऑपरेशन सिंदूर पर बहस कराने को लेकर संग्राम छिड़ा रहा
  • विपक्ष की मांग-ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दें
  • हंगामे की भेंट चढ़ा मॉनसून सत्र का पहला दिन, 16 घंटे बहस पर बनी सहमति
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नई दिल्ली:

Parliament Monsoon Session: संसद में जैसा तय था, सोमवार को मॉनसून सत्र के पहले दिन ऑपरेशन सिंदूर पर संग्राम छिड़ा रहा. दोनों सदनों में विपक्षी सांसद पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग करते रहे. लोकसभा में मोर्चा अखिलेश के साथ सपा सांसदों ने संभाला, तो राज्यसभा में खुद नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस पर बहस की मांग की. विपक्ष के इस वार पर सरकार पूरी तरह से तैयार नजर आई. लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने साफ किया कि विपक्ष चाहे तो प्रश्नकाल के बाद इस पर चर्चा कराई जा सकती है. बाद में संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू और रक्षा मंत्री राजनाथ ने भी विपक्ष की इस चुनौती को स्वीकार किया. राज्यसभा में भी सदन के नेता जेपी नड्डा ने भी कहा कि इस मुद्दे पर सरकार चर्चा करेगी और हर तरीके से करेगी. लेकिन जिस ऑपरेशन सिंदूर को विपक्ष सरकार की कमजोरी नस मान रहा है, उसे आखिर सरकार मौके की तरह क्यों देख रही है? माना जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर पर बहस को लेकर सहमति बन गई है. इस पर 16 घंटे का समय तय किया गया है.

ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा क्या विपक्ष की रणनीतिक चूक?
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष की रणनीति दरअसल पहलगाम हमले के अब तक आजाद आतंकियों और डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर टिकी है. विपक्ष मोदी का बयान चाहता है. इसके जरिए पीएम को घेरने की रणनीति है. हालांकि पीएम मोदी ने इस विपक्ष की इस रणनीति को भांपते हुए सुबह सत्र शुरू होने से पहले ही यह कहते हुए विपक्ष के आक्रमण की धार को कुंद करने की कोशिश की कि यह मॉनसून सत्र दरअसल विजयोत्सव है. उन्होंने इसे सैनिकों की वीरता और अंतरिक्ष में परचम लहराने वाले शुभांशु शुक्ला से जोड़ा. सदन में भी आसन संभाल रहे जगदंबिका पाल ने भी पीएम मोदी की इस लाइन का जिक्र किया.  

बैकफुट में नहीं सरकार
सत्र शुरू होने से पहले ही पीएम मोदी ने संसद भवन में ऑपरेशन सिंदूर के तथ्यों के बारे में मीडिया को ब्रीफ किया. उन्होंने भारत में बने जनमत और सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों के विदेश दौरे को आम राय का प्रतीक बताया. वहीं सदन के अंदर सरकार ने यह भी बिल्कुल साफ कर दिया वह ऑपरेशन सिंदूर पर कतई बैकफुट पर नहीं है. चर्चा होगी और जोरदार होगी. सोमवार को राज्यसभा में नड्डा के तेवर कुछ ऐसे ही थे.

दरअसल सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग तुंरत स्वीकार कर विपक्ष के हाथ से मुद्दा छीनने की रणनीति अपनाई है. बीजेपी के पास अब चर्चा के दौरान अपने फेवरिट पिच पर बैटिंग का मौका है. विपक्ष के लिए बड़ा धर्मसंकट अपने वे सांसद भी रहेंगे जो ऑपरेशन सिंदूर के प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे.

पीएम मोदी के जवाब पर अटकी बात?
ऑपरेशन सिंदूर की चर्चा पर सरकार और विपक्ष में सहमति पीएम मोदी को लेकर भी अटकी हुई है. राज्यसभा की बिजनस एडवाइज़री समिति की बैठक में विपक्षी दलों ने पहलगाम में आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर इसी हफ्ते चर्चा की मांग की. विपक्ष की मांग है कि प्रधानमंत्री चर्चा के बाद जवाब दें. लेकिन सरकार की ओर से कहा गया कि इस हफ्ते पीएम विदेश दौरे पर जा रहे हैं.

गेंद विपक्ष के पाले में
सरकार ने कहा कि अगर इस हफ्ते चर्चा होगी वह चर्चा का जवाब कैसे देंगे. विपक्ष दलों ने कहा कि अगर चर्चा अगले सप्ताह होती है तो सरकार सदन में यह आश्वासन दे कि पीएम इसका जवाब देंगे. ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा कब होगी, इस पर सरकार और विपक्ष में सहमति नहीं बन पाई है. आज एक बार फिर राज्यसभा की बिज़नेस एडवाइज़री समिति की बैठक होगी जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा होगी.

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